Edited By kirti, Updated: 20 Oct, 2019 05:04 PM
सिस्टम की लाचारी काहे या लापरवाही जिला सिरमौर के पहाड़ी इलाकों में एक अध्यापक के सहारे पूरा स्कूल चलता है। पहाड़ी चढ़कर छात्र और छात्राएं शिक्षा ग्रहण करने के लिए शिक्षा के मंदिर में पहुंचते हैं पर मात्र एक अध्यापक के सहारे 52 बच्चों का भविष्य चलता...
सिरमौर(ब्यूरो): सिस्टम की लाचारी काहे या लापरवाही जिला सिरमौर के पहाड़ी इलाकों में एक अध्यापक के सहारे पूरा स्कूल चलता है। पहाड़ी चढ़कर छात्र और छात्राएं शिक्षा ग्रहण करने के लिए शिक्षा के मंदिर में पहुंचते हैं पर मात्र एक अध्यापक के सहारे 52 बच्चों का भविष्य चलता है यही नहीं जब अध्यापक का ध्यान पढ़ाई में कम और फोन में ज्यादा हो तो ऐसे में छात्रों के ऊपर कैसा असर पड़ सकता है।
ताजा मामला जिला सिरमौर के पंचायत खुड के साथ लगते गांव शाचि तिरमलटी गांव का है जहां पर राजकीय प्राथमिक पाठशाला स्कूल मैं 35 छात्रा और 17 छात्र शिक्षा ग्रहण करने के लिए पहुंचते हैं। 52 छात्र विभिन्न गांव से शिक्षा ग्रहण करने के लिए पहुंचते हैं पर पढ़ाने वाले अध्यापक आधे समय फोन पर व्यस्त होते हैं। गांव के बुद्धिजीवी अनिल कुमार ने बताया कि एक अध्यापक के सहारे पूरा स्कूल चल रहा है जोकि आधे समय स्कूल में उपस्थित नहीं होते और आधी समय फोन में व्यस्त रहते हैं।
ऐसे में बच्चों के साथ खिलवाड़ हो रहा है। अगर स्कूल की समस्या से विधायकों तक अवगत करवाने के लिए विधायकों को ढूंढना महाभारत हो गया है। रेणुका विधायक विनय कुमार पश्चात गंगूराम के प्रचार में व्यस्त हैं। पूर्व प्रधान रमेश कुमार से जब बात की तो उन्होंने कहा कि सरकार दावे तो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के कर रही है। लेकिन यहां की बेटियां कई किलोमीटर का सफर तय करके शिक्षा ग्रहण करने के लिए पहुंचती है पर अध्यापकों की अनदेखी से शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रही है। यहां की बेटियां बाहर बोर्ड पर एबीसीडी देखकर अपने घर वापस जाना पड़ रहा है।