किसानों को लाभान्वित करने वाली योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करें: चंद्र कुमार

Edited By Jyoti M, Updated: 21 Jun, 2025 09:46 AM

ensure effective implementation of plans

कृषि एवं पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार की अध्यक्षता में कृषि निदेशालय, बालूगंज में कृषि विभाग की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में विभागीय अधिकारियों ने राज्य में चल रही कृषि योजनाओं, कार्यक्रमों एवं नवीन पहलों की विस्तृत जानकारी प्रदान की। कृषि...

शिमला। कृषि एवं पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार की अध्यक्षता में कृषि निदेशालय, बालूगंज में कृषि विभाग की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में विभागीय अधिकारियों ने राज्य में चल रही कृषि योजनाओं, कार्यक्रमों एवं नवीन पहलों की विस्तृत जानकारी प्रदान की। कृषि मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों को लाभान्वित करने वाली योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, आधुनिक तकनीकों को अपनाने और किसानों की आय में वृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है। बैठक में विभिन्न जिलों में कृषि उत्पादन, बीज वितरण, उर्वरक आपूर्ति, सिंचाई सुविधाओं और किसानों को दी जा रही तकनीकी सहायता पर भी विस्तृत चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि भविष्य की रणनीतियों को जमीनी हकीकत के अनुरूप बनाया जाएगा ताकि कृषि क्षेत्र को और मजबूती मिल सके।

बैठक में विस्तृत रूप से हिम कृषि पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) प्रौद्योगिकी को हिम कृषि योजना में एकीकृत करना सतत कृषि विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश के अनुसार क्लस्टर मैपिंग के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली एक बेहतर उपकरण है। इसके इस्तेमाल से बहुत कम समय में क्लस्टर मैपिंग की जा सकती है। प्रदेश में योजना के अंतर्गत 5 करोड़ 47 लाख रुपए की राशि आवंटित की गई है। "जीआईजेड इंडिया टीम ने तकनीकी सहायता कार्यक्रम के तहत के प्रदेश के 5 जिलों में हिम कृषि योजना की पायलट गतिविधियां पूरी कर ली हैं।

*पांच नए मॉडल फार्म बनाये जायेंगे* 

विभागीय फार्मों के पुनरुद्धार और उन्नयन के लिए 2024-25 के दौरान 3 मॉडल फार्मों का चयन किया गया जिन्हे मॉडल फार्म के रूप में विकसित किया गया है। इन फार्म में वीएमएफ भट्टू, जिला कांगड़ा, एसएमएफ भंगानी, जिला सिरमौर और वीडीएस बरती जिला सोलन के आदर्श फार्म शामिल हैं। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 05 नए मॉडल फार्म चुने गए हैं जिसमें एसएमएफ जोगिंदर नगर, एसएमएफ झूलर शाहपुर कांगड़ा, पीडीएस डलंग लाहौल स्पीति, एसएमएफ ठुल्लेल चंबा एवं एसएमएफ मंझौली नालागढ़ सोलन को शामिल किया गया है।

बीज आलू का उत्पादन, जो 2018 से बंद कर दिया गया था, खरीफ 2025 से फिर से शुरू किया जा रहा है। खरीफ 2025 से सभी सरकारी खेतों में चरणबद्ध तरीके से प्राकृतिक खेती को अपनाया जा रहा है, जिसके तहत प्रत्येक सरकारी फार्म का कम से कम 20-30 प्रतिशत हिस्सा प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाया जाएगा। आरकेवीवाई के अंतर्गत सरकारी खेतों पर पांच किसान सूचना केन्द्रों के निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है, जिसमें बीज प्रजनन फार्म, झुल्लर, शाहपुर, जिला कांगड़ा, बीज प्रजनन फार्म, मिलवां, जिला कांगड़ा, बीज प्रजनन फार्म, जोगिंदर नगर, जिला मंडी, आलू विकास स्टेशन, खड़ापत्थर, जिला शिमला एवं बीज प्रजनन फार्म, मंजोली, नालागढ़, जिला सोलन शामिल है।

*सौर सिंचाई योजना के 127 कार्य प्रगति पर*

सौर सिंचाई योजना के अंतर्गत वित्त वर्ष 2025-26 में 2 करोड़ रुपए का बजट आवंटन किया गया है। प्रदेश के 26 उपमंडलों में 127 परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है जिस पर 1 करोड़ 63 लाख रुपए की राशि व्यय की जा रही है। इन योजनाओं से 128 हैक्टेयर भूमि लाभान्वित होगी। उन्होंने कहा कि जल से कृषि को बल योजना के तहत 1 करोड़ का बजट आवंटन किया गया है। प्रदेश के 26 उपमंडलों में 64 परियोजनाओं पर कार्य प्रगति पर है जिस पर लगभग 84 लाख रुपए की राशि व्यय की जा रही है। इन परियोजनाओं से 125 हेक्टेयर भूमि लाभान्वित होगी।

*प्राकृतिक खेती से जुड़े 48 हजार 685 किसान*

प्राकृतिक खेती के अंतर्गत प्रदेश में 1 लाख किसानों को जोड़ने का लक्ष्य है। अब तक 48 हजार 685 किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा गया है जिसमें 22 हजार 901 पुरुष एवं 25 हजार 784 महिला शामिल हैं। प्राकृतिक खेती के अंतर्गत वर्ष 2024-25 में 1509 किसानों से 3989 क्विंटल मक्का की खरीद 30 रुपए प्रति किलो के हिसाब से की गई है जिसमें 1 करोड़ 19 लाख रुपए का कुल प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) किया गया है। वही 838 किसानों से 2135 क्विंटल गेहूं की खरीद 60 रुपए प्रति किलो के हिसाब से की गई है जिसमें कुल 1 करोड़ 32 लाख रुपए का प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) किया गया है। प्राकृतिक खेती के अंतर्गत 61 किसानों से अब तक 127 क्विंटल हल्दी की खरीद 90 रुपए किलो के हिसाब से की गई है जिस पर 11 लाख 44 हजार रुपए की राशि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) किया गया है।

उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती से उगाई गई गेहूं का एमएसपी 40 रुपए से बढ़ाकर 60 रुपए प्रति किलोग्राम किया गया है। इसी प्रकार, प्राकृतिक खेती से उगाई गई मक्की का  एमएसपी 30 रुपए से बढ़ाकर 40 रुपए प्रति किलोग्राम किया गया है। प्राकृतिक खेती से उगाई गई मक्की और गेहूँ को खरीद केंद्रों तक पहुंचाने के लिए 2 रुपए प्रति किलोग्राम ट्रांसपोर्टेशन सब्सिडी की घोषणा की गई है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक प्राकृतिक खेती किसान परिवार से 20 क्विंटल तक अनाज खरीदा जा रहा है।

*जायका के तहत खर्च होंगे 154 करोड़* 

बैठक में जायका परियोजना फेज-2 के अंतर्गत होने वाले कार्यों पर विस्तृत चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि परियोजना के अंतर्गत वित वर्ष 2025-26 में विभिन्न मदों पर 154 करोड़ की राशि खर्च की जाएगी। इसके तहत बुनियादी ढांचा का विकास, किसानों का समर्थन, मूल्य श्रृंखला और बाजार विकास, संस्थागत विकास एवं परामर्श सेवाओं को सुदृढ़ किया जाएगा।

इसके अतिरिक्त, कृषि क्षेत्र में प्रदेश की लगभग 14 योजनाओं के तहत 117 करोड़ रुपए का बजट आवंटन किया गया है। वही राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत विभिन्न योजनाओं के लिए 78 करोड़ रुपए का आवंटन हुआ है। कृषि उन्नति योजना के तहत विभिन्न मदों पर 103 करोड़ की राशि का आवंटन हुआ है। कृषि मंत्री ने प्रदेश के सभी जिलों के अधिकारियों से सीधा संवाद स्थापित कर प्रदेश की कृषि व्यवस्था का विस्तृत जायजा लिया। 

प्रदेश सरकार ने पांगी उपमंडल को पूर्ण प्राकृतिक खेती उपमंडल घोषित किया है। यहाँ के किसानों द्वारा उत्पादित जौ के लिए 60 रुपए प्रति किलोग्राम का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर किसानों को बड़ी राहत प्रदान की गई है। अभी तक पांगी उपमंडल से 168 किसानों ने जौ के विक्रय हेतु विभाग के पास आवेदन किया है जिनसे 45 मीट्रिक टन जौ की खरीद की जाएगी। यह पहल अन्य क्षेत्रों के लिए भी एक प्रेरक मॉडल बन रही है। सचिव कृषि विभाग सी पाल रासु ने कृषि मंत्री का बैठक में पधारने पर स्वागत किया तथा योजनाओं का निर्देश अनुसार क्रियान्वयन का आश्वासन दिया। निदेशक कृषि विभाग डॉ जीत सिंह ने प्रदेश एवं केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न परियोजनाओं की जानकारी साझा की। बैठक में अतिरिक्त निदेशक कृषि विभाग डॉ रविंदर सिंह जसरोटिया, परियोजना निदेशक जायका डॉ सुनील चौहान सहित विभाग के संयुक्त निदेशक, उपनिदेशक सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।

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