ऑटोमोबाइल क्षेत्र को संकट से निकालने की बजाए बगले झांक रहे मंत्री : राजेंद्र राणा

Edited By kirti, Updated: 08 Sep, 2019 04:00 PM

mla rajendra rana

विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि अर्थव्यवस्था में मंदी के इस दौर ने पूरे देश में व्यापार को चौपट करने के साथ-साथ ऑटोमोबाइल क्षेत्र को गहरे संकट में डाल दिया है और इस वर्ष अप्रैल से अगस्त के अंत तक चार लाख लोग नौकरियां गवा चुके हैं जबकि दस लाख लोगों...

हमीरपुर: विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि अर्थव्यवस्था में मंदी के इस दौर ने पूरे देश में व्यापार को चौपट करने के साथ-साथ ऑटोमोबाइल क्षेत्र को गहरे संकट में डाल दिया है और इस वर्ष अप्रैल से अगस्त के अंत तक चार लाख लोग नौकरियां गवा चुके हैं जबकि दस लाख लोगों की नौकरी पर खतरे की तलवार लटकी हुई है। उन्होंने कहा है कि ऑटोमोबाइल क्षेत्र को संकट से निकालने में मोदी सरकार व वित्त मंत्रालय पूरी तरह विफल रहा है और मोदी सरकार के मंत्री सवाल पूछे जाने पर बगले झांक रहे है।

आज यहां जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर को भी शुक्रवार को दिल्ली में वाहन-कलपुर्जे बनाने वाली कंपनियों के संगठन एसीएमए को संबोधित करने के दौरान उस समय फजीहत का सामना करना पड़ा जब वहां मौजूद एक व्यवासायी ने अनुराग ठाकुर को टोकते हुए कहा कि कि मोदी सरकार द्वारा की गई नोटबंदी का खामियाजा ऑटोमोबाइल क्षेत्र भुगत रहा है और इसी नोटबंदी के दुष्प्रभावों की वजह से वाहन क्षेत्र में मंदी छाई हुई है। उन्होंने कहा कि वित्त राज्य मंत्री उस व्यवसायी के सवाल का जवाब तक नहीं दे पाए। उन्होंने कहा कि यह घटना तो सिर्फ एक ट्रेलर है आने वाले दिनों में जनता मोदी सरकार के मंत्रियों से जगह-जगह पूछेगी कि देश की अर्थव्यवस्था पाताल में क्यों चली गई है और लाखों लोगों की नौकरियां चले जाने का जिम्मेदार कौन है।

उन्होंने कहा कि नोटबंदी की तीसरी बरसी भी आने को है लेकिन इसके दुष्प्रभावों के कुचक्र से अभी तक देश बाहर नहीं निकल पाया है। उन्होंने कहा करीब 3 साल पहले 8 नवम्बर, 2016 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने अचानक टी.वी. पर आकर राष्ट्र को संबोधित करते हुए 500 और 1000 रुपए के नोटों को खत्म करने का ऐलान करके तकरीबन 17 लाख करोड़ रुपए मूल्य की मुद्रा को चलन से बाहर कर दिया और यह दलील दी थी कि इससे काले धन पर रोक लगेगी और जाली मुद्रा बाहर होगी।उन्होंने कहा कि ऐसी तमाम दलीलें खोखली साबित हुईं हैं।

नोटबंदी के कारण देश के लघु उद्योग समाप्त हो गए, सेवा क्षेत्र में संकट आ गया, छोटे और मझोले किसानों को जबरदस्त नुक्सान झेलना पड़ा। उन्होंने कहा नोटबंदी से काला धन तो बाहर नहीं आया लेकिन सीधे तौर पर 5 नुक्सान देश को झेलने पड़े। जी.डी.पी. लुढ़क गई, बेरोजगारी बढ़ गई, बैंकों का कर्ज बढ़ गया, सरकार की कमाई नहीं बढ़ी और आम आदमी की बचत घट गई। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा देश में की गई नोटबंदी और जीएसटी अपना विकराल रूप दिखाने लगी है और इसका खामियाजा देश की अर्थव्यवस्था और जीडीपी उठा रही है। जिसके कारण लाखों लोगों की नौकरियां तो गई हीं , साथ ही हजारों बिज़नेस भी तबाह हो गए हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले 5 सालों के दौरान मोदी सरकार ने आरबीआई से 54 हजार करोड रूपया उठाकर एक नया कीर्तिमान बनाया और अब मोदी सरकार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए उठाने जा रही है, जो यह साबित करता है कि देश की अर्थव्यवस्था किस तरह मंदी के चिंतनीय दौर में है। उन्होंने कहा कि रोजगार देने के मामले में भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग देश में सबसे अग्रणी माना जाता रहा है. लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में यह उद्योग बहुत गहरे संकट से गुजर रहा है. जिसके चलते लाखों का रोजगार दांव पर लग गया है। उन्होंने कहा मोदी सरकार अपने वायदे के अनुरूप देश के लाखों बेरोजगारों को तो रोजगार दे नहीं पाई लेकिन पहले से जो लोग रोजगार में थे, उन्हें भी मोदी सरकार की गलत नीतियों ने घर बिठा दिया है।
 

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