Edited By Jyoti M, Updated: 16 Dec, 2024 12:11 PM
मंडी शहर व आसपास के क्षेत्रों में हो रही अवैध डंपिंग से जहां सड़कों का अस्तित्व सिकुड़ता जा रहा है, वहीं नदी-नालों व खड्डों का दायरा भी कम होता जा रहा है, जोकि बरसात के दौरान तबाही का संकेत है।
मंडी, (रीता): मंडी शहर व आसपास के क्षेत्रों में हो रही अवैध डंपिंग से जहां सड़कों का अस्तित्व सिकुड़ता जा रहा है, वहीं नदी-नालों व खड्डों का दायरा भी कम होता जा रहा है, जोकि बरसात के दौरान तबाही का संकेत है। अहम बात यह है कि प्रशासन व नगर निगम के आदेशों के बावजूद लोग बेखौफ होकर अवैध डंपिंग कर रहे हैं। इसी के चलते पर्यावरण प्रेमी व अन्य समाजसेवी संस्थाएं चिंतित हैं और प्रदेश सरकार, प्रशासन व नगर निगम से ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग उठा रही हैं।
इनका कहना है कि भले ही प्रदेश सरकार ने नए आदेश जारी कर अवैध डंपिंग पर 1 लाख रुपए तक का जुर्माना करने के भी आदेश दिए हैं, लेकिन फिर भी अवैध डंपिंग करने वाले नहीं सुधर रहे हैं। मंडी शहर व इसके साथ लगती अन्य जगहों पर भी अवैध डंपिंग के बाद मलबे के ढेर लगे हुए हैं। सबसे अधिक अवहेलना सड़क निर्माण कार्यों में लगे ठेकेदारों द्वारा की जा रही है, जोकि बेधड़क होकर नदी-नालों व सड़क किनारे अवैध डंपिंग कर रहे हैं। अगर शहर की बात करें तो ब्यास नदी और सुकेती खड्ड में सबसे ज्यादा दिन-रात अवैध डंपिंग हो रही है। इसके अलावा बाईपास व पुलघराट में ही अवैध डंपिंग की जा रही है।
नरेंद्र सैणी, अध्यक्ष, देव भूमि पर्यावरण रक्षक मंच ने कहा कि अवैध डंपिंग करने वालों के खिलाफ हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सख्त कार्रवाई करे, खासकर कंपनियों और ठेकेदारों को बिना नोटिस के पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड अधिक जुर्माना करे।
इसके साथ ही वन विभाग, लोक निर्माण विभाग, प्रशासन व नगर निगम भी इन लोगों पर कड़ी नजर रखें, ताकि जिससे पर्यावरण को हो रहे नुक्सान से राहत मिल सके।
दिनेश कुमार, जनरल सैक्रेटरी, देव भूमि पर्यावरण रक्षक मंच ने कहा कि अवैध डंपिंग से हो रहे नुक्सान को लेकर सरकार, प्रशासन व नगर निगम को कड़े कदम उठाने चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी सजा व जुर्माना किया जाना चाहिए ताकि नदी- नालों व खड्डों के अस्तित्व को बचाया जा सके।