Edited By Vijay, Updated: 09 Nov, 2022 10:50 PM

विश्व धरोहर शिमला-कालका रेलवे ट्रैक के 119 वर्ष पूरे होने पर बुधवार को शिमला रेलवे स्टेशन पर 116 वर्ष पुराना स्टीम इंजन विशेष रूप से चलाया गया। स्टीम इंजन चलाए जाने पर इसे देखने के लिए स्थानीय लोग व पर्यटक कुछ देर के लिए रेलवे स्टेशन के आसपास ही...
शिमला (अभिषेक): विश्व धरोहर शिमला-कालका रेलवे ट्रैक के 119 वर्ष पूरे होने पर बुधवार को शिमला रेलवे स्टेशन पर 116 वर्ष पुराना स्टीम इंजन विशेष रूप से चलाया गया। स्टीम इंजन चलाए जाने पर इसे देखने के लिए स्थानीय लोग व पर्यटक कुछ देर के लिए रेलवे स्टेशन के आसपास ही रुके रहे। इस रेलवे ट्रैक का निर्माण कार्य वर्ष 1898 में शुरू हुआ था और ट्रैक का निर्माण कार्य वर्ष 1903 में पूरा हुआ था और 9 नवम्बर 1903 में रेल यातायात इस ट्रैक पर शुरू हो गया था। वर्ष 2008 में शिमला-कालका रेलवे ट्रैक को विश्व धरोहर घोषित किया गया था।
उल्लेखनीय है कि स्टीम इंजन को अभी भी रेलवे ने सहेज कर रखा है। कालका-शिमला ट्रैक पर स्टीम इंजन 1906 में अंग्रेजों ने चलाया था। 1971 तक स्टीम इंजन ट्रैक पर दौड़ता रहा। 1971 में सॢवस करने के बाद इस इंजन को ट्रैक पर चलाना बंद कर दिया गया। 2001 में स्टीम इंजन की मुरम्मत करवाई गई। यह इंजन शिमला में खड़ा रहता है और इसे पर्यटकों द्वारा बुक किए जाने पर ही चलाया जाता है। 520 केसी नामक यह स्टीम इंजन नाॅर्थ ब्रिटिश लोकोमोटिव कंपनी इंगलैंड द्वारा बनाया गया था।
शिमला रेलवे की धरोहर माने जाने वाले स्टीम इंजन की खास बात यह है कि इसकी छुक-छुक की आवाज सिर्फ स्टीम इंजन से पैदा होती है। स्टीम इंजन में भाप के पिस्टन में आगे पीछे चलने और बाहर निकलने से छुक-छुक की आवाज पैदा होती है। स्टीम इंजन में बजने वाली सीटी भाप के दबाव से ही बजती है। डीजल इंजन के मुकाबले स्टीम इंजन की सीटी ज्यादा तीखी और दूर तक सुनाई देने वाली होती है। इंजन में लाईट भी स्टीम से ही जलती है।
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