Edited By Vijay, Updated: 05 Jul, 2024 04:57 PM
संगीत, स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी के बीच तालमेल बिठाकर व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों तरह की खुशहाली में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की जा सकती है। इसी क्षमता को पहचानते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी का सैंटर फाॅर इंडियन नाॅलेज सिस्टम एंड मैंटल हैल्थ...
मंडी (रजनीश): संगीत, स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी के बीच तालमेल बिठाकर व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों तरह की खुशहाली में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की जा सकती है। इसी क्षमता को पहचानते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी का सैंटर फाॅर इंडियन नाॅलेज सिस्टम एंड मैंटल हैल्थ एप्लीकेशन संगीत और संगीत चिकित्सा में अद्वितीय बाय रिसर्च (एमएस) और पीएचडी कार्यक्रम शुरू कर रहा है। इन कार्यक्रमों के लिए ऑनलाइन आवेदन 15 जुलाई तक स्वीकार किए जा रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए https://iksmha.iitmandi.ac.in/musopathy.php पर लागइन करें। यह पहल अंतः विषयी शिक्षा को बढ़ावा देने और भारतीय संगीत के सम्मानित क्षेत्र तथा तेजी से विकसित हो रहे संगीत चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान करने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
उच्च कुशल पेशेवरों और शोधकर्त्ताओं को तैयार करना है कार्यक्रमों का उद्देश्य
यह कार्यक्रम पूर्णकालिक और अंशकालिक दोनों छात्रों के लिए खुला है और योग्य उम्मीदवार कहीं से भी लाइव, ऑनलाइन या हाईब्रिड प्रारूप में इसका अध्ययन कर सकते हैं। चित्रवीणा एन. रवि किरण ने अग्रणी संगीत शिक्षा पोर्टल आचार्यनेट.कॉम के सहयोग से इस प्रोग्राम के कुछ हिस्से को डिजाइन किया है। संगीत और संगीत चिकित्सा (म्यूसोपैथी) में एमएस और पीएचडी कार्यक्रम शोध आधारित होते हैं, जिनका उद्देश्य उच्च कुशल पेशेवरों और शोधकर्त्ताओं को तैयार करना होता है जो संगीत के विकास और समझ में सार्थक योगदान दे सकें और व्यक्तियों और समाज पर इसके लाभकारी प्रभावों को समझ सकें, जिसमें म्यूसोपैथी का कल्याण केंद्रित क्षेत्र भी शामिल है। यह कार्यक्रम संगीत और संगीत चिकित्सा के बारे में गहन अध्ययन है। इन कार्यक्रमों को करने के बाद आप ऐसे विशेषज्ञ बन सकते हैं जो संगीत के क्षेत्र में अनुसंधान कर सकते हैं और यह बता सकते हैं कि संगीत का लोगों के स्वास्थ्य और समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है।
क्या बोले आचार्यनेट.काॅम के संस्थापक
आचार्यनेट.काॅम के संस्थापक और सीईओ सौम्या आचार्य का कहना है कि कला और विज्ञान, कल्याण और स्वास्थ्य के पहलुओं को जोड़ने वाले इस अनोखे कार्यक्रम में आईआईटी मंडी जैसे एक प्रमुख संस्थान के साथ सहयोगात्मक कार्य करना हमारे लिए सम्मान की बात है। यह कार्यक्रम संगीत और म्यूजोपैथी (मानसिक स्वास्थ्य पर संगीत का प्रभाव) की बुनियादी, मध्यम और उन्नत सीखने का मजबूत आधार देता है, साथ ही भारतीय ज्ञान प्रणाली और मानसिक स्वास्थ्य अनुप्रयोग केंद्र (आईकेएसएमएचए) के ज्ञान को भी शामिल करता है। इस कार्यक्रम को पूरा करने वाले लोगों को कई क्षेत्रों में काम करने के अच्छे अवसर मिलेंगे, जिनमें शास्त्रीय, लोकप्रिय और फिल्मी संगीत उद्योग, संगीत रिकाॅर्डिंग और निर्माण में विशेषज्ञता, शोध संस्थान, शिक्षा जगत और स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्ती क्षेत्र शामिल हैं। इस कोर्स में टैक्नोलाॅजी, संगीत और चिकित्सा का समावेश करके, विभिन्न क्षेत्रों में नई चीजें करने और नेतृत्व करने के लिए जरूरी समग्र कौशल विकसित किए जाते हैं।
ये हैं प्रमुख सलाहकार
संगीत, नृत्य और विज्ञान के महानायक इस तरह के पहले कार्यक्रम में एकत्र हुए हैं। पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित डाॅ. सोनल मान सिंह कनाडा के यॉर्क विश्वविद्यालय के प्राध्यापक एवं ताल विशेषज्ञ प्रो. त्रिची संकरन आईआईएससी बेंगलुरु के प्राध्यापक तथा प्रख्यात वैज्ञानिक डाॅ. गौतम देसिराजू शामिल हैं।
क्या कहते हैं आईआईटी मंडी के निदेशक
आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा ने बताया कि आईआईटी मंडी भारतीय ज्ञान प्रणाली से संबंधित विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ाने के लिए समर्पित है। संगीत और संगीत चिकित्सा में एमएस और डाॅ. फिलोसॉफी कार्यक्रम इस प्रयास में एक और महत्वपूर्ण कदम है। यह कार्यक्रम न केवल भारतीय संगीत के विज्ञान की खोज करेगा, बल्कि मन, शरीर और चेतना के समग्र विकास के लिए इसके चिकित्सीय मूल्य को भी उजागर करेगा।
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