Edited By Kuldeep, Updated: 10 Jun, 2024 05:50 PM
![shimla high court industrial units electricity duty collection stop](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2024_6image_17_49_481583730court-ll.jpg)
हाईकोर्ट ने प्रदेश में स्थापित बड़ी और मध्यम औद्योगिक इकाइयों से साढ़े 16 फीसदी से अधिक इलैक्ट्रीसिटी ड्यूटी वसूलने पर रोक लगा दी है।
शिमला (मनोहर): हाईकोर्ट ने प्रदेश में स्थापित बड़ी और मध्यम औद्योगिक इकाइयों से साढ़े 16 फीसदी से अधिक इलैक्ट्रीसिटी ड्यूटी वसूलने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कानून के प्रावधानों के विपरीत अधिक बिजली शुल्क वसूले जाने पर प्रदेश सरकार द्वारा जारी आदेशों पर रोक लगाने के आदेश जारी किए। मैसर्ज ईस्टमैन ऑटो एंड पावर लिमिटेड बद्दी द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने ये आदेश पारित किए।
प्रार्थी संस्था के अनुसार 1 अगस्त 2015 से बड़े औद्योगिक उपभोक्ताओं और मध्यम औद्योगिक उपभोक्ताओं के संबंध में बिजली शुल्क 11 फीसदी तय किया गया था। 1 सितम्बर 2023 को जारी अधिसूचना के तहत इसे बढ़ाकर 17% और 19% तक कर दिया गया है। यह हिमाचल प्रदेश विद्युत (शुल्क) अधिनियम, 2009 की धारा 11 की उपधारा (2) के विपरीत है। इसके तहत राज्य सरकार अधिसूचना के माध्यम से केवल पहले से तय बिजली शुल्क में 50 फीसदी तक की बढ़ौतरी कर सकती है। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया कि बिजली की दर को 11 फीसदी से बढ़ाकर 17 फीसदी से 19 फीसदी तक करना अधिनियम की धारा 11 के विपरीत प्रतीत होता है। इसलिए कोर्ट ने सरकार को मध्यम उद्योगों और बड़े उद्योगों के संबंध में 16.5% से अधिक बिजली शुल्क एकत्र करने से रोकने के आदेश पारित किए।