श्री नैना देवी मंदिर में 5 अगस्त से लगेंगे सावन मेले, जानिए क्या है मंदिर का इतिहास

Edited By Rahul Singh, Updated: 03 Aug, 2024 07:38 PM

sawan fair will be held in shri naina devi temple from august 5

हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर में स्थित शक्तिपीठ श्री नैनादेवी मंदिर में 5 अगस्त से 13 अगस्त तक सावन का मेला आयोजित होगा। इस विशेष अवसर पर मंदिर परिसर में विशेष आयोजन और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ की उम्मीद है।

हिमाचल डैस्क : हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर में स्थित शक्तिपीठ श्री नैनादेवी मंदिर में 5 अगस्त से 13 अगस्त तक सावन का मेला आयोजित होगा। इस विशेष अवसर पर मंदिर परिसर में विशेष आयोजन और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ की उम्मीद है। सावन के महीने में आयोजित होने वाला यह मेला मंदिर परिसर में एक धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आकर पूजा अर्चना करेंगे और विशेष धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेंगे।

आयोजन की तैयारी में प्रबंधन
मंदिर प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन ने मेला आयोजन के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। सुरक्षा व्यवस्था, स्वच्छता, और यातायात प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया गया है ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। श्री नैनादेवी मंदिर एक प्रमुख शक्तिपीठ है और सावन के महीने में यहां भक्तों की संख्या बहुत अधिक होती है। यह मेला श्रद्धालुओं के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है और यहां आकर वे देवी नैनादेवी की कृपा प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं। मेला के दौरान भारी भीड़ की संभावना को देखते हुए यातायात और पार्किंग व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं।

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नैना देवी माता का इतिहास

1. ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व:
नैना देवी माता एक प्रमुख हिन्दू देवी हैं, जिन्हें शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। उनके मंदिर का मुख्य स्थल हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित है। यह मंदिर माता सती के एक अंग के यहां गिरने की मान्यता के आधार पर स्थापित हुआ था।

2. पौराणिक कथा:
माना जाता है कि माता सती, भगवान शिव की पत्नी, ने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में आत्मदाह कर लिया था। इसके बाद, शिव ने सती के शव को लेकर आकाश में भ्रमण किया, जिससे सृष्टि में अराजकता फैल गई। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भगवान विष्णु ने सती के शव को 51 टुकड़ों में काटा और पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों पर फैला दिया। ये स्थान शक्तिपीठों के रूप में पूजे जाते हैं। नैना देवी उन स्थानों में से एक है जहाँ सती की आंखें गिरी थीं।

3. मंदिर का निर्माण:
माना जाता है कि नैना देवी मंदिर का निर्माण मध्यकालीन काल में हुआ था, लेकिन इसका धार्मिक महत्व प्राचीन काल से ही रहा है। मंदिर की वर्तमान संरचना का निर्माण 19वीं सदी में महाराजा रणजीत सिंह ने कराया था।

4. धार्मिक उत्सव और मेले:
नैना देवी मंदिर में सालभर में कई प्रमुख धार्मिक उत्सव और मेले आयोजित होते हैं, जिनमें सावन का मेला विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इस समय हजारों श्रद्धालु दूर-दूर से माता के दर्शन करने के लिए यहाँ आते हैं।

5. विशेषताएँ:
मंदिर परिसर में माता नैना देवी की तीन दिव्य छवियाँ स्थापित हैं: माता नैना, माता काली, और माता सरस्वती। इस मंदिर का पौराणिक और धार्मिक महत्व श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, और यह एक प्रमुख तीर्थ स्थल भी माना जाता है।
 

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