Hamirpur: मुख्यमंत्री के सपने को साकार कर रहे हैं गांव हरनेड़ के ललित कालिया

Edited By Jyoti M, Updated: 26 May, 2025 09:40 AM

lalit kalia of harned village is making the chief minister s dream come true

प्राकृतिक खेती में हिमाचल प्रदेश को एक आदर्श राज्य बनाने के लिए कृतसंकल्प मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के सपने को साकार करने के लिए कृषि विभाग और आतमा परियोजना के माध्यम से किसानों को बड़े पैमाने पर प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया जा रहा है।...

 

हमीरपुर। प्राकृतिक खेती में हिमाचल प्रदेश को एक आदर्श राज्य बनाने के लिए कृतसंकल्प मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के सपने को साकार करने के लिए कृषि विभाग और आतमा परियोजना के माध्यम से किसानों को बड़े पैमाने पर प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री के इस संकल्प को साकार करने के लिए प्रदेश के कई प्रगतिशील किसान भी आगे आ रहे हैं। इन्हीं किसानों में से एक हैं जिला हमीरपुर के बमसन ब्लॉक के गांव हरनेड़ के ललित कालिया। पूरी तरह से प्राकृतिक विधि से खेती कर रहे प्रगतिशील किसान ललित कालिया अब भारत के प्राचीन देसी बीजों के संरक्षण एवं वितरण में भी बहुत बड़ा योगदान दे रहे हैं। ये देसी बीज प्राकृतिक खेती में एक बड़ी क्रांति ला सकते हैं। क्योंकि, इन बीजों से प्रतिकूल मौसम में भी अच्छी पैदावार ली जा सकती है और ये पौष्टिक गुणों से भी भरपूर होते हैं।

रासायनिक खाद और जहरीले कीटनाशकों के दुष्प्रभावों को देखते हुए ललित कालिया ने कुछ वर्ष पूर्व प्राकृतिक खेती को अपनाने का निर्णय लिया तथा अपनी पुश्तैनी जमीन पर प्राकृतिक विधि से फसलें लगानी शुरू कीं। ललित कालिया की इस पहल को कृषि विभाग की आतमा परियोजना के अधिकारियों के मार्गदर्शन ने नए पंख प्रदान किए। आतमा परियोजना के माध्यम से ललित कालिया हिमआर्या नेटवर्क के संपर्क में आए और प्राकृतिक खेती को बल देने के लिए उनके मन में पुराने देसी बीजों के संरक्षण का विचार आया। आज उन्होने अपने घर में ही गेहूं और मक्की के साथ-साथ कई पारंपरिक मोटे अनाज, दलहनी और तिलहनी फसलों तथा सब्जियों के प्राचीन देसी बीजों का एक अच्छा-खासा बैंक तैयार कर लिया है।

उनके पास गेहूं की आठ किस्मों के देसी बीज उपलब्ध हैं। मक्की तथा जौ की भी देसी किस्में उन्होंने संरक्षित की है जोकि पौष्टिक गुणों से भरपूर हैं और कम बारिश में भी अच्छी पैदावार देती हैं। कई पारंपरिक एवं लुप्त होती मोटे अनाज की फसलें जैसे-मंढल, कोदरा, कौंगणी और बाजरा के बीज भी ललित कालिया के बीज बैंक में मिल जाते हैं। सरसों और तिल की कई पुरानी किस्मों, दलहनी फसलों में कुल्थ, रौंग, माह तथा चने के देसी भी इस बीज बैंक में हैं। यहीं पर लहसुन, प्याज, भिंडी, घीया, कद्दू, रामतोरी, धनिया, मैथी और अन्य फसलों के पुराने एवं दुर्लभ बीज कृषि विशेषज्ञों के लिए कौतुहल एवं उत्सुकता का विषय बन चुके हैं।

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रयासों की सराहना करते हुए ललित कालिया का कहना है कि इस विधि से तैयार फसलों के लिए अलग से उच्च खरीद मूल्य का प्रावधान करके मुख्यमंत्री ने प्रदेश के किसानों को बहुत बड़ी सौगात दी है। ललित कालिया ने बताया कि उन्होंने पिछले सीजन में प्राकृतिक विधि से तैयार एक क्विंटल से अधिक मक्की बेची। इस सीजन में भी अपने परिवार की जरुरत के अलावा एक क्विंटल से अधिक गेहूं बेची और अच्छी आय अर्जित की। उनका कहना है कि प्रदेश सरकार के इन प्रयासों के निसंदेह, काफी अच्छे परिणाम सामने आएंगे और लोग बड़ी संख्या में प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर होंगे।

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