Edited By Kuldeep, Updated: 28 May, 2025 09:56 PM

विमल नेगी मौत मामले की जांच प्रक्रिया के बीच अफसरशाही में सामने आई तालमेल की कमी को भांपते हुए प्रशासनिक स्तर पर बड़ा फेरबदल किया जा सकता है।
शिमला (कुलदीप): विमल नेगी मौत मामले की जांच प्रक्रिया के बीच अफसरशाही में सामने आई तालमेल की कमी को भांपते हुए प्रशासनिक स्तर पर बड़ा फेरबदल किया जा सकता है। इसके तहत संतोषजनक काम नहीं करने वाले अधिकारियों से महत्वपूर्ण महकमे छीने जा सकते हैं। इसी तरह जिन अधिकारियों के पास अतिरिक्त विभागों का जिम्मा है, उनको स्थायी तौर पर यह दायित्व सौंपा जा सकता है। प्रदेश सरकार में इस समय कई ऐसे अधिकारी हैं, जिनको महत्वपूर्ण विभाग नहीं सौंपे गए हैं। इसी तरह एचएएस से आईएएस बने 8 अधिकारियों में से कुछ को नया दायित्व सौंपा जा सकता है। सरकार ऐसा करके एक तीर से दो निशाने करना चाहती है।
पहला यह कि सरकार अफसरशाही पर नुकेल कसते हुए क्षमता के अनुसार विभागों का आबंटन करेगी और दूसरा अहम विभाग नहीं मिलने से नाराज कुछ अफसरों की नाराजगी को भी इससे दूर किया जा सकता है। जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने कुल्लू जिला के दौरे के बाद 31 मई को मुख्य सचिव के साथ महत्वपूर्ण बैठक करेंगे। इस बैठक में पूरी अफसरशाही की फाइल को खंगाला जाएगा, जिसके आधार पर तबादलों की सूची तैयार की जा सकती है।
ओंकार शर्मा को मिलने वाले विभाग पर सबकी नजर
अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा के अवकाश से लौटने के बाद उनको मिलने वाले विभाग पर सबकी नजर रहेगी। मौजूदा समय में उनके पास गृह, सतर्कता, राजस्व, जल शक्ति एवं जनजातीय विकास विभाग जैसे महत्वपूर्ण दायित्व थे। अब देखना यह है कि सरकार उनको किन विभागों का दायित्व सौंपती है।
पुलिस विभाग में भी फेरबदल संभव
डीजीपी-एसपी विवाद के बीच पुलिस विभाग में भी फेरबदल संभव है। मौजूदा डीजीपी का कार्यकाल इसी माह पूरा होने जा रहा है, जिसको देखते हुए प्रदेश पुलिस को नया मुखिया मिल सकता है। इसी तरह एसपी शिमला का दायित्व किसे सौंपा जाना है, यह भी चर्चा का विषय है। अवकाश पर गए मौजूदा एसपी संजीव गांधी डीजीपी पर पत्रकार वार्ता के माध्यम से सीधा हमले के कारण सुर्खियों में आए हैं।
इससे पहले वह वन मिनट ट्रैफिक प्लॉन के कारण भी सुर्खियों में आए थे। वन मिनट ट्रैफिक प्लान के कारण भी जनता के एक वर्ग में नाराजगी देखी गई थी, जिस कारण कई बार मिनटों का सफर तय करने में घंटे लग रहे थे। यानी ट्रैफिक के होल्डिंग प्वाइंट पर वाहनों की लंबी कतारें लग रही थी। इसी कारण बाद में पुलिस को अपने इस प्लान को रद्द करना पड़ा था।