Edited By Kuldeep, Updated: 27 Aug, 2024 04:35 PM
हिमाचल प्रदेश में कार्यशील गौसदनों में वर्ष 2021-22 से अब तक गत चार वर्षों में 17,767 पशुओं की मौत हुई है। गौसदनों में पशु मुख्यत: वृद्ध व शारीरिक रूप से कमजोर, अस्वस्थ, घायल पशु, लम्पी चमड़ी रोग से ग्रसित हैं।
शिमला (भूपिन्द्र): हिमाचल प्रदेश में कार्यशील गौसदनों में वर्ष 2021-22 से अब तक गत चार वर्षों में 17,767 पशुओं की मौत हुई है। गौसदनों में पशु मुख्यत: वृद्ध व शारीरिक रूप से कमजोर, अस्वस्थ, घायल पशु, लम्पी चमड़ी रोग से ग्रसित हैं। इस कारण यहां पर प्राकृतिक मृत्यु दर अधिक है। यह जानकारी कृषि एवं पशुपालन मंत्री प्रो. चंद्र कुमार ने विधानसभा में विधायक सुरेश कुमार व भुवनेश्वर गौड़ के लिखित सवाल के जवाब में दी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने गौवंश व बेसहारा गौवंश को आश्रय दिलाने के लिए गौसेवा आयोग का गठन किया है। सरकार नए गौसदनों के निर्माण के लिए प्राकलन राशि का 50 फीसदी या अधिकतम 10 लाख रुपए अनुदान देती है। साथ ही विस्तार के लिए 5 लाख रुपए की अनुदान राशि दी जाती है।
राज्य में वर्तमान में 245 गौसदन हैं जिनमें से 159 गौसेवा आयोग में पंजीकृत हैं। गौसदनों को सरकार ने प्रति गौवंश सहायता राशि 700 रुपए से बढ़ाकर 1200 रुपए कर दी है। राज्य में उन गौसदनों को सहायता राशि मुहैया करवाई जाती है जहां पर बेसहारा गौवंश की संख्या 30 से अधिक है। साथ ही वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी, सहायक निदेशक, उपनिदेशक नियमित रूप से गौसदन का भ्रमण करते हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में बढ़ती बेसहारा गौवंश की समस्या के निदान के लिए एक राज्य स्तरीय टास्क फोर्स के गठन का प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन है। टास्क फोर्स गौसदनों के निर्माण व रखरखाव से संबंधित सुझाव देगी। प्रदेश में गत एक वर्ष में 31 जुलाई, 2024 तक गौ तस्करी के 7 मामले पंजीकृत हुए हैं।
बिजली बोर्ड के पैंशनरों के 972.70 करोड़ बकाया
विधायक सुखराम चौधरी के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने बताया कि हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड लिमिटेड में 28206 सेवानिवृत्त कर्मचारी व अधिकारी हैं। इनकी पैंशन व अन्य मदों में कुल 972.70 करोड़ रुपए देय हैं जिसका भुगतान धनराशि की उपलब्धता के अनुसार चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है।