Mandi Disaster: एसडीआरएफ के जवान बने सहारा, ऐसे बचाईं जानें और दुर्गम इलाकों तक पहुंचाई मदद

Edited By Vijay, Updated: 19 Jul, 2025 02:24 PM

sdrf soldiers became support in disaster

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सराज और आसपास के क्षेत्रों में 30 जून की मध्यरात्रि को प्रकृति ने अपना रौद्र रूप दिखाया। इस भीषण आपदा के बाद राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) ने....

मंडी (रजनीश): हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सराज और आसपास के क्षेत्रों में 30 जून की मध्यरात्रि को प्रकृति ने अपना रौद्र रूप दिखाया। इस भीषण आपदा के बाद राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) ने राहत और पुनर्वास कार्यों में एक बार फिर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका साबित की है। इन जाबांज जवानों ने मुश्किल से मुश्किल हालात में भी लोगों तक पहुंचने और उनकी मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

आपदा आते ही पंडोह से थुनाग तक पहुंचने वाले पहले बचाव दलों में एसडीआरएफ शामिल था। आपदा के ठीक अगले दिन 1 जुलाई को एसडीआरएफ के जवानों ने प्राथमिक प्रतिक्रिया दल के तौर पर बगस्याड़ तक पहुंचने में सफलता पाई। रास्ते में गिरे विशाल पेड़ों को हटाते हुए इन जवानों ने मुश्किलों को पार किया और प्रभावित क्षेत्र तक पहुंचे।
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अगले ही दिन बगस्याड़ से एसडीआरएफ की टीम पैदल ही थुनाग पहुंची। वहां से उन्होंने सैटेलाइट फोन के जरिए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को नुक्सान की पूरी जानकारी दी। यह जानकारी राहत कार्यों की योजना बनाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हुई। 3 जुलाई को टीम थुनाग से आगे बढ़ी और रास्ते में गिरे पेड़ों को हटाते हुए जंजैहली तक पहुंची। इसी दिन 12 जवानों की एक दूसरी टीम बाढ़ और भूस्खलन में लापता हुए लोगों की तलाश के लिए थुनाग पहुंची।

एसडीआरएफ ने 4 जुलाई को आपदा प्रभावित ग्राम पंचायत नेहरी सुनाह के थुंडी गांव के निवासियों तक राशन और दवाइयां पहुंचाईं, जो उस वक्त पूरी तरह से कट गए थे। अगले दिन टीम रोड गांव के लिए राहत सामग्री लेकर रवाना हुई। इसी दौरान जंजैहली में फंसे लोगों को निकालने का काम भी तेजी से शुरू हुआ।

एसडीआरएफ ने जंजैहली से दो गर्भवती महिलाओं को रायगढ़-करसोग होते हुए सुरक्षित मंडी पहुंचाया, जिससे उन्हें समय पर चिकित्सा सुविधा मिल सके। जंजैहली में फंसे 63 पर्यटकों को भी एसडीआरएफ के जवानों ने सुरक्षित बाहर निकाला, जो उनकी उल्लेखनीय उपलब्धि थी। एक और गर्भवती महिला को जंजैहली से शंकरदेहरा के रास्ते सुरक्षित निकालने में भी एसडीआरएफ का अहम योगदान रहा।
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लापता लोगों की तलाश में भी एसडीआरएफ ने कोई कसर नहीं छोड़ी। एक टीम पंडोह डैम से पटीकरी तक खोज अभियान में लगाई गई, जबकि एक अन्य टीम को ड्रोन ऑपरेशन के लिए थुनाग में तैनात किया गया। जंजैहली में तैनात टीम ने रूशाड़ गांव में पांडवशिला से लंबाथाच तक व्यापक खोज अभियान चलाया। ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करते हुए एसडीआरएफ के दल ने लंबाथाच ग्राम पंचायत के लेह नकतेरा गांव के लोगों तक जरूरी दवाइयों की किट पहुंचाई। इसके अतिरिक्त थुनाग क्षेत्र के दो और गांवों में प्राथमिक चिकित्सा किट और दवाइयां पहुंचाई गईं, जहां तक पहुंचना मुश्किल था।

बाद में एसडीआरएफ का दल कार्गो ड्रोन के माध्यम से 15 किलोग्राम की राहत सामग्री किट जंजैहली के बायला गांव तक पहुंचाने में सफल रहा। थुनाग में तैनात ड्रोन टीम ने केओली पंचायत के भगैड़ा और चियूणी पंचायत के घयारधार तक दवाइयों और फर्स्ट एड की तीन किट पहुंचाईं। थाच गांव में दो राशन किट और दवाइयां, और जांशल पंचायत में दवाइयों की एक किट भी ड्रोन के जरिए पहुंचाई गई। एसडीआरएफ अभी भी देजी और पंडोह से पटीकरी की ओर खोज अभियान में निरंतर अपनी भूमिका निभा रहा है। इन जवानों का समर्पण और बहादुरी ही है, जिसने मंडी जिले के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के लिए उम्मीद की किरण जगाई है।

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