Edited By Kuldeep, Updated: 28 Jul, 2024 06:17 PM

प्रदेश सरकार राज्य में राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना के प्रथम चरण में प्रत्येक पंचायत से 10 किसानों को रसायनमुक्त खेती यानी प्राकृतिक खेती से जोड़ेगी।
शिमला (भूपिन्द्र): प्रदेश सरकार राज्य में राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना के प्रथम चरण में प्रत्येक पंचायत से 10 किसानों को रसायनमुक्त खेती यानी प्राकृतिक खेती से जोड़ेगी। योजना के अंतर्गत राज्य में लगभग 36 हजार किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। योजना से जुड़ने वाले किसानों द्वारा प्राकृतिक रूप से तैयार गेहूं को 40 रुपए और मक्की को 30 रुपए प्रति किलो के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा।
देश में गेहूं और मक्की पर दिया जाने वाला यह सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य होगा। वर्तमान में प्रदेश के 1,78,643 किसान-बागवान परिवारों ने प्राकृतिक खेती पद्धति को अपनाया है। प्रदेश में 24,210 हैक्टेयर भूमि पर इस विधि से खेती की जा रही है और चरणबद्ध तरीके से प्रदेश के 9.61 लाख किसान परिवारों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। योजना के अंतर्गत वित्त वर्ष 2023-2024 में 1275.31 लाख रुपए व्यय कर 37,087 किसानों को लाभान्वित किया गया और 13,176 हैक्टेयर भूमि को प्राकृतिक भूमि के अधीन लाया गया है। प्राकृतिक खेती उत्पादों की बिक्री के लिए 10 मंडियों में स्थान निर्धारित कर आधारभूत अधोसंरचना का निर्माण किया जा रहा है।
76,000 से अधिक किसानों का पंजीकरण : चंद्र कुमार
कृषि मंत्री प्रो. चंद्र कुमार ने कहा कि प्रदेश में अब तक 76,000 से अधिक प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों का पंजीकरण किया जा चुका है और 74,283 किसानों-बागवानों को प्रमाण-पत्र दिए जा चुके हैं। यह प्रमाणीकरण पूरी तरह से नि:शुल्क है और पीजीएस द्वारा स्थापित मानकों को भी पूरा करता है। प्रदेश सरकार द्वारा प्रत्येक गांव में प्राकृतिक खेती संसाधन भंडार खोलने के लिए 10,000 रुपए तक की सहायता राशि प्रदान करने का भी प्रावधान है।