Edited By Vijay, Updated: 22 Jan, 2020 11:28 PM
फील्ड स्टाफ की कमी से जूझ रहा सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग अब आधुनिक तकनीक के जरिए लोगों के घरों तक पेयजल सप्लाई पहुंचाने के लिए खुद को हाईटैक करने की राह पर चल पड़ा है। विभाग में आने वाले दिनों में ऑटोमेशन के जरिए पेयजल योजनाएं संचालित करने का...
शिमला (ब्यूरो): फील्ड स्टाफ की कमी से जूझ रहा सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग अब आधुनिक तकनीक के जरिए लोगों के घरों तक पेयजल सप्लाई पहुंचाने के लिए खुद को हाईटैक करने की राह पर चल पड़ा है। विभाग में आने वाले दिनों में ऑटोमेशन के जरिए पेयजल योजनाएं संचालित करने का खाका तैयार किया गया है। इससे विभाग को दोहरा लाभ होगा। पहला लाभ यह होगा कि ऑटोमेशन के जरिए पेयजल सप्लाई की पूरी व्यवस्था को कम्प्यूटरीकृत करने से रोजाना हजारों लीटर पानी की लीकेज रुकेगी। दूसरा इस व्यवस्था में पेयजल योजनाओं का काम स्वचालित होने के चलते कर्मचारियों की कमी आड़े नहीं आएगी। यह बात सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के सचिव डॉ. आरएन बत्ता ने पंजाब केसरी से खास बातचीत में कही।
आऊटसोर्स पर भर्ती पूर्ण रूप से होगी बंद
उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था के तहत जल्द ही 1578 नए प्रशिक्षित कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी। कैबिनेट की बैठक में नई भर्ती को मंजूरी मिल चुकी है। विभाग ने नए पद भरने की प्रक्रिया भी आरंभ कर दी है। उन्होंने कहा कि आईपीएच विभाग अब आऊटसोर्स पर भर्ती पूर्ण रूप से बंद करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की नई योजना जल जीवन मिशन में भी विभाग काफी आगे बढ़ चुका है। इस योजना में लोगों के घरों तक नलों के जरिए सुचारू पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित बनाई जाएगी।
ऑटोमेशन से रुकेगी फिटरों की मनमानी
आईपीएच विभाग में ऑटोमेशन के जरिए फिटरों की मनमानी पर भी स्वत: रोक लग जाएगी। वर्तमान में विभाग के पास फिटरों द्वारा मनमर्जी से पेयजल सप्लाई छोडऩे या बिल्कुल न छोडऩे की बड़ी संख्या में शिकायतें आती हैं। विभाग ने इस समस्या का हल भी ऑटोमेशन के जरिए ढूंढा है। उन्होंने कहा कि ऑटोमेशन में पुराने ढर्रे के अनुसार फिटरों द्वारा पेयजल लाइन से वाल्व खोलकर पानी की सप्लाई छोडऩे की बजाय कम्प्यूटरीकृत तरीके से पेयजल सप्लाई छोड़ी जाएगी। इस तकनीक के जरिए विभाग के पास पूरा आंकड़ा रहेगा कि किस क्षेत्र में कितनी मात्रा में पेयजल सप्लाई दी गई है। उन्होंने कहा कि हमने कुछ क्षेत्रों में प्रयोग के तौर पर ऑटोमेशन के जरिए पेयजल सप्लाई की शुरूआत की है, जिसके काफी अच्छे परिणाम आए हैं। विभाग जल्द ही पूरे सूबे में इस व्यवस्था को आरंभ करने जा रहा है।
पंप हाऊसों में पेयजल का भंडारण होगा कम्प्यूटरीकृत
ऑटोमेशन के जरिए पंप हाऊसों में पेयजल का भंडारण भी कम्प्यूटरीकृत होगा। इस व्यवस्था में पेयजल टैंकों में सैंसर लगाए जाएंगे। इन सैंसरों के जरिए एक पेयजल टैंक में पानी पूरी तरह भरने पर सप्लाई दूसरे टैंक में शिफ्ट हो जाएगी। ऑटोमेशन के जरिए पेयजल लाइनों में पानी की लीकेज पर भी पूरी तरह लगाम लगेगी। विभागीय कर्मचारी कम्प्यूटर के जरिए पूरी सप्लाई पर नजर रखेंगे। पेयजल योजनाओं में नई फिल्टर प्रणाली लागू करके पानी का शुद्धिकरण किया जाएगा।
पंप हाऊसों में लगेगी आधुनिक मशीनरी
डॉ. बत्ता ने माना कि सूबे के कई क्षेत्रों में पंप हाऊसों में लगाई मशीनरी खराब पडऩे से कई उठाऊ पेयजल योजनाएं बंद पड़ी हैं। पंप हाऊसों में पुरानी मशीनरी के स्थान पर आधुनिक मशीनें लगाने के लिए विभाग ने एक प्रोजैक्ट बनाया है। इसके लिए एक मल्टीनैशनल कंपनी से फंडिंग के लिए बातचीत चल रही है, जोकि काफी हद तक सिरे भी चढ़ी है। विभाग अपने तौर पर भी बंद पड़ी योजनाओं की बहाली के लिए उचित प्रावधान कर रहा है। इस वर्ष के अंत तक मशीनरी के अभाव में बंद पड़ी योजनाएं बहाल होने की उम्मीद है।
पंप ऑप्रटरों की नियुक्ति जल्द, ट्रेंड करेगा विभाग
डॉ. बत्ता ने कहा कि विभाग सूबे के दूरदराज व अन्य क्षेत्रों में फील्ड स्टाफ की कमी दूर करने के लिए जल्द ही पैरा फिटर व पंप ऑप्रेटरों की भर्ती प्रक्रिया आरंभ करेगा। इन आप्रेटरों को पहले पूरी तरह प्रशिक्षित किया जाएगा। कर्मचारियों के बिना बंद पड़ी पेयजल योजनाओं में आईटीआई प्रशिक्षित व डिप्लोमा होल्डर तैनात किए जाएंगे। सरकार ने पहले ही इसकी मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि विभाग ने आऊटसोर्स भर्ती प्रक्रिया को पहले ही रिव्यू कर लिया है। विभाग अब खुद पैरा ऑपे्रटरों की भर्ती करेगा, जिससे फील्ड स्टाफ की जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी। जैसे-जैसे विभाग में पूर्व में की गई आऊटसोर्स भॢतयों का कांट्रैक्ट समाप्त होगा, उसी प्रकार खाली हो रहे पद की जगह नई नीति के अनुसार भर्ती की जाएगी।