उच्च शिक्षण संस्थानों को कोर्सिज में व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास व प्रशिक्षण शामिल करने के निर्देश

Edited By Vijay, Updated: 11 Feb, 2024 05:09 PM

vocational education skill development and training in courses

उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इंस्टीच्यूशनल डिवैल्पमैंट प्लान की गाइडलाइंस जारी की है। इसके अनुसार अब उच्च शिक्षण संस्थानों को कदम उठाने होंगे।

शिमला (अभिषेक): उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इंस्टीच्यूशनल डिवैल्पमैंट प्लान की गाइडलाइंस जारी की है। इसके अनुसार अब उच्च शिक्षण संस्थानों को कदम उठाने होंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत इंस्टीच्यूशनल डिवैल्पमैंट प्लान को काफी महत्व दिया गया है और इसके अंतर्गत यूजीसी ने इसे लागू करने के लिए गाइडलाइंस जारी कर शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिए हैं। यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों व राज्यों के शिक्षा सचिव को पत्र लिखकर गाइडलाइंस की अनुपालना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। यूजीसी गाइडलाइंस फॉर इंस्टीच्यूशनल डिवैल्पमैंट प्लान फॉर हायर एजुकेशन इंस्टीच्यूशंस’ में शामिल बिंदुओं के अनुसार उच्च शिक्षा संस्थानों को आगामी 15 वर्ष के लिए भविष्य के लिए योजना बनानी होगी। इसमें उन्हें बहुविषयक और व्यावसायिक शिक्षा व विद्यार्थियों के प्रशिक्षण और कौशल विकास को शामिल करना होगा। गाइडलाइंस के अनुसार अब उच्च शिक्षण संस्थानों को अपना प्लान बोर्ड के सदस्यों, इंस्टीच्यूशनल लीडर्स, फैकल्टी, स्टाफ और विद्यार्थियों के सहयोग से तैयार करना होगा।

इंस्टीच्यूशनल डिवैल्पमैंट प्लान की गाइडलाइंस में शामिल मुख्य बिंदु
इंस्टीच्यूशनल डिवैल्पमैंट प्लान की गाइडलाइंस में शामिल मुख्य बिंदु में उच्च शिक्षण संस्थानों के उद्देश्यों, दृष्टिकोण और रणनीतिक लक्ष्यों को परिभाषित करें, संसाधनों के आबंटन, सांझेदारी, महत्वपूर्ण क्षेत्रों, पहलों और अनुक्रमण के लिए रणनीति तैयार करें। पहलों को प्राथमिकता देना शामिल है। इसके लिए यह भी कहा गया है कि संस्थान निर्धारित करें कि कौन-सी पहल सबसे महत्वपूर्ण है और उसके अनुसार संसाधन आबंटित करें, योजना बनाएं। प्रत्येक पहल के लिए समय-सीमा, मील के पत्थर और जिम्मेदार पक्षों सहित एक विस्तृत कार्य योजना की रूपरेखा तैयार करें, योजना को लागू करें। जरूरत अनुसार समायोजन करते हुए योजना को लागू करें और प्रगति की निगरानी करें। इसके अलावा इसमें समीक्षा, मूल्यांकन और रिपोर्ट : योजना की नियमित रूप से समीक्षा और मूल्यांकन करें, जिसमें उद्देश्यों के विरुद्ध प्रगति को मापना, एस-कर्व का उपयोग करना और इंटरलिंकेज का विश्लेषण करना और निरंतर सफलता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यकतानुसार परिवर्तन करना भी शामिल है।
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