Kangra: महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी अंजू बाला, नूरपुर में दौड़ाएगी एंबुलेंस

Edited By Jyoti M, Updated: 28 Apr, 2025 05:42 PM

kangra anju bala becomes an inspiration for women

जब जुनून दिल से होता है, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं रहती। यह कहावत सच कर दिखाई है 25 वर्षीय अंजू बाला ने, जो अब नूरपुर के नागरिक अस्पताल में एंबुलेंस चालक के रूप में अपनी सेवाएं देंगी। भरमौर से ताल्लुक रखने वाली अंजू ने अपनी मेहनत और आत्मविश्वास से न...

हिमाचल डेस्क। जब जुनून दिल से होता है, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं रहती। यह कहावत सच कर दिखाई है 25 वर्षीय अंजू बाला ने, जो अब नूरपुर के नागरिक अस्पताल में एंबुलेंस चालक के रूप में अपनी सेवाएं देंगी। भरमौर से ताल्लुक रखने वाली अंजू ने अपनी मेहनत और आत्मविश्वास से न केवल अपने सपने को पूरा किया, बल्कि समाज में महिलाओं के लिए एक नया आदर्श स्थापित किया है।

बचपन से था गाड़ियों का शौक

अंजू बाला का गाड़ियों के प्रति प्यार बचपन से था। वह हमेशा से ही गाड़ी चलाने में रुचि रखती थीं, लेकिन उनके लिए यह रास्ता आसान नहीं था। उनका यह शौक तब और बढ़ा जब उनके भाई ने उन्हें ड्राइविंग के लिए प्रेरित किया। भाई की मदद से अंजू ने ड्राइविंग सिखी और धीरे-धीरे इसे अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। पहले उन्होंने टैक्सी और अन्य व्यावसायिक वाहनों को चलाया, लेकिन उन्हें अपनी क्षमताओं को और निखारने की आवश्यकता महसूस हुई।

एचआरटीसी ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र से लिया तकनीकी प्रशिक्षण

अंजू ने अपनी ड्राइविंग के शौक को पेशेवर दिशा देने के लिए जसूर के पास स्थित एचआरटीसी ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र में तकनीकी प्रशिक्षण लिया। यहाँ पर उन्हें ट्रैकिंग, इमरजेंसी परिस्थितियों में गाड़ी चलाने की कला और एंबुलेंस संचालन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली। इस प्रशिक्षण से उनकी ड्राइविंग क्षमताओं में जबरदस्त सुधार हुआ और उन्हें एंबुलेंस चालक बनने के लिए तैयार किया गया।

इंटरव्यू में दिखाया आत्मविश्वास

अंजू ने एंबुलेंस चालक के पद के लिए आयोजित इंटरव्यू में भी अपनी क्षमताओं को साबित किया। जनकल्याण सभा के अध्यक्ष, अखिल बख्शी के अनुसार, इस पद के लिए 15 उम्मीदवारों ने इंटरव्यू दिया था। लेकिन अंजू का आत्मविश्वास, आपातकालीन परिस्थितियों में निर्णय लेने की क्षमता और प्राथमिक चिकित्सा के प्रति उनकी संवेदनशीलता ने उन्हें सबसे अलग बना दिया। इन गुणों के कारण अंजू को इस प्रतिष्ठित जिम्मेदारी के लिए चुना गया।

महिलाओं के लिए बनीं प्रेरणा

अंजू बाला का सफर साधारण परिवार से शुरू हुआ था, लेकिन उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें समाज में एक नई पहचान दिलायी। अब अंजू कई युवतियों के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं। वह सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक अपनी ड्यूटी करती हैं, न केवल मरीजों को अस्पताल पहुंचाकर उनकी मदद करती हैं, बल्कि वह समाज में महिलाओं की ताकत और आत्मविश्वास की भी मिसाल बन रही हैं।

अंजू की कहानी यह साबित करती है कि यदि दिल में मेहनत और जुनून हो, तो किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। अब वह महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं, जो दिखाती हैं कि महिलाएं किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं, और अपने सपनों को पूरा कर सकती हैं।

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