हिमाचल में इस निर्यात शुल्क से सरकार को होगी 20 से 25 करोड़ की आमदनी

Edited By Kuldeep, Updated: 07 Aug, 2024 09:21 PM

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प्रदेश सरकार ने हिमाचल में कत्थे पर निर्यात परमिट शुल्क लगाया है। यह पहला मौका है जब इस पर शुल्क लगाया गया है। अब कत्थे का निर्यात परमिट शुल्क 1500 रुपए प्रति क्विंटल अदा करना होगा।

शिमला (भूपिन्द्र): प्रदेश सरकार ने हिमाचल में कत्थे पर निर्यात परमिट शुल्क लगाया है। यह पहला मौका है जब इस पर शुल्क लगाया गया है। अब कत्थे का निर्यात परमिट शुल्क 1500 रुपए प्रति क्विंटल अदा करना होगा। इसके अलावा कत्थे से निकलने वाले कछ पर भी पहली बार 50 रुपए प्रति क्विंटल की दर से परमिट शुल्क लगाया गया है। इन दोनों से प्रदेश सरकार को वर्ष में 20 से 25 करोड़ रुपए की आमदनी होगी। हिमाचल प्रदेश वन उपज पारगमन (भूमि मार्ग) नियम 2013 के तहत हिमाचल के जंगलों में पैदा होने वाले औषधीय उत्पादों को राज्य से बाहर ले जाने के लिए अब परमिट फीस की अदायगी के लिए जेब ढीली करनी पड़ेगी।

राज्य सरकार ने जंगली जीरा, भोज पत्र, रत्नजोत सहित 92 से अधिक औषधीय उत्पादों पर लगने वाली परमिट फीस में दोगुनी बढ़ौतरी कर दी है। राज्य सरकार की ओर से बुधवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। पिछले काफी समय से इसमें संशोधन नहीं किया गया था। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि कंपनियां हिमाचल से इन उत्पादों को बाहर ले जाती हैं। बाद में महंगे दामों पर इन्हें बेचती हैं। यही उत्पाद लोग महंगे दामों पर खरीदते हैं। हिमाचल की वन संपदा की एवज में हिमाचल को ज्यादा कमाई नहीं होती जबकि कंपनियां मोटा मुनाफा कमा लेती हैं। सरकार ने प्रति क्विंटल की दर से इसमें दोगुना बढ़ौतरी की है।

किसमें कितनी बढ़ौतरी
जारी अधिसूचना के तहत मुख्य रूप से तालीस पत्र के पत्तों का परमिट शुल्क 125 से बढ़ाकर 250 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। इसी तरह खैर के हार्टवुड के निर्यात परमिट शुल्क को 250 से 500 रुपए प्रति क्विंटल, खैर वेस्ट 25 रुपए से 50 रुपए, वत्सनाभ/मोहरा के 7500 से 15 हजार, अतीस के 5 हजार से 10 हजार, मिथातेलिया/मिथा पाटिस के शुल्क को 1000 से 2 हजार, बासुती के 125 से 250, बीलगिरी फल के 500 से 1000, खन्नौर के बीज व फल के शुल्क में 150 से 300, नीलकंठी के पत्तों के शुल्क में 125 से 250 रुपए की बढ़ौतरी की गई है। इसी तरह रत्नजोत का निर्यात परमिट शुल्क 200 से बढ़ाकर 400 रुपए प्रति क्विंटल, शतावरी/सफेद मुसली का 200 से 400, कशमल की जड़ व तने का 200 से 400, भोज पत्र के बार्क का 500 से 1000 रुपए व ड्राई कोन का 200 से 400, काला जीरा 2 हजार से 4 हजार, तेज पत्र 500 से 1000, बिंदी फूल 125 से 250, बान हल्दी 150 से 300, सिंगली मिंगली 900 से 1800, आंवला 150 से 300, सोमलता पर परमिट शुल्क 200 से बढ़ाकर 400 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है।

वन लहसुन का परमिट शुल्क बढ़कर हुआ 20 हजार
वन लहसुन का निर्यात परमिट शुल्क 10 हजार प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 20 हजार रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। इसी तरह बिच्छु बूटी 150 से 300, वन हल्दी 100 से 200, जुफा 500 से 1000, धूप 500 से 1000, वन तुलसी 150 से 300, चिलगोजा 1000 से 2000, चील कोन 1000 से 2000, कैल कोन 500 से 1000, वन ककड़ी फल 250 से 500 व जड़ 450 से 900, तालीस पत्र 125 से 250, बुरांश 150 से 300, कश्मीरी पत्ता 150 से 300, चिरायता 700 से 1400, हरड़ 500 से 1000, गिलोय 125 से 250, नाग छत्तरी 8 हजार से 16 हजार, अश्वगंधा 200 से 400 तथा टिंबर का निर्यात परमिट शुल्क 250 रुपए से बढ़ाकर 500 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। इसके अलावा जो सूची में शामिल नहीं हैं उनके परमिट शुल्क को 100 से बढ़ाकर 200 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है।

चारकोल व फ्यूल वुड पर लगेगा शुल्क
राज्य में चारकोल व फ्यूल वुड पर भी शुल्क लगेगा। वन विभाग ने इससे संबंधित प्रस्ताव भी सरकार को भेजा है। सरकार ने पिछले साल सफेदा, पॉपुलर व बांस की लकड़ी व कुठ को प्रदेश से बाहर ले जाने पर लगी रोक को हटाया था।

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