थर्मोकोल पर बैन से पारंपरिक पत्तलों को मिलेगी नई पहचान, कारीगरों की आय भी बढ़ेगी (Video)

Edited By Ekta, Updated: 11 Jun, 2018 12:12 PM

हिमाचल सरकार ने पर्यावरण दिवस पर थर्मोकोल से बने डिस्पोजल प्लेट, गिलास और डोने आदि के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान कर दिया है। सरकार के इस निर्णय के बाद प्रदेश में पारंपिक रूप से बनाए जाने वाले पत्तल एक बार फिर से चर्चा में आ गए हैं। सीएम...

मंडी (नीरज): हिमाचल सरकार ने पर्यावरण दिवस पर थर्मोकोल से बने डिस्पोजल प्लेट, गिलास और डोने आदि के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान कर दिया है। सरकार के इस निर्णय के बाद प्रदेश में पारंपिक रूप से बनाए जाने वाले पत्तल एक बार फिर से चर्चा में आ गए हैं। सीएम जयराम ठाकुर ने खुद इस बात को कहा है कि सरकार इन पत्तलों के इस्तेमाल को बढ़ावा देगी।
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सीएम के अनुसार थर्मोकोल से बनी डिस्पोजल आइटम्स न सिर्फ पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी ठीक नहीं हैं। जब इनमें गर्म भोजन परोसा जाता है तो वो स्वास्थ्य के लिए घातक बन जाता है। इसी बात को ध्यान में रखकर सरकार ने इसपर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। साथ ही सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि टौर के पत्तों से जो पारंपरिक पत्तल बनाए जाते हैं उनके इस्तेमाल पर अधिक ध्यान दिया जाए।
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हिमाचल सरकार के इस फैसले से प्रदेश के उन चंद परिवारों की आय में बढ़ोतरी होने की संभावना है, जो इस कारोबार से जुड़े हुए हैं। प्रदेश में ऐसे परिवारों की संख्या काफी कम है, क्योंकि इन पत्तलों को बनाने में काफी मेहनत करनी पड़ती है और आमदनी काफी कम होती है। बता दें कि प्रदेश के जंगलों में टौर का पेड़ प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। इस पेड़ पर लगने वाले यह पत्ते काफी बड़े होते हैं। तीन या चार पत्तों को लकड़ी की छोटी तिलियों के साथ जोड़कर एक पत्तल बनाया जाता है। इन पत्तलों का इस्तेमाल सदियों से शादी समारोहों या अन्य प्रकार के सामूहिक भोज पर खाना परोसने के लिए किया जाता है। जमीन पर बैठकर हरे-हरे पत्तलों पर पारंपरिक भोजन खाने का मजा ही कुछ और होता है। 
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इन पत्तलों से न तो पर्यावरण को कोई नुकसान पहुंचता है और न ही शरीर को। इसलिए सरकार ने इनके प्रचलन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। इस कारोबार से जुड़े राजू ने बताया कि सरकार का यह फैसला सराहनीय है और सरकार को चाहिए कि इस कारोबार को और ज्यादा बढ़ावा दे। वहीं स्थानीय निवासी दुर्गा सिंह ने बताया कि टौर के पत्तों से बने पत्तल डिस्पोजल पत्तलों से कहीं ज्यादा बेहतर होते हैं और इनमें खाना खाने का अपना ही अलग मजा होता है।
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यह बात ठीक है कि आधुनिक युग में बहुत सी पारंपरिक वस्तुओं का विकल्प मिल गया है। लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि कुछ विकल्प पर्यावरण प्रिय नहीं हैं और इन्हीं में से एक पर सरकार ने प्रतिबंध लगाने का निर्णय ले लिया है। उम्मीद की जा सकती है कि सरकार के इस निर्णय से पारंपरिक पत्तल बनाने वालों के कारोबार में इजाफा होगा और इनके परिवार में भी खुशहाली आएगी।
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