आईआईटी मंडी ने हिमालयी पौधे में कोविड-19 वायरस रोकने वाले फाइटोकैमिकल्स की खोज की

Edited By prashant sharma, Updated: 17 Jan, 2022 01:53 PM

iit mandi discovers phytochemicals inhibiting covid 19 virus in himalayan plant

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी और नई दिल्ली के इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एड बायोटेक्नोलॉजी (आईसीजीईबी) के शोधकर्ताओं ने एक हिमालयी पौधे बुराश की पंखुडियों में फाइटोकैमिकल्स की पहचान की है, जिनसे कोविड-19 के संक्रमण के इलाज की संभावना...

मंडी : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी और नई दिल्ली के इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एड बायोटेक्नोलॉजी (आईसीजीईबी) के शोधकर्ताओं ने एक हिमालयी पौधे बुराश की पंखुडियों में फाइटोकैमिकल्स की पहचान की है, जिनसे कोविड-19 के संक्रमण के इलाज की संभावना सामने आई है। शोध टीम के निष्कर्ष बायोमोलेक्यूलर स्ट्रक्चर एड डायनेमिक्स नामक जर्नल में हाल में प्रकाशित किए गए हैं। शोध टीम का नेतृत्व डॉ श्याम कुमार मसकपल्ली, एसोसिएट प्रोफेसर, बायोएक्स सेंटर स्कूल ऑफ बेसिक साइस आईआईटी मंडी और डॉ रजन नंदा ट्रांसलेशनल हेल्थ ग्रुप और डॉ सुजाता सुनील वेक्टर बोर्न डिजीज ग्रुप इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एड बायोटेक्नोलॉजी, नई दिल्ली ने किया है। शोध-पत्र के सह-लेखक डॉ. मनीष लिगवान, शगुन शगुन, फलक पहया, अंकित कुमार, दिलीप कुमार वर्मा, योगेश पंत,  लिगराय यी के कामतम और बंदना कुमारी है। 

कोविड-19 महामारी के दूसरे साल भी शोधकर्ता इस वायरस की प्रकृति समझने और संक्रमण रोकने के नए-नए तरीकों की खोज करने में जुटे हैं। ऐसे में टीकाकरण शरीर को वायरस से लड़ने की शक्ति देने का एक रास्ता है। जबकि पूरी दुनिया वैक्सीन के अतिरिक्त दवाओं की खोज में है, जो मनुष्य के शरीर को वायरस के आक्रमण से बचा ले। ये दवाएं रसायनों का उपयोग कर शरीर की कोशिकाओं में मौजूद रिसेप्टर्स से जुड़ती हैं और वायरस को अंदर प्रवेश करने से रोकती हैं या फिर सीधे वायरस पर असर करती हैं और शरीर के अंदर वायरस बनने से रोकती हैं। 
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डॉ. श्याम कुमार मसकपल्ली, एसोसिएट प्रोफेसर, बायोएक्स सेंटर, स्कूल ऑफ बेसिक साइंस, आईआईटी मंडी ने बताया, उपचार के विभिन्न एजेंटों का अध्ययन किया जा रहा है। उनमें पौधों से प्राप्त रसायन -फाइटोकैमिकल्स से विशेष उम्मीद है क्योंकि उनके बीच गतिविधि में सिनर्जी है और प्राकृतिक होने के चलते विषाक्त करने की कम समस्याएं पैदा होती है। हम बहु-विषयी दृष्टिकोण से हिमालयी वनस्पतियों से संभावित अणुओं की तलाश कर रहे हैं।‘‘ 

हिमालयी बुरांश जिसका वैज्ञानिक नाम रोडोडेंड्रोन अर्कोरियम है उसकी पंखुड़ियों का सेवन स्थानीय आबादी स्वास्थ्य संबंधी कई लाभों के लिए विभिन्न रूपों में करती है। आईआईटी मंडी और आईसीजीईबी के वैज्ञानिकों ने वायरस रोकने के मद्देनजर शोध में विभिन्न फाइटोकैमिकल्स युक्त अर्क का वैज्ञानिक परीक्षण शुरू किया। उन्होंने बुराश की पंखुड़ियों से फाइटोकैमिकल्स निकाले और इसके वायरस रोधी गुणों को समझने के लिए जैव रासायनिक परीक्षण और कम्प्युटेशनल सिमुलेशन का अध्ययन किया। डॉ. रंजन नंदा, ट्रांसलेशनल हेल्थ ग्रुप, इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी, नई दिल्ली ने बताया, ‘‘हम ने हिमालयी वनस्पतियों से प्राप्त रोडोडेंड्रोन अबरियम पखुडियों के फाइटोकैमिकल्स का प्रोफाइल तैयार और परीक्षण किया और इसमें कोविड वायरस से लड़ने की उम्मीद दिखी है।‘‘  
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इन पंखुड़ियों के गर्म पानी के अर्क में प्रचुर मात्रा में विवनिक एसिड और इसके डेरिवेटिव पाए गए। मोलेक्युलर गतिविधि के अध्ययनों से पता चला है कि ये फाइटोकैमिकल्स वायरस से लड़ने में दो तरह से प्रभावी हैं। ये मुख्य प्रोटीएज से जुड़ जाते हैं जो (प्रोटीएज) एक एंजाइम है और वायरस का रेप्लिका बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ये मानव एंजियोटेंसिन-परिवर्तित एजाइम-2 (एसीई 2) से भी जुड़ता है जो होस्ट सेल में वायरस के प्रवेश की मध्यस्थता करता है। शोधकर्ताओं ने प्रायोगिक परीक्षण कर यह भी दिखाया कि पंखुड़ियों के अर्क की गैर-विषाक्त खुराक से वेरो ई 6 कोशिकाओं में कोविड का संक्रमण रुकता है (ये कोशिकाएं आमतौर पर वायरस और बैक्टीरिया संक्रमण के अध्ययन के लिए अफ्रीकी हरे बंदर के गुर्दे से प्राप्त होती हैं जबकि खुद कोशिकाओं पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। 

डॉ. सुजाता सुनील, वेक्टर बोर्न डिजीज ग्रुप, इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी, नई दिल्ली ने बताया, ‘‘फाइटोकैमिकल प्रोफाइलिंग, कंप्युटर सिमुलेशन और इन विट्रो एंटी-वायरल एसेज के मेल से यह सामने आया है कि खुराक के अनुसार बुरांश की पंखुड़ियों के अर्क ने कोविड-19 वायरस को बनने से रोका है।‘‘ ये निष्कर्ष आर. अबेरियम से विशिष्ट जैव सक्रिय दवा (कैंडिडेट), कोविड-19 के मद्देनजर इन विवो और क्लिनिकल परीक्षणों के उद्देश्य से अग्रिम वैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता की पुष्टि करते हैं। शोध टीम की योजना बुरांश की पंखुडियों से प्राप्त विशिष्ट फाइटोकेमिकल्स से कोविड-19 का रेप्लिकेशन रोकने की सटीक प्रक्रिया समझने की है।
 

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