Edited By Vijay, Updated: 15 May, 2024 05:08 PM
![sfi protest outside the office of vice chancellor](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2024_5image_17_08_193426046sfiinshimla-ll.jpg)
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) के कॉमर्स विभाग में पीएचडी की एक सीट पर प्रवेश देने पर उठे सवालों से जुड़े मामले को लेकर बुधवार को एसएफआई ने कुलपति कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया।
शिमला (अभिषेक): हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) के कॉमर्स विभाग में पीएचडी की एक सीट पर प्रवेश देने पर उठे सवालों से जुड़े मामले को लेकर बुधवार को एसएफआई ने कुलपति कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। एसएफआई ने इस मामले को लेकर अब तक कोई कार्रवाई न करने पर कड़ा रोष व्यक्त किया और उक्त प्रवेश को रद्द करने की मांग की। प्रदर्शन के दौरान एसएफआई कार्यकर्त्ताओं ने कुलपति कार्यालय में घुसने का प्रयास किया लेकिन वहां तैनात पुलिस कर्मियों ने उनको रोक लिया। इस बीच कार्यकर्त्ताओं और पुलिस कर्मियों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। प्रदर्शन के दौरान एसएफआई ने विश्वविद्यालय प्रशासन को पीएचडी में दिए गए उक्त प्रवेश को रद्द करने के लिए 2 दिन का अल्टीमेटम दिया, साथ ही चेतावनी दी कि अगर प्रवेश रद्द कर उचित कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
एसएफआई के इकाई अध्यक्ष संतोष व सचिव सन्नी सेक्टा ने कहा कि विश्वविद्यालय के कॉमर्स विभाग में पीएचडी की सीट एसटी वर्ग के लिए आरक्षित थी लेकिन इसे सामान्य वर्ग से भरा गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह आरक्षित सीटों को सामान्य वर्ग की सीटों से भरकर आरक्षण समाप्त करने का प्रयास विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा किया गया है। मामले को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच भी करवाई है। विश्वविद्यालय की डीएसडब्ल्यू प्रो. ममता मोक्टा की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी ने मामले की जांच रिपोर्ट विश्वविद्यालय के प्रो-वाइस चांसलर प्रो. राजेंद्र वर्मा को बीते 1 मई को सौंपी थी और रिपोर्ट को ध्यान में रखकर विश्वविद्यालय प्रशासन अगला कदम उठाएगा।
बता दें छात्र संगठनों ने बीते माह इस मामले को लेकर सवाल उठाए थे और आरोप लगाया था कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को पीएचडी में प्रवेश दिया गया है जबकि अनुसूचित जनजाति वर्ग की सीट को जनरल में बदलने का प्रावधान न तो विश्वविद्यालय के ऑर्डिनैंस में है और न ही यूजीसी की गाइडलाइन्स को मानते हुए प्रवेश प्रक्रिया अमल में लाई गई है।
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