Kangra: अब सरकारी स्कूल कोटला में पढ़ाएगा एआई रोबोट, डिजिटल स्मार्ट क्लासरूम तैयार

Edited By Jyoti M, Updated: 05 Oct, 2024 03:37 PM

kangra now ai robot will teach in government school kotla

हिमाचल प्रदेश के राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल कोटला ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहल की है। अब यहां छात्रों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) रोबोट के माध्यम से पढ़ाई कराई जाएगी। इसके लिए स्कूल में एक डिजिटल स्मार्ट क्लासरूम तैयार किया गया है,...

हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश के राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल कोटला ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहल की है। अब यहां छात्रों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) रोबोट के माध्यम से पढ़ाई कराई जाएगी। इसके लिए स्कूल में एक डिजिटल स्मार्ट क्लासरूम तैयार किया गया है, जिसमें 50 छात्रों के समूह को एक साथ पढ़ाने की व्यवस्था की गई है।

स्मार्ट क्लासरूम की विशेषताएँ

स्कूल में छठी से लेकर बारहवीं तक के 300 से अधिक विद्यार्थी पढ़ते हैं। इस स्मार्ट क्लासरूम में छात्रों को फिजिक्स, कैमिस्ट्री, ह्यूमैनिटीज और कॉमर्स जैसे विषयों में रोबोट पढ़ाएगा। रोबोट, जो कि गूगल आधारित है, कठिन से कठिन सवालों का जवाब देने में सक्षम है, जिससे छात्रों को गहन समझ और ज्ञान प्राप्त होगा।

प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग

रोबोट के माध्यम से शिक्षा देने के लिए केरल से एक विशेषज्ञ टीम ने स्कूल के शिक्षकों को प्रशिक्षण दे रही है। उल्लेखनीय है कि केरल भारत का पहला राज्य है जहां रोबोट के माध्यम से शिक्षा दी जा रही है।

15 लाख रुपये की लागत से बना रोबोट

इस अनोखी पहल का श्रेय दिवंगत दीवान संसार चंद के पौत्र सुधीर कायस्था को जाता है, जिन्होंने अपने दादा की याद में एसएनके फाउंडेशन के माध्यम से 15 लाख रुपये की लागत से रोबोट आइरिस (इंटेलिजेंट रोबोटिक्स इंटरएक्टिव सिस्टम) की स्थापना की है। सुधीर ने कहा कि उत्तर भारत में कहीं भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्लासेज की शुरुआत नहीं हुई है, और यह कदम विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा की दिशा में ले जाएगा।

विद्यालय की प्रधानाचार्य बबीता सहोत्रा ने इस पहल को सकारात्मक बताया और कहा कि यह एक सुखद अनुभव है कि बच्चों को शिक्षा में सुधार के लिए आधुनिक साधन उपलब्ध हुए हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस नई तकनीक का धीरे-धीरे सभी छात्रों को लाभ मिलेगा।

कोटला स्कूल की यह पहल शिक्षा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है, जो न केवल छात्रों को तकनीकी ज्ञान प्रदान करेगी, बल्कि उन्हें भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए भी तैयार करेगी। आधुनिक तकनीक के माध्यम से शिक्षा का यह नया अध्याय निश्चित रूप से बच्चों के लिए फायदेमंद साबित होगा।

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