हिमाचल का बेटा 24 साल की उम्र में बना IAS, सेल्फ स्टडी कर पाया देश भर में टॉप रैंक

Edited By Ekta, Updated: 29 Apr, 2018 10:42 AM

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सुंदरनगर के पुराना बाजार निवासी अभिषेक वर्मा आईएएस बन गए हैं। उसने यह मुकाम मात्र 24 साल की उम्र में हासिल किया है। वह जिला के पहले ऐसे छात्र बन गए हैं जिन्होंने पहली बार सिविल सर्विस परीक्षा में अव्वल रैंक हासिल करके नया आयाम स्थापित किया है।...

मंडी (पुरुषोत्तम): सुंदरनगर के पुराना बाजार निवासी अभिषेक वर्मा आईएएस बन गए हैं। उसने यह मुकाम मात्र 24 साल की उम्र में हासिल किया है। वह जिला के पहले ऐसे छात्र बन गए हैं जिन्होंने पहली बार सिविल सर्विस परीक्षा में अव्वल रैंक हासिल करके नया आयाम स्थापित किया है। परीक्षा में उन्हें इस बार ऑल एंडिया 32वीं रैंक हासिल हुई है जबकि वर्ष 2016 में भी उन्हें 961वां स्थान पहली बार परीक्षा देने पर मिला था जिस आधार पर उनकी नियुक्ति इंडियन ऑडिट एंड अकाऊंट्स सर्विस में हुई थी। आजकल शिमला में ही उनकी ट्रैंनिंग चल रही है। इस बीच उन्होंने अपनी मेहनत जारी रखी और बिना कोई कोचिंग लिए मात्र 7 से 8 घंटे पढ़ाई कर अब दूसरे प्रयास में शानदार प्रदर्शन करते हुए ऑल एंडिया 32वीं रैंक झटक ली। 
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वर्मा की प्रारंभिक पढ़ाई शिमला स्थित एडवर्ड स्कूल से हुई है और इसके बाद उन्होंने डी.पी.एस. रोहिनी दिल्ली से 12वीं पास कर आई.आई.टी. दिल्ली से 2016 में ही बी.टैक कंप्यूटर साईंस एंड इंजीनियरिंग में किया। उसके पिता मनोहर लाल वर्मा सी.पी.डब्ल्यू.डी. शिमला में अधिशासी अभियंता के पद पर हैं जबकि माता मधु वर्मा गृहणी है। बहन अंकिता वर्मा वर्ष 2014 में सिविल सर्विस परीक्षा पास कर  आई.आर.टी.एस. में चयनित हुई है। उनकी शादी कर्नाटका बैच के आई.ए.एस. (2015) रोशन से हुई है। 


आई.आई.टी. दिल्ली से 2016 में ही बी.टैक कंप्यूटर साईंस एंड इंजीनियरिंग में करने के बाद अभिषेक की प्लेसमैंट करीब 24 लाख के सालाना पैकेज पर हुई थी। लेकिन उन्होंने सिविल सर्विस परीक्षा पास करने की ठानी और पहले प्रयास में थोड़ा चुक जाने के बाद दूसरे प्रयास में शानदार वापसी करते हुए मात्र 24 वर्ष की उम्र में ऑल एंडिया 32वीं रैंक हासिल आई.ए.एस. बनने का सपना पूरा कर लिया। बकौल वर्मा उन्होंने पहले प्रयास में इस परीक्षा को हल्के में लिया और पास तो कर ली लेकिन रैंक में पिछड़ गए लेकिन दूसरे प्रयास को उन्होंने स्मार्ट हार्ड वर्क का नाम देकर अपने सपने को साकार किया। उन्होंने अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता व बहन को और रोल मॉडल अपने पिता को मानते हैं, जिनके सरकारी सेवा को समर्पण भाव ने उन्हें आई.ए.एस. बनने का जज्बा पैदा किया।     

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