सड़क नहीं है तो नहीं मिलती है एंबुलेंस की सुविधा, पालकी बनती है सहारा

Edited By prashant sharma, Updated: 02 Aug, 2021 11:20 AM

if there is no road then there is no ambulance facility

भटनाला गांव फकेड पंचायत तहसील मझीण आज भी पक्की सड़क से महरूम है। बरसात में सड़क की हालत इतनी खराब कि मरीजों के लिए पालकी ही एक मात्र विकल्प है। गांव के लोगों को एक मरीज को पालकी पर रखकर 4 किलोमीटर पक्की सड़क तक पहुंचना पड़ा जो कि कैंसर जैसी बीमारी से लड़...

ज्वालामुखी (नितेश) : भटनाला गांव फकेड पंचायत तहसील मझीण आज भी पक्की सड़क से महरूम है। बरसात में सड़क की हालत इतनी खराब कि मरीजों के लिए पालकी ही एक मात्र विकल्प है। गांव के लोगों को एक मरीज को पालकी पर रखकर 4 किलोमीटर पक्की सड़क तक पहुंचना पड़ा जो कि कैंसर जैसी बीमारी से लड़ रहा है। रोगी का नाम ग्रिबू राम है और वह कर्क रोग से पीड़ित है। उसका टांडा मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। कुछ दिन पहले उनकी एक बड़ी सर्जरी हुई थी। उस इलाके के लोगों को उसे एक पालकी से उठाना पड़ा और वे बारिश में करीब चार से पांच किलोमीटर पैदल चल पड़े। बरसात के मौसम में कच्ची सड़क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है और इस गांव के लोगों को सरकार और सरकारी अधिकारियों से कोई उम्मीद नहीं है कि वे इसे पक्का बनाने में उनकी मदद करेंगे। 

कुछ ग्रामीण अपना घर छोड़कर गांव के बाहर बस गए हैं। मेडिकल इमरजेंसी में पालकी गांव का इकलौता एम्बुलेंस है। लेकिन पालकी को कम से कम चार व्यक्तियों की आवश्यकता होती है जो हर समय संभव नहीं है। इस गांव के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोगों ने अगले विधानसभा चुनाव में भाग नहीं लेने का भी फैसला किया है। गांव के लोग हर चुनाव में भाग लेते हैं जो भी हो वार्ड पंच, प्रधान, बीडीसी, जिला परिषद विधायक या सांसद। ये लोग वोट डालने के लिए लगभग 4 से 5 किमी पैदल चलकर जाते हैं।
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हर बार वे बेहतरी की उम्मीद करते हैं और वोट डालते हैं। लेकिन हर समय वे ठगा हुआ और असहाय महसूस करते हैं। क्योंकि उनके पास पक्का रोड की मूलभूत सुविधा भी नहीं है। यह चुनौती तब और बड़ी हो जाती है जब बरसात के मौसम में मरीज को लेकर अस्पताल जाना पड़ता है। मॉर्डन एम्बुलेंस उनके लिए एक सपना है क्योंकि वे अभी भी पारंपरिक एम्बुलेंस का उपयोग कर रहे हैं और उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। एक कच्ची सड़क है जो इस गांव को जोड़ती है लेकिन कोई भी अधिकारी चाहे निर्वाचित हो या चुने हुए, इस सड़क की समय≤ पर मरम्मत करने की जहमत नहीं उठाते। 

गांव के लोगों नरायान दास, मनोज कुमार, श्रवण कुमार, प्रीतम चंद, रूमला देवी, महिंद्र सिंह, लरजा राम, किरन देवी, स्वरूप राम, सतीश कुमार, सुनीता देवी, हेमराज, धर्म चंद, जगदेव चंद, कोशल्या देवी व रेशमा देवी आदि का कहना है कि पक्की सड़क तक पहुंचने के लिए 4 किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ता है। बरसात के दिनों में सड़क कि हालत इतनी खराब हो जाती है कि गाड़ी तो दूर की बात पैदल चलना मुश्किल हो जाता है। लोगों का कहना है कि अगर ऐसे ही हालात रहे तो आने वाले बिधान सभा चुनावों का बहिष्कार करेंगे।

ग्रामीणों से मिलने आज विधानसभा ज्वालामुखी के युवा विंग के प्रधान विकास आम आदमी पार्टी पहुंचे हुए थे। विकास ने कहा कि ग्रामीणों कि समस्या गंभीर है और इनके हक कि लड़ाई लड़ी जाएगी। अधिकारियों के समक्ष समस्या को रखा जाएगा जिससे कि गांव तक पक्की सड़क पहुंच पाए। इस बाबत मझींन लोक निर्माण विभाग के जेई सुनील कुमार ने बताया कि सिद्धपुर रोड़ का काम नाबार्ड के तहत किया जा रहा है। इसी तरह इस गांव के रास्ते का भी निर्माण कार्य प्रगति पर है। कई जगह फारेस्ट लैंड है जिसकी प्रक्रिया पूरी की जा रही है, ताकि क्लेयरन्स मिलते ही रॉड का काम जल्दी पूरा किया जा सके।
 

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