हिमाचली पहाड़ी गाय को राष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान, प्रदेश की होगी पहली मवेशी नस्ल

Edited By Vijay, Updated: 22 Feb, 2020 04:35 PM

himachali hill cow

हिमाचल की पहली हिमाचली पहाड़ी गाय को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल गई है। नैशनल ब्यूरो ऑफ एनिमल जैनेटिक रिसोर्सेज (एनबीएजीआर) करनाल की नस्ल पंजीकरण समिति ने हिमाचली पहाड़ी गाय को प्रदेश की पहली मवेशी नस्ल के रूप में पंजीकृत किया है।

कांगड़ा: हिमाचल की पहली हिमाचली पहाड़ी गाय को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल गई है। नैशनल ब्यूरो ऑफ एनिमल जैनेटिक रिसोर्सेज (एनबीएजीआर) करनाल की नस्ल पंजीकरण समिति ने हिमाचली पहाड़ी गाय को प्रदेश की पहली मवेशी नस्ल के रूप में पंजीकृत किया है। अलग-अलग राज्यों की तर्ज पर अब हिमाचली पहाड़ी गाय प्रदेश की पहली मवेशी नस्ल होगी।

चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति प्रोफैसर अशोक कुमार सरयाल ने जानकारी देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सका वैज्ञानिकों ने विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. वाईपी ठाकुर (पशु जैनेटिक्स और ब्रीडिंग के प्रोफैसर) की अगुवाई में इस नस्ल को अनूठी विशेषताओं के साथ प्राप्त करने के लिए अनुसंधान कार्य किए।

उन्होंने बताया कि हाल ही में पंजीकृत 7 मवेशी नस्लों में से 8,00,000 की अनुमानित आबादी वाली हिमाचली पहाड़ी गाय को मुख्य रूप से राज्य के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों जैसे कुल्लू, चम्बा, मंडी, कांगड़ा, सिरमौर में वितरित किया गया था। यह दूध, सूखे और खाद के स्रोत के रूप में पहाड़ी पशुधन उत्पादन प्रणाली के अनुकूल है। दैनिक दूध की उपज एक से तीन किलोग्राम और दुग्ध उत्पादन की उपज 350 से 650 किलोग्राम तक होती है।

उन्होंने उम्मीद जताई है कि इस नस्ल के पंजीकरण के साथ, अनुसंधान और संरक्षण कार्य में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि कांगड़ा, चम्बा और पंजाब के कुछ हिस्सों में पाली जा रही गोजरी नस्ल की भैंस भी एनबीएजीआर करनाल से पंजीकृत है जोकि प्रवासी गुर्जरों द्वारा पाली जाती है।

 

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