Mandi: सरकार के प्रोत्साहन से रची सफलता की कहानी, बैरी की रक्षा देवी बनीं आत्मनिर्भरता की मिसाल

Edited By Vijay, Updated: 18 May, 2025 11:23 AM

raksha devi of bairi became an example of self reliance

प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाएं एवं कार्यक्रम लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं। सरकार की ओर से मिले प्रोत्साहन एवं स्वयं की मेहनत से ग्रामीण स्तर पर महिलाएं अब आत्मनिर्भर हिमाचल की संकल्पना को साकार करने में अपना अहम योगदान दे रही हैं।

मंडी (रजनीश): प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाएं एवं कार्यक्रम लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं। सरकार की ओर से मिले प्रोत्साहन एवं स्वयं की मेहनत से ग्रामीण स्तर पर महिलाएं अब आत्मनिर्भर हिमाचल की संकल्पना को साकार करने में अपना अहम योगदान दे रही हैं। इन्हीं में से एक हैं रक्षा देवी। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी रक्षा देवी कभी एक गृहिणी के तौर पर सामान्य रूप से अपना जीवन यापन कर रही थीं। सरकार से मिली मदद एवं मार्गदर्शन ने उनके जीवन की धारा ही बदल दी। आज वे एक सफल उद्यमी के रूप में कार्य कर रही हैं और तीन अन्य महिलाओं को रोजगार भी दिया है।

बल्ह घाटी के मैरमसीत क्षेत्र में बैरी गांव की रक्षा देवी ने बताया कि पहले वह एक गृहिणी थीं। शीतला स्वयं सहायता समूह की सदस्य बनने के बाद उन्होंने अपने हुनर को पहचाना। सरकार के प्रोत्साहन से इन समूहों से जुड़कर महिलाएं घर-द्वार पर ही उत्पाद तैयार कर अपनी आजीविका कमा सकती हैं। उन्होंने बताया कि मोटे अनाज के उत्पाद जैसे मल्टीग्रेन कचौरी, मल्टीग्रेन सिड्डू, कोदरे की चाय और मिठाइयां इत्यादि बनाने का प्रशिक्षण उन्हें कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर से मिला है। इसी बीच उनके गांव में हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना जाइका (जापान इंटरनैशनल को-ऑप्रेशन एजैंसी) शुरू हुई। रक्षा देवी ने बताया कि वह केवीएम की प्रधान भी हैं।
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बकौल रक्षा देवी उनका समूह अपने हाथों से मल्टीग्रेन आटा, कोदरे, जौ, चावल तथा ज्वार का आटा, लोकल चावल, लाल चावल, अलसी, लोकल सीरा, क्राफ्ट तथा बहुत सा हैंडमेड सामान तैयार करता है। इसके अलावा हम कचौरी ऑर्डर पर या रोजाना दुकान पर भी बनाते हैं। उनका दावा है कि उनके उत्पाद प्राकृतिक खेती से तैयार किए गए हैं जोकि जहर मुक्त हैं और स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद हैं।

एसडीएम कार्यालय सुंदरनगर के समीप स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार उत्पादों की बिक्री के उद्देश्य से जायका के तहत रिटेल आऊटलेट शीतला स्वयं सहायता समूह की सदस्य रक्षा देवी को दिया गया। इस समूह का गठन खंड परियोजना प्रबंधन इकाई (बीपीएमयू) मंडी के तहत किया गया है। समूह मुख्य रूप से बाजरा उत्पादों जैसे लड्डू और पंजीरी और स्थानीय रूप से बने उत्पादों जैसे अचार, चटनी, स्क्वैश, घी, शहद और मक्का, ज्वार, धान, रागी के आटे और हस्तशिल्प पर काम कर रहा है। स्व-निर्मित उत्पादों की खरीद के लिए प्रदेश भर के लगभग 15 अन्य समूहों के साथ भी जुड़ा है। वर्तमान में रिटेल आऊटलेट से प्रतिमाह लगभग एक लाख रुपए की आमदनी हो रही है।
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सितम्बर 2024 से समूह ने मोटे अनाज के खाद्य पदार्थ जैसे सिड्डू, चाय और कचौरी बनाना भी शुरू किया है। खाद्य पदार्थों के प्रति ग्राहकों की भारी मांग को देखते हुए शीतला स्वयं सहायता समूह हर सोमवार और गुरुवार को सरसों का साग और मक्की की रोटी तथा राजमाह-चावल तैयार कर रहा है। न्यायालय, सरकारी अस्पताल सुंदरनगर, आतमा कृषि परियोजना, पुलिस स्टेशन के कर्मचारी नियमित आधार पर बिक्री दुकान पर आते हैं। उत्पादों की गुणवत्ता के बारे में दैनिक ग्राहकों से बहुत सराहनीय प्रतिक्रिया मिल रही है। गुणवत्ता बनाए रखने और सुधारने में समूह की दक्षता के परिणामस्वरूप ही व्यापक बाजार और ग्राहकों में बढ़ौतरी हो रही है।

प्रदेश सरकार का धन्यवाद करते हुए रक्षा देवी ने कहा कि रिटेल आऊटलेट से हम अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि रिटेल आऊटलेट में 3 महिलाएं काम कर रही हैं जिनके लिए भी रोजगार का रास्ता खुल गया है। इसके अतिरिक्त विभिन्न गांवों से भी महिलाएं घर पर ही उत्पाद बनाने का काम कर रही हैं, उनके लिए भी रोजगार का साधन बना है।
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