Shimla: हाईकोर्ट से बिना स्वीकृति नियुक्त एसएमसी और पीटीए शिक्षकों को बड़ी राहत

Edited By Kuldeep, Updated: 16 Sep, 2025 08:57 PM

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प्रदेश हाईकोर्ट ने बिना स्वीकृति नियुक्त एसएमसी और पीटीए शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने ऐसे अध्यापकों को नई नियुक्तियों की काऊंसलिंग में उक्त अनुभव प्रमाण पत्र के निर्धारित नंबर देने के आदेश जारी किए हैं।

शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने बिना स्वीकृति नियुक्त एसएमसी और पीटीए शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने ऐसे अध्यापकों को नई नियुक्तियों की काऊंसलिंग में उक्त अनुभव प्रमाण पत्र के निर्धारित नंबर देने के आदेश जारी किए हैं। अब संबंधित प्रधानाचार्यों द्वारा जारी 3 साल से अधिक के अनुभव प्रमाणपत्र को शिक्षकों की बैचवाइज अथवा सीधी भर्ती के लिए होने वाली काऊंसलिंग में गिना जा सकेगा। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने याचिकाकर्त्ता आनंद स्वरूप की याचिका को स्वीकारते हुए कहा कि याचिकाकर्त्ता द्वारा चयन समिति के समक्ष प्रस्तुत अनुभव प्रमाण पर विचार न करने का कारण पूरी तरह से अनुचित था। चयन समिति ने केवल इस आधार पर अनुभव प्रमाण पत्र के लिए डेढ़ अंक देने से मना कर दिया था कि उसकी नियुक्ति पीटीए द्वारा बिना स्वीकृति के की गई थी।

कोर्ट ने कहा कि ड्राइंग मास्टर के बैचवाइज भर्ती के लिए महत्वपूर्ण सरकारी/अर्ध-सरकारी संगठन का शिक्षण प्रमाण का होना था। चूंकि सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य ने प्रमाण पत्र जारी किया था, जिसमें यह प्रमाणित किया गया था कि याचिकाकर्त्ता ने विद्यालय में 3 वर्ष से अधिक समय तक कार्य किया है, इसलिए सरकारी अनुमति के बिना विद्यालय में उसकी नियुक्ति का प्रश्न, प्रासंगिक नहीं हो सकता। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्त्ता द्वारा रिकॉर्ड पर रखे शिक्षण प्रमाण पत्र पर विचार न करने के कारण उसके साथ अन्याय हुआ है। यदि चयन समिति ने याचिकाकर्त्ता द्वारा प्रस्तुत शिक्षण अनुभव प्रमाण पत्र पर विचार किया होता, तो उसे अन्य चयनित शिक्षक के स्थान पर चुना जाता।

याचिकाकर्त्ता की शिकायत थी कि उसे प्रधानाचार्य राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गुम्मा द्वारा जारी 3 वर्षीय शिक्षण प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए 1.5 अंक दिए जाने चाहिए थे। उसने 20.7.2009 से 21.6.2012 तक अर्थात बिना ग्रांट इन ऐड के पीटीए आधार पर 3 वर्ष तक सेवाएं दी थीं, इसलिए उसके प्रमाण पत्र पर विचार नहीं किया गया, जिसके परिणामस्वरूप, वह 1.5 अंकों का लाभ नहीं उठा पाया। कोर्ट ने कहा कि यदि चयन समिति ने याचिकाकर्त्ता द्वारा प्रस्तुत शिक्षण प्रमाण पत्र पर विचार किया होता, तो उसे 5.16 (3.66 1.5) अंक प्राप्त होते और ऐसी स्थिति में उसे नियुक्ति प्राप्त हो जाती। इन तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने शिक्षा विभाग को आदेश दिए कि वह प्रार्थी को बैक डेट से नियुक्ति प्रदान करे।

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