Edited By Jyoti M, Updated: 18 Apr, 2025 03:51 PM

राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के अनुसार, अब शिक्षक स्कूल में रंग-बिरंगे, भड़काऊ कपड़े, स्किन फिट जींस, बिना कॉलर की टीशर्ट या शर्ट पहनकर नहीं आ सकेंगे।...
हिमाचल डेस्क। राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के अनुसार, अब शिक्षक स्कूल में रंग-बिरंगे, भड़काऊ कपड़े, स्किन फिट जींस, बिना कॉलर की टीशर्ट या शर्ट पहनकर नहीं आ सकेंगे। हालांकि यह ड्रेस कोड अनिवार्य नहीं है, लेकिन स्कूल स्तर पर प्रधानाचार्य और शिक्षक आपसी सहमति से इसे लागू करेंगे।
ड्रेस कोड लागू करने के पीछे उद्देश्य
शिक्षा सचिव राकेश कंवर द्वारा जारी पत्र में बताया गया है कि छात्रों की तरह ही शिक्षकों का पहनावा भी अनुशासित और मर्यादित होना चाहिए। अब तक शिक्षक अपनी मर्जी के कपड़े पहनकर स्कूल आ जाते थे, जिससे बच्चों पर गलत प्रभाव पड़ता था। शिक्षक कभी-कभी स्किन फिट जींस, चमकीले और भड़कते रंग के कपड़े पहनकर आते थे, जिससे छात्र भी उसी तरह के कपड़े पहनने की कोशिश करते हैं।
अब यह व्यवस्था लाई जा रही है कि शिक्षक औपचारिक (फॉर्मल) कपड़े पहनें जिससे उनका व्यक्तित्व और व्यवहार विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा बने। यह ड्रेस कोड उनके पेशेवर व्यवहार और स्कूल के अनुशासन को भी दर्शाएगा।
क्या पहन सकेंगे शिक्षक?
शिक्षकों को सोमवार से शुक्रवार तक फॉर्मल कपड़े पहनने होंगे। जैसे –
पैंट-शर्ट, ब्लेज़र (मेहरून या नीला रंग)
सलवार कमीज (दुपट्टे के साथ), स्ट्रेट पलाजो, पैंट-कमीज, साड़ी, चूड़ीदार सूट, औपचारिक पतलून-शर्ट
जूते भी औपचारिक और पेशेवर दिखने वाले होने चाहिए। खेल दिवस या विशेष अवसरों पर ट्रैक सूट की अनुमति दी गई है। महिला शिक्षिकाएं भारी और चमकदार गहने नहीं पहन सकेंगी।
कब पहन सकेंगे कैजुअल कपड़े?
सप्ताह में एक या दो दिन शिक्षकों को कैजुअल कपड़े पहनने की छूट दी गई है। यह दिन कौन-से होंगे, इसका निर्णय स्कूल का प्रधानाचार्य करेगा।
कौन तय करेगा ड्रेस कोड?
हर स्कूल का ड्रेस कोड स्कूल के प्रधानाचार्य, मुख्य अध्यापक और अन्य शिक्षकों के परामर्श से तय किया जाएगा। इस प्रक्रिया में सभी शिक्षकों की राय ली जाएगी ताकि किसी पर कोई जबरदस्ती न हो। स्कूल का माहौल अनुशासित और गरिमामयी बनाए रखना इस पहल का मुख्य उद्देश्य है।