IIT Mandi : पहाड़ी क्षेत्रों में बने भवनों पर भूकंप के खतरों का आकलन होगा आसान

Edited By Vijay, Updated: 25 Nov, 2022 10:31 PM

ii mandi

देश के पहाड़ी क्षेत्रों में बनी इमारतों को भूकंप से होने वाले खतरों का आकलन करना अब आसान होगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के शोधकर्ताओं ने इन भवनों में भूकंप के झटकों को सहने की क्षमता के आकलन के लिए रैपिड विजुअल स्क्रीनिंग (आरवीएस)...

शोधकर्ताओं ने विकसित की रैपिड विजुअल स्क्रीनिंग तकनीक
मंडी (रजनीश): देश के पहाड़ी क्षेत्रों में बनी इमारतों को भूकंप से होने वाले खतरों का आकलन करना अब आसान होगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के शोधकर्ताओं ने इन भवनों में भूकंप के झटकों को सहने की क्षमता के आकलन के लिए रैपिड विजुअल स्क्रीनिंग (आरवीएस) तकनीक विकसित की है। इस तकनीक से इमारत को मजबूत करने और मुरम्मत कार्य करने में भी मदद मिलेगी। आईआईटी के शोधकर्ताओं ने मंडी जिले के विभिन्न प्रकार के उन भवनों के बारे में डेटा एकत्र किया जो भूकंप के खतरों से जुड़े हैं। पहाड़ी इमारतों के आरवीएस के मद्देनजर मंजिलों की संख्या निर्धारण के दिशा-निर्देश के लिए संख्यात्मक अध्ययन भी किया गया। इसके अलावा इमारतों के कमजोर पहलुओं के आधार पर एक बेहतर आरवीएस प्रक्रिया लागू करने का प्रस्ताव दिया। शोधकर्ताओं द्वारा विकसित आरवीएस प्रक्रिया से कमजोर इमारतों की सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार व्यक्ति या संगठन रिइंफोर्स्ड कंक्रीट से बनी इमारतों का बेहतर आकलन कर पाएंगे। सहायक प्रो. स्कूल ऑफ सिविल एवं एन्वायरनमैंटल इंजीनियरिंग आईआईटी मंडी डाॅ. संदीप कुमार साहा और सह लेखक उनकी पीएचडी छात्रा यती अग्रवाल ने तकनीक विकसित की है। 

कैसे आता है भूकंप
हिमालय क्षेत्र सबसे अधिक भूकंप संभावित क्षेत्रों में से एक है। भूकंप की वजह भारतीय और यूरेशियन प्लेटों का आपस में टकराना है इसलिए इन क्षेत्रों में अक्सर भूकंप होते हैं। 

विशेष डिजाइन से क्षति से बचा जा सकता है
भूकंप को रोका नहीं जा सकता है लेकिन भूकंप से इमारतों के विशेष डिजाइन से ज्यादा नुक्सान होने से बचा जा सकता है और भवनों को भूकंप सहने योग्य भी बनाया जा सकता है। भवनों की भूकंप से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पहला काम आकलन करना है कि वे किस पहलू में कमजोर और किस दृष्टिकोण से मजबूत हैं। व्यापक स्तर पर इमारतों की कमजोरियों के आकलन के लिए अक्सर उनकी रैपिड विजुअल स्क्रीनिंग की जाती है। आरवीएस किसी इमारत के विजुअल इंफार्मेशन से तय करता है कि वह सुरक्षित है या नहीं, या फिर क्या उसकी भूकंप सुरक्षा बढ़ानी आवश्यक है या नहीं। 

क्या बोले शोधार्थी
आईआईटी मंडी पीएचडी स्कॉलर यती अग्रवाल ने बताया कि प्रस्तावित प्रक्रिया से पहाड़ी क्षेत्रों में रिइंफोर्स्ड कंक्रीट से बनी इमारतों का भूकंप के संभावित खतरों के अनुसार वर्गीकरण करना संभव है। वहीं आईआईटी मंडी सहायक प्रो. डाॅ. संदीप कुमार साहा ने कहा कि भारतीय हिमालयी क्षेत्र की रिइंफोर्स्ड कंक्रीट (आरसी) इमारतों के परीक्षण की प्रभावी प्रक्रिया विकसित की है। इससे किसी इमारत की वर्तमान स्थिति और भूकंप से संभावित खतरों को न्यूनतम करने के लक्ष्य से मुरम्मत कार्य की प्राथमिकता तय करना आसान होगा।

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