इस आदेश के जारी होने के बाद किन्नर कैलाश यात्रा पर लगी रोक

Edited By Kuldeep, Updated: 13 Jul, 2024 09:03 PM

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विश्व प्रसिद्ध पवित्र किन्नर कैलाश यात्रा पर तांगलिंग देवता परकाशांकरस ने हाल ही में प्रतिबंध लगाया था।

रिकांगपिओ (रिपन): विश्व प्रसिद्ध पवित्र किन्नर कैलाश यात्रा पर तांगलिंग देवता परकाशांकरस ने हाल ही में प्रतिबंध लगाया था, जिसके बाद प्रशासन ने 4 जून को इस यात्रा को तांगलिंग गांव के मार्ग को छोड़ पूर्बनी गांव से शुरू करने के लिए पूर्बनी, तांगलिंग तथा पोवारी गांव के स्थानीय कमेटी व पंचायत प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी तथा बैठक में कमेटी व पंचायत प्रतिनिधियों ने किन्नर कैलाश यात्रा को शुरू करने को लेकर अपने देवताओं के समक्ष अर्जी लगाने के लिए शासन-प्रशासन को आश्वासन दिया था। वहीं 13 जुलाई को इस यात्रा को शुरू करने को लेकर पूर्बनी व पोवारी, तांगलिंग गांव के देवताओं से किन्नर कैलाश यात्रा शुरू करने को लेकर आदेश होना था तथा आदेशों के अनुसार इस यात्रा को लेकर देवता परकाशांकरस मंदिर कमेटी ने परकाशांकरस के जारी सख्त आदेश से पूर्बनी गांव के देवता ईश्वर नारायण व शक्ति नागस मंदिर कमेटी को भी अवगत करवाया है तथा फिर से किन्नर कैलाश यात्रा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है।

परकाशांकरस मंदिर मोहतमीन बलदेव नेगी ने इस विषय में बताया कि देवता परकाशांकरस ने किन्नर कैलाश यात्रा को शुरू करने से बिल्कुल मनाही की है और इस यात्रा को रिब्बा के देवता कासुराजस ने भी प्रतिबंध लगाया है, जिसके भी आदेश जारी हुए हैं। उन्होंने बताया कि यदि देवता परकाशांकरस के आदेशों की सख्ती से पालना नहीं होती है और प्रशासन किन्नर कैलाश यात्रा को शुरू करता है तो किसी अप्रिय घटना के होने पर प्रशासन स्वयं जिम्मेदार होगा। वहीं इस बारे डी.सी. किन्नौर डा. अमित कुमार शर्मा ने बताया कि किन्नर कैलाश यात्रा को लेकर आगामी समय में फिर से बैठक की जाएगी।

गंदगी फैलाने तथा जड़ी-बूटियों को नुक्सान पहुंचाने पर लगाई रोक
गौर हो कि किन्नर कैलाश यात्रा जिला प्रशासन की ओर से हर वर्ष अगस्त माह के पहले हफ्ते के बाद आधिकारिक तौर पर शुरू की जाती है तथा इस यात्रा में प्रदेश और प्रदेश के बाहर से भी हजारों श्रद्धालु कैलाश दर्शन के लिए आते हैं। इस दौरान श्रद्धालुओं द्वारा बहुमूल्य जड़ी-बूटियों, पहाड़ी ब्रह्म कमल व कई अन्य जंगली सम्पदाओं को भी नुक्सान पहुंचाया जाता रहा है तथा इधर-उधर गंदगी फैलाने से वातावरण प्रदूषण के साथ-साथ प्राकृतिक जल स्रोत भी दूषित हो रहे हैं। इस कारण स्थानीय देवताओं के रुष्ट होने के कारण किन्नर कैलाश यात्रा पर इस वर्ष भी स्थानीय देवताओं के आदेश के बाद रोक लगा दी गई है, ताकि कैलाश स्थली की पवित्रता बनी रहे।

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