गुस्साए बिजली बोर्ड इम्प्लाइज एवं अभियंता ज्वाइंट फ्रंट ने दी आंदोलन की चेतावनी

Edited By Kuldeep, Updated: 03 Jul, 2023 08:38 PM

shimla electricity board movement warning

हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड इम्प्लाइज एवं अभियंता ज्वाइंट फ्रंट मांगें पूरी न होने पर भड़क उठा है और अब आंदोलन की चेतावनी दे डाली है। फ्रंट के पदाधिकारियों व विद्युत कर्मियों का कहना है कि अभी तक न तो ओ.पी.एस. बहाल हुई है और न ही बड़े मसले हल...

शिमला (संतोष): हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड इम्प्लाइज एवं अभियंता ज्वाइंट फ्रंट मांगें पूरी न होने पर भड़क उठा है और अब आंदोलन की चेतावनी दे डाली है। फ्रंट के पदाधिकारियों व विद्युत कर्मियों का कहना है कि अभी तक न तो ओ.पी.एस. बहाल हुई है और न ही बड़े मसले हल हुए हैं, जिससे कर्मचारियों में भारी रोष है। बोर्ड मुख्यालय परिसर में अधीक्षण अभियंता एवं फ्रंट के कन्वीनर इंजीनियर लोकेश ठाकुर की अध्यक्षता में सोमवार को बैठक हुई, जिसमें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। राज्य विद्युत बोर्ड इम्प्लाइज एवं अभियंता ज्वाइंट फ्रंट के सह-संयोजक हीरालाल वर्मा ने बताया कि बिजली बोर्ड में पुरानी पैंशन का मामला लटका पड़ा है, वहीं वर्तमान प्रबंधन पर बिजली बोर्ड की संपत्तियों को दूसरे निगमों को हस्तांतरित करने का आरोप है, जिससे कर्मचारियों व अभियंताओं में भारी आक्रोश है। फ्रंट के कन्वीनर लोकेश ठाकुर ने बताया कि बैठक में निम्न मांगों को सर्वसम्मति से पारित किया गया और फैसला लिया कि अगले सप्ताह मुख्यमंत्री से प्रस्तावित बैठक में इन मांगों को सरकार के समक्ष उठाया जाएगा।

ये हैं फ्रंट की मुख्य मांगें
उन्होंने कहा कि मुख्य मांगों में बिजली बोर्ड में पुरानी पैंशन को तुरंत बहाल करने, बिजली बोर्ड के उत्पादन व संचार विंग से कोई छेड़छाड़ न करने और इनके हस्तांतरण से जहां प्रदेश के उपभोक्ताओं पर विद्युत दरों में बढ़ौतरी होगी, वहीं बोर्ड के कर्मचारियों की सेवा शर्तें प्रभावित होंगी। बिजली बोर्ड से पिछले दिनों हस्तांतरण की गई 4 छोटी जल विद्युत परियोजनाओं को बिजली बोर्ड के पास ही रखा जाए। यह परियोजना बोर्ड में अग्रिम चरण पर है और ऐसे में इन्हें ट्रांसफर करने से इनके निर्माण कार्य में लगभग 2 वर्ष की देरी होगी। बैठक में बिजली बोर्ड में की जा रही स्मार्ट मीटरिंग का विरोध किया और इसे जरूरत के हिसाब से चरणबद्ध तरीके से करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि बोर्ड की वित्तीय स्थिति बहुत खराब है और ऐसे में स्मार्ट मीटरिंग से जहां बोर्ड पर वितीय बोझ पड़ेगा, वहीं इससे उपभोक्ताओं की विद्युत दरों में लगभग 205 रुपए प्रतिमाह बढ़ौतरी होगी। ऊहल 100 मैगावाट की जल विद्युत परियोजना को भी बिजली बोर्ड के पास ही रखने की मांग की। फ्रंट ने बिजली बोर्ड में स्थायी प्रबंध निदेशक की मांग की है और कहा कि एडहॉक प्रबंधन से बोर्ड कार्यप्रणाली बुरी तरह से प्रभावित हो रही है।

 

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