Edited By Kuldeep, Updated: 27 Mar, 2023 10:14 PM
हिमाचल प्रदेश में हरित हाईड्रोजन व अमोनिया परियोजना के माध्यम से 4,000 करोड़ रुपए का निवेश आएगा तथा इससे 3,500 से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान की उपस्थिति में यहां मैसर्ज एच.एल.सी. ग्रीन एनर्जी एल.एल.सी....
शिमला (कुलदीप): हिमाचल प्रदेश में हरित हाईड्रोजन व अमोनिया परियोजना के माध्यम से 4,000 करोड़ रुपए का निवेश आएगा तथा इससे 3,500 से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान की उपस्थिति में यहां मैसर्ज एच.एल.सी. ग्रीन एनर्जी एल.एल.सी. की ओर से प्रबंध निदेशक संजय शर्मा और प्रदेश सरकार की तरफ से उद्योग विभाग के निदेशक राकेश कुमार प्रजापति की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस अवसर पर कहा कि इससे हिमाचल प्रदेश को हरित हाईड्रोजन आधारित अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि हरित जलविद्युत उत्पादन के लिए विख्यात हिमाचल प्रदेश को अब इथेनॉल, हरित हाईड्रोजन, हरित अमोनिया व सौर ऊर्जा इत्यादि नवीनतम स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं को प्रोत्साहित कर, देश में स्वच्छ ऊर्जा हब की दिशा में आदर्श राज्य के रूप में स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने हिमाचल को वर्ष 2026 तक देश का प्रथम हरित ऊर्जा राज्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके लिए हरित ऊर्जा उत्पादन पर विशेष बल दिया जा रहा है।
हरित हाईड्रोजन नीति बनाएगी सरकार
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल को हरित हाईड्रोजन आधारित प्रमुख अर्थव्यवस्था बनाने के लिए हरित हाईड्रोजन नीति बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि हरित हाईड्रोजन में ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी लाने, उर्वरकों की कीमतों में कमी लाने और आयात विकल्प के रूप में देश की अर्थव्यवस्था में सहयोग करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि राज्य में जल संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने से ऊर्जा के इस विकल्प के उत्पादन के लिए हिमाचल के पास अनुकूल परिस्थितियां हैं।
ऊना व कांगड़ा जिले में परियोजना स्थापित होगी : हर्षवर्धन
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने के बाद कहा कि यह कंपनी प्रदेश में प्रतिवर्ष 0.3 मिलियन मीट्रिक टन हाईड्रोजन और 1.5 मिलियन मीट्रिक टन अमोनिया उत्पादित करेगी। इसके लिए लगभग 25 एकड़ भूमि, 300 मैगावाट ऊर्जा तथा करीब 50 हजार किलोलीटर जल सुविधा की आवश्यकता होगी। जल और अन्य संसाधनों की उपलब्धता के दृष्टिगत ऊना और कांगड़ा जिलों में यह परियोजना स्थापित की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इस परियोजना की स्थापना में कंपनी को पूर्ण सहयोग और हरसंभव सहायता प्रदान करेगी। उन्होंने प्रमोटर्ज को इस दिशा में शीघ्र विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा।