Edited By Jyoti M, Updated: 26 May, 2025 09:50 AM

प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी राजमार्गों सहित शिमला शहर के भीतर अवैध और अनधिकृत टैक्सी स्टैंड/संरचनाओं को हटाने के आदेश जारी किए हैं। जनहित याचिका में लोक निर्माण विभाग द्वारा कोर्ट को सौंपी गई स्टेटस रिपोर्ट के माध्यम से बताया गया है कि टैक्सी...
शिमला, (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी राजमार्गों सहित शिमला शहर के भीतर अवैध और अनधिकृत टैक्सी स्टैंड/संरचनाओं को हटाने के आदेश जारी किए हैं। जनहित याचिका में लोक निर्माण विभाग द्वारा कोर्ट को सौंपी गई स्टेटस रिपोर्ट के माध्यम से बताया गया है कि टैक्सी चलाने वाले व्यक्तियों द्वारा शिमला शहर के विभिन्न स्थानों जैसे ऑकलैंड, गवर्नमैंट डिग्री कॉलेज संजौली, संजौली बस स्टॉप, ढली चौक, छोटा शिमला सचिवालय के पास, लक्कड़ बाजार, कसुम्पटी बाजार और संजौली कस्बे में कुछ अवैध और अनधिकृत संरचनाएं बनाई गई हैं, जो वाहनों की आवाजाही में असुविधा पैदा कर रही हैं।
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई के पश्चात कहा कि इन स्थानों में से कुछ बिंदु, अर्थात् छोटा शिमला, ऑकलैंड और कसुम्पटी, वर्तमान मुद्दे का विषय नहीं हैं। फिर भी टैक्सियों को चलाने के लिए बनाए गए अनधिकृत टैक्सी स्टैंड/संरचनाओं को कानून के अनुसार प्रदेश के राजमार्गों सहित शिमला शहर के सभी स्थानों से हटाया जाना जरूरी है। कोर्ट को बताया गया कि आई.जी.एम.सी. से ढली तक सड़क का भाग हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग के अधिकार क्षेत्र में है। लोक निर्माण विभाग की स्टेटस रिपोर्ट में बताया गया कि एच.आर.टी.सी. सहित हितधारक विभागों ने उक्त सड़क से सभी बेकार खड़े वाहनों को हटा दिया है।
रिपोर्ट में स्थानीय निवासियों द्वारा रात के समय निर्माणाधीन मकानों से मलबा फैंकने का मुद्दा भी उठाया गया है, जो सड़क पर यातायात में अड़चनें पैदा करता है। अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई को साबित करने के लिए कुछ तस्वीरें भी संलग्न की गई हैं। कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट का अध्ययन करने पर कहा कि हलफनामे में हटाए गए वाहनों की संख्या और किस विभाग ने वाहनों को हटाया है तथा उक्त वाहनों को कहां डंप किया गया है, इसका कोई उल्लेख नहीं है। कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग को उपरोक्त आदेशों की अनुपालना सहित सभी विवरण देते हुए बेहतर हलफनामा दायर करने के आदेश जारी किए।
कोर्ट ने कहा कि आधिकारिक प्रतिवादियों के लिए यह छूट है कि वे संबंधित विभागों के अधिकारियों की प्रभावी तैनाती करके डंप किए गए 'मलबे' के मुद्दे के संबंध में प्रभावी कदम उठाएं तथा ऐसा करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कानून के अनुसार किसी भी अवैध डंपिंग के संबंध में दंडात्मक कार्रवाई करें। कोर्ट ने कहा कि नगर निगम, शिमला क्षेत्र के साथ-साथ सौंदर्यीकरण या पैदल रास्ते बनाने के लिए उत्तरदायी है, ताकि उक्त क्षेत्र के लाभ के लिए दीर्घकालिक योजना बनाई जा सके, इसलिए नगर निगम शिमला को इसके आयुक्त के माध्यम से जनहित याचिका में प्रतिवादी के रूप में पक्षकार बनाया गया है।