IIT Mandi के वैज्ञानिकों ने विकसित की नई तकनीक, भूस्खलन के पूर्वानुमान को सटीक बनाने में मिलेगी मदद

Edited By Vijay, Updated: 21 Feb, 2023 08:07 PM

iit mandi

अब प्राकृतिक आपदाओं के पूर्वानुमान को और अधिक सटीक बनाया जा सकेगा। इसके लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के शोधकर्ताओं ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग का उपयोग करके एक नया एल्गोरिदम विकसित किया है।

मंडी (रजनीश): अब प्राकृतिक आपदाओं के पूर्वानुमान को और अधिक सटीक बनाया जा सकेगा। इसके लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के शोधकर्ताओं ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग का उपयोग करके एक नया एल्गोरिदम विकसित किया है। आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ सिविल एंड एन्वायरनमैंटल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफैसर डाॅ. डेरिक्स प्रेज शुक्ला और तेल अबीब यूनिवर्सिटी (इजरायल) के डाॅ. शरद कुमार गुप्ता द्वारा यह तकनीक विकसित की गई है। डाॅ. शुक्ला की टीम का यह एल्गोरिदम प्रशिक्षण के लिए डाटा असंतुलना के मुद्दे का समाधान करता है। यह 2 नमूने तकनीक इजी इनसेंबल (सरल स्थापत्य) और बैलेंस कासकेड (संतुलित जलप्रपात) के उपयोग से भूस्खलन मैपिंग में डाटा असंतुलन के मुद्दों से निपटने में मदद करता है। विकसित एल्गोरिदम का उपयोग बाढ़, हिमस्खलन, कठिन मौसम घटनाओं, रॉक ग्लेशियर और 2 वर्षों से शून्य डिग्री सैल्सियस से कम तापमान पर जमी अवस्था वाले स्थान या पेरमाफ्रोस्ट जैसी अन्य प्राकृतिक घटनाओं की मैपिंग में किया जा सकता है। इसमें काफी कम आंकड़े होते हैं और इससे खतरों का अनुमान लगाने में मदद मिलती है।

इसे कहते हैं एल्गोरिदम 
किसी कार्य को पूर्ण करने के लिए विभिन्न चरणों से गुजरना पड़ता है। जब समस्या के समाधान के विभिन्न चरणों को क्रमबद्ध करके लिखा जाए तो यह एल्गोरिदम कहलाता है।

आपदा का अनुमान लगाने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का महत्वपूर्ण उपयोग
भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं का अनुमान लगाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग काफी महत्वपूर्ण हो गया है। मशीन लर्निंग (एमएल) कृत्रिम बुद्धिमत्ता का ही एक उपक्षेत्र है, जो कम्प्यूटर को बिना विशिष्ट तरीके से प्रोग्रामिंग किए ही सीखने और अपना अनुभव बेहतर बनने में सक्षम बनाता है। यह एलगोरिदम पर आधारित होता है, जो मानव बुद्धिमत्ता के समान ही डाटा का आकलन, पैटर्न की पहचान और पूर्वानुमान या निर्णय कर सकता है।

क्या बोले एसोसिएट प्रोफैसर 
एसोसिएट प्रोफैसर आईआईटी मंडी डाॅ. डीपी शुक्ला ने बताया कि नया एल्गोरिदम एमएल मॉडल में डाटा संतुलन के महत्व को रेखांकित करता है और इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण विकास के लिए नई प्रौद्योगिकी की क्षमता को प्रदर्शित करता है। यह बड़ी संख्या में आंकड़ों की जरूरत के महत्व को रेखांकित करता है ताकि सटीक तरीके से एमएल मॉडल को प्रशिक्षित किया जा सके। यह अध्ययन एलएसएम और अन्य भूगर्भीय मैपिंग और प्रबंधन के क्षेत्र में नए आयाम खोलता है।  

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