Una: ठठल गांव में कारखाने के आसपास जलस्रोतों से आ रहा विषैला पानी, किसानों में आक्रोश

Edited By Jyoti M, Updated: 11 Sep, 2025 11:30 AM

poisonous water coming from water sources around the factory in thathal village

कर्करोग होने के अगर वैज्ञानिक आधार को मानें तो जल, वायु व जमीन के अंदर बढ़ रहा प्रदूषण ही इसका मुख्य कारक है। पंजाब के बठिंडा में जिस प्रकार अत्याधुनिक रसायनों के इस्तेमाल के साथ कारखानों से निकलने वाले विषैले पदार्थों ने समूचे बठिंडा को कैंसर बैल्ट...

अम्ब, (विवेक): कर्करोग होने के अगर वैज्ञानिक आधार को मानें तो जल, वायु व जमीन के अंदर बढ़ रहा प्रदूषण ही इसका मुख्य कारक है। पंजाब के बठिंडा में जिस प्रकार अत्याधुनिक रसायनों के इस्तेमाल के साथ कारखानों से निकलने वाले विषैले पदार्थों ने समूचे बठिंडा को कैंसर बैल्ट के रूप में कुख्यात किया, उसका सबक भी किसी ने नहीं लिया है। उपमंडल अम्ब के ठठल गांव में एक कारखाने के आसपास के जलस्त्रोत विषैला पानी उगल रहे हैं, लोग भयभीत हैं लेकिन अभी तक संबंधित महकमे की नींद नहीं टूटी है।

ऐसा भी नहीं है कि यह समस्या पहली बार पनपी। वर्ष 2021 में जब यह समस्या उजागर हुई तो मामला प्रशासनिक अधिकारियों के संज्ञान में आने के साथ ग्राम पंचायत के संज्ञान में भी आया। उस समय फैक्टरी प्रबंधन व ग्रामीणों के बीच लिखित समझौता हुआ और एक 5 सदस्यीय कमेटी का भी गठन हुआ। खैर उस समय मामला शांत हो गया। अब एक बार फिर से जब फैक्टरी के आसपास के बोरवैल झागयुक्त पानी छोड़ रहे हैं तो लोगों में आक्रोश पनप रहा है। जाहिर है कि किसी भी उद्योग से फैक्टरी का कोई भी दूषित पानी बिना ट्रीट किए न तो खुले में छोड़ा जा सकता है और न ही उसे जमीन के अंदर डाला जा सकता है। अब जब बोरवैल झागयुक्त पानी छोड़ने लगे तो किसानों ने इन बोरवैल से पानी के सैंपल जांच के लिए जल शक्ति विभाग की अम्ब स्थित वाटर टैस्टिंग लैब के साथ चंडीगढ़ भी भेजे। बताया जा रहा है कि दोनों जगह पानी के सैंपल फेल हो गए।

पानी में ऐसे तत्व पाए गए जो स्वस्थ इंसान के लिए घातक हैं। ठठल गांव के राजेश कुमार कहते हैं कि औद्योगिक विकास भी क्षेत्र के विकास के लिए बेहद जरूरी है लेकिन औद्योगिक विकास का यह मतलब नहीं कि यह विनाश की इबारत लिखे। गांव का जल, जमीन और वायु अगर दूषित होंगे तो निश्चित तौर पर इसका प्रभाव गांववासियों के स्वास्थ्य पर पड़ेगा। इसी गांव के संजीव कुमार कहते हैं कि प्रदेश सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित कर रही है लेकिन अगर जमीन के अंदर ही जल दूषित हो रहा है और यही जल फसलों की सिंचाई के लिए प्रयोग होगा तो हम अनाज नहीं, बल्कि जहर उगाएंगे। जाहिर है कि कहीं न कहीं प्रदूषण नियंत्रण विभाग भी इसके लिए जिम्मेदार है। अगर समय-समय पर उद्योगों में स्थापित प्रदूषण नियंत्रण यंत्रों की जांच हो तो औद्योगिक विकास के साथ-साथ आम जनजीवन भी सुगम होगा, अन्यथा कहीं ऐसा न हो कि जिला ऊना हिमाचल प्रदेश का बठिंडा बने।

उधर प्रदूषण नियंत्रण विभाग के सहायक पर्यावरण अभियंता प्रवीण कुमार का कहना है कि जिन बोरवैल से झागयुक्त पानी आ रहा है, उनके सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे जाएंगे। ग्राम पंचायत प्रधान ज्योति अमन का कहना है कि पहले भी यह मामला पंचायत में आया था। जिस पर दोनों पक्षों में समझौता हुआ था। अब फिर एक शिकायत पत्र आया है। उधर फैक्टरी प्रबंधक का कहना है कि फैक्टरी से जीरो डिस्चार्ज है। फिर भी कल किसानों के साथ बैठक रखी है और जो भी समस्या होगी, उसका समाधान किया जाएगा। 

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