Himachal: भूकंप के सबसे खतरनाक जोन में शामिल है मंडी जिला, जानें कैसे कर सकते हैं बचाव

Edited By Vijay, Updated: 09 Aug, 2024 02:00 PM

mandi district is included in the most dangerous zone of earthquake

भारत में हर साल सैंकड़ों भूकंप आते हैं, जिनमें से कुछ हल्के, कुछ मध्यम और कुछ बेहद शक्तिशाली होते हैं। भारत में भूकंपीय क्षेत्र को 4 मुख्य क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जो इस बात को दर्शाते हैं कि किसी विशेष क्षेत्र में भूकंप का खतरा कितना है।

हिमाचल डैस्क: भारत में हर साल सैंकड़ों भूकंप आते हैं, जिनमें से कुछ हल्के, कुछ मध्यम और कुछ बेहद शक्तिशाली होते हैं। भारत में भूकंपीय क्षेत्र को 4 मुख्य क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जो इस बात को दर्शाते हैं कि किसी विशेष क्षेत्र में भूकंप का खतरा कितना है। ये क्षेत्र जोन 2, जोन 3, जोन 4, और जोन 5 के रूप में जाने जाते हैं, जहां जोन 2 सबसे कम खतरे वाला और जोन 5 सबसे अधिक खतरे वाला क्षेत्र है। 

भारत के भूकंपीय क्षेत्र
जोन 2: सबसे कम भूकंपीय जोखिम वाला क्षेत्र है। इसमें आने वाले क्षेत्रों में भूकंप का खतरा कम होता है।
जोन 3: मध्यम भूकंपीय जोखिम वाला क्षेत्र है। इसमें भूकंप का खतरा थोड़ा अधिक होता है।
जोन 4: उच्च भूकंपीय जोखिम वाला क्षेत्र है। इसमें आने वाले क्षेत्रों में भूकंप का खतरा काफी अधिक होता है।
जोन 5: सबसे अधिक भूकंपीय जोखिम वाला क्षेत्र है। इसमें आने वाले क्षेत्रों में बड़े और विध्वंसकारी भूकंप का खतरा बहुत अधिक होता है।

हिमाचल प्रदेश का मंडी जिला भी जोन-5 में आता है। यह भारत का सबसे अधिक भूकंपीय जोखिम वाला क्षेत्र है, जो इसे भूकंप के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाता है। शुक्रवार को भी जिला में 3.3 की तीव्रता वाला भूकंप आया है। 

भूकंपीय जोन 5 की खतरनाक स्थिति
भूकंपीय जोन 5 में आने वाले क्षेत्र सबसे अधिक खतरनाक माने जाते हैं क्योंकि इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर विध्वंसकारी भूकंप आने की संभावना अधिक होती है। इस क्षेत्र में भूवैज्ञानिक गतिविधियां अधिक होती हैं, जिसके कारण जमीन में अचानक हलचल, झटके और बड़ी दरारें उत्पन्न हो सकती हैं। हिमाचल प्रदेश का मंडी जिला भी एक ऐसा क्षेत्र है, जहां भूकंप के कारण भारी नुक्सान की संभावना होती है। इसलिए यहां की इमारतों और अन्य संरचनाओं को भूकंप प्रतिरोधक तकनीकों से बनाया जाना चाहिए।

सावधानी और सुरक्षा उपाय
मंडी जैसे उच्च भूकंपीय खतरे वाले क्षेत्रों में निम्नलिखित सुरक्षा उपाय अपनाए जा सकते हैं:
भूकंप प्रतिरोधक भवन निर्माण: इमारतों को इस तरह से डिजाइन किया जाना चाहिए कि वे भूकंप के झटकों को सहन कर सकें।
सतर्कता और तैयारियां: भूकंप के दौरान और उसके बाद के लिए लोगों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
आपातकालीन योजनाएं: आपातकालीन स्थिति में सुरक्षित स्थानों की जानकारी और वहां पहुंचने की योजना बनाई जानी चाहिए।

उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील माना जाता है और जोन 4 व 5 में शामिल है। वर्ष 1905 में राज्य के कांगड़ा और चम्बा जिलों में विनाशकारी भूकम्प आने से 10 हजार से अधिक लोग मारे गए थे। 

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