हिमाचल के हर मंदिर ट्रस्ट में तैनात हों HAS व IAS अधिकारी : राजेंद्र राणा

Edited By Vijay, Updated: 11 Feb, 2020 08:29 PM

mla rajender rana in hamirpur

कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि सरकार प्रदेश के मंदिरों में चढ़ावे की आमदन से अर्जित आय के सदुपयोग को सुनिश्चित करवाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मंदिर धार्मिक पर्यटन व मंदिरों के आसपास के क्षेत्रों के विकास की नई इवारत लिख सकते हैं बशर्ते...

हमीरपुर (ब्यूरो): कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि सरकार प्रदेश के मंदिरों में चढ़ावे की आमदन से अर्जित आय के सदुपयोग को सुनिश्चित करवाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मंदिर धार्मिक पर्यटन व मंदिरों के आसपास के क्षेत्रों के विकास की नई इवारत लिख सकते हैं बशर्ते दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति हो। उन्होंने कहा कि वित्तीय कुप्रंबधन के आरोपों से निरंतर घिरे मंदिर ट्रस्टों की कार्यप्रणाली लगातार शक व संंदेह के घेरे में है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में सरकारी व गैर-सरकारी ट्रस्टों की आमदन जहां बेरोजगारों के लिए वरदान साबित हो सकती है तो वहीं इस आमदन के दम पर मंदिरों के आसपास के क्षेत्रों को विकसित क्षेत्रों के तौर पर स्थापित किया जा सकता है लेकिन देखा यह गया है कि इस आमदन से सरकारी मंदिर ट्रस्टों का काम आमदन और खर्च को बराबर करना मात्र साबित हो रहा है जबकि गैर-सरकारी ट्रस्टों में करोड़ों की इस आमदन से मात्र एक मुखिया या पुजारी महंत या संत उस आमदन पर नैतिक व अनैतिक तरीके से ऐश कर रहा है।

उन्होंने कहा कि मंदिरों से चढ़ावे की आमदन जो धार्मिक यात्रियों द्वारा विकास की आस में चढ़ाई जाती है वह आमदन धार्मिक यात्रियों को भी मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाने में नाकाम साबित हुई है। नयनादेवी ट्रस्ट हो, चिंतपूर्णी ट्रस्ट हो या माता ब्रजेश्वरी, ज्वाला जी व चामुंडा जैसे प्रख्यात शक्तिपीठ हों या बाबा बालक नाथ जैसे प्रसिद्ध सिद्धपीठ सभी सरकारी ट्रस्टों का प्रबंधन अभी तक पुराने ढर्रे पर चल रहा है। जब इन सरकारी ट्रस्टों की आमदन लाखों रुपए सालाना थी तब भी इनकी व्यवस्था को राजस्व तहसीलदार स्तर के अधिकारी देखते थे और आज जब इनकी आमदन सालाना सैंकड़ों करोड़ से काफी ऊपर है तब भी व्यवस्था को उसी स्तर के अधिकारी देख रहे हैं जबकि बदलते परिवेश में अब मंदिर ट्रस्टों में एचएएस या आईएएस अधिकारियों को तैनात करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा प्रदेश में संैकड़ों निजी मंदिर ट्रस्ट हैं, जिनकी प्रबंधन व्यवस्था को समय की मांग के अनुसार सरकारी नियंत्रण में लेना जरूरी है। अगर इस ओर सरकार गंभीरता से प्रयास करे व धार्मिक यात्रियों को माकूल सुविधाएं दे तो आने वाले समय में प्रदेश के सरकारी व गैर-सरकारी मंदिर ट्रस्ट प्रदेश में हर साल पहुंचने वाले 2 करोड़ से ज्यादा पर्यटकों के आसरे प्रदेश के पर्यटन को परवान चढ़ा सकते हैं। सरकार को इस दिशा में गंभीरता से सोचना चाहिए।

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