Edited By Vijay, Updated: 17 Dec, 2025 06:39 PM

हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले के उपमंडल चुराह में रात के अंधेरे में सरकारी जमीन से औषधीय पौधे 'कसमल' के अवैध दोहन को लेकर ग्रामीण मुखर हाे गए हैं। प्रशासन और वन विभाग की सुस्ती को देखते हुए अब स्थानीय लोगों ने खुद ही जंगलों की पहरेदारी शुरू कर दी है।
चम्बा/तीसा (सुभान दीन): हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले के उपमंडल चुराह में रात के अंधेरे में सरकारी जमीन से औषधीय पौधे 'कसमल' के अवैध दोहन को लेकर ग्रामीण मुखर हाे गए हैं। प्रशासन और वन विभाग की सुस्ती को देखते हुए अब स्थानीय लोगों ने खुद ही जंगलों की पहरेदारी शुरू कर दी है। ताजा मामला मंगलवार रात का है, जब कल्हेल क्षेत्र में ठेकेदार के मजदूर कसमल उखाड़ने में जुटे थे। इसकी भनक लगते ही ग्रामीण मौके पर पहुंच गए। लोगों ने न केवल कसमल उखाड़ रहे मजदूरों को वहां से खदेड़ा, बल्कि उनकी जमकर क्लास भी लगाई। ग्रामीणों का आरोप है कि दिन में रोक-टोक के डर से माफिया रात के अंधेरे में गाड़ियां भर-भर कर कसमल को डंपिंग साइटों तक पहुंचा रहा है।
निजी भूमि के नाम पर सरकारी जंगलों को बनाया जा रहा निशाना
नियमों के मुताबिक वन विभाग की अनुमति से निजी भूमि से केवल 40 प्रतिशत कसमल निकालने का प्रावधान है, लेकिन ग्रामीणों का दावा है कि जिन क्षेत्रों में अनुमति दी गई है, वहां निजी भूमि पर कसमल है ही नहीं। आरोप है कि ठेकेदार निजी भूमि की अनुमति की आड़ में सरकारी जंगलों को निशाना बना रहे हैं। लोगों का कहना है कि वन विभाग की मिलीभगत के बिना सरकारी जमीन से कसमल उखाड़ना संभव नहीं है। जिस विभाग पर जंगल बचाने की जिम्मेदारी है, वहां अब आम जनता को चौकीदारी करनी पड़ रही है।
प्राकृतिक आपदा की मार झेल चुका है चुराह
चुराह क्षेत्र हाल ही में प्राकृतिक आपदा की बड़ी मार झेल चुका है। भूस्खलन के कारण कई गांवों को प्रशासन द्वारा सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार के अनुसार अभी भी आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू है। ऐसे में कसमल की जड़ें उखाड़ने से पहाड़ों की मिट्टी ढीली हो रही है, जो भविष्य में एक और बड़ी प्राकृतिक आपदा को सीधा निमंत्रण है।
लोगों ने दी आंदोलन की चेतावनी
क्षेत्र के पंचायत प्रधानों ने एसडीएम से मिलकर कसमल के अवैध खनन पर पूर्ण रोक लगाने की मांग की है। वहीं, स्थानीय लोगों ने ठेकेदारों और वन विभाग को सख्त चेतावनी दी है कि यदि सरकारी जमीन से कसमल निकालना बंद नहीं हुआ और विभाग ने समय रहते कार्रवाई नहीं की तो लोग सड़कों पर उतरकर उग्र आंदोलन करेंगे।
क्या कहते हैं अधिकारी
इस मामले पर एसडीएम चुराह राजेश कुमार जरयाल ने कहा कि कसमल उखाड़ने का मामला उनके ध्यान में है। उन्होंने स्पष्ट किया कि नियमानुसार केवल निजी भूमि से वन विभाग की अनुमति के बाद 40 प्रतिशत कसमल ही निकाली जा सकती है। उन्होंने कहा कि सरकारी जमीन से कसमल उखाड़ने की शिकायतों को लेकर वन विभाग को कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।