Edited By Kuldeep, Updated: 18 Sep, 2023 11:14 PM

हिमाचल में आई त्रासदी ने कई जख्म दिए हंै, जिसको भरने में समय लगेगा। आपदा से हुए नुक्सान पर सदन में शुरू हुई चर्चा में भाग लेते हुए विधायक विपिन सिंह परमार ने यह बात कही।
शिमला (राक्टा): हिमाचल में आई त्रासदी ने कई जख्म दिए हंै, जिसको भरने में समय लगेगा। आपदा से हुए नुक्सान पर सदन में शुरू हुई चर्चा में भाग लेते हुए विधायक विपिन सिंह परमार ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि प्रभावित लोगों को आपदा राहत राशि अधिकारी नहीं बल्कि कांग्रेस के नेता बांट रहे थे। उन्होंने कहा कि इसमें बड़ी बंदरबांट हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि जिलों में आपदा प्रबंधन के लिए हुई बैठकों में चुने हुए विधायकों को बाद में बुलाया गया, लेकिन जो हारे व नकारे लोग थे उनको बुलाकर उनसे सुझाव लिए गए। इस तरह की असंवेदनशीलता स्वीकार नहीं की जा सकती।
परमार ने कहा कि इस आपदा में मरने वालों की संख्या मात्र 441 ही नहीं है बल्कि कई ज्यादा लोगों की जानें इसमें गई हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मात्र 2 डैम ने अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाया है जबकि प्रदेश में 23 डैम हैं। जब पूर्व सूचना ही लोगों को समय पर नहीं मिलेगी तो कैसे उनका बचाव होगा, इस मामले में गंभीरता से सोचना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के लिए केंद्र सरकार हरसंभव मदद कर रही है और आगे भी करती रहेगी। उन्होंने कहा कि सरकार को डी.बी.टी के माध्यम से लोगों को राहत देनी चाहिए। उन्होंने आऊटसोर्स कर्मचारियों का मामला भी उठाया और कहा कि उनको नौकरी से निकाल दिया गया है, जिससे सरकार की संवेदनशीलता का पता चलता है।
परमार ने कहा-कांगड़ा में एक क्रशर चल रहा, सी.एम. ने कहा-कोई नहीं चल रहा
विपिन परमार ने क्रशर बंद किए जाने का मामला भी उठाया और कहा कि कांगड़ा में एक क्रशर चल रहा है। इस पर हस्तक्षेप करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई क्रशर नहीं चल रहा है। यदि चल रहा होगा तो संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। विपिन परमार ने कहा कि प्रदेश में सरकार सीमैंट महंगा कर जनता पर महंगाई थोप रही है। उन्होंने कहा कि रु माल को रजाई बनाने के प्रयास हो रहे हैं।
बहुत से लोग ऐसे जिनके नाम सूची में नहीं : जम्वाल
विधायक राकेश जम्वाल ने कहा कि बहुत से ऐसे लोग हैं, जिनका नुक्सान हुआ, लेकिन उनके नाम सूची में नहीं हैं। कुछ ऐसे हंै, जिनके घर को नुक्सान नहीं हुआ, उनको राहत राशि मिली। उन्होंने कहा कि आपदा के बाद लोगों को समय पर सुविधाएं नहीं मिलीं।