Edited By Vijay, Updated: 10 Jan, 2025 02:18 PM
हिमालयी क्षेत्र की पहचान गद्दी श्वान को बड़ी पहचान प्राप्त हुई है। गद्दी श्वान हिमालयी क्षेत्र की पहली पंजीकृत नस्ल बन गया है।
पालमपुर (भृगु): हिमालयी क्षेत्र की पहचान गद्दी श्वान को बड़ी पहचान प्राप्त हुई है। गद्दी श्वान हिमालयी क्षेत्र की पहली पंजीकृत नस्ल बन गया है। हिमाचली गद्दी श्वान को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत राष्ट्रीय आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो आईसीएआर-एनबीएजीआर करनाल द्वारा आधिकारिक तौर पर एक स्वदेशी कुत्ते की नस्ल के रूप में मान्यता दी गई है। यह मान्यता विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और पशुपालन विभाग के अधिकारियों के परिश्रमी प्रयासों के बाद मिली है, जिन्होंने नस्ल की अनूठी स्थिति का समर्थन करने के लिए वैज्ञानिक प्रमाण प्रदान किए।
भारत की चौथी पंजीकृत स्वदेशी नस्ल
गद्दी कुत्ता अब भारत में आधिकारिक रूप से पंजीकृत होने वाली चौथी स्वदेशी कुत्ते की नस्ल है और हिमालयी क्षेत्र की पहली ऐसी नस्ल है। नस्ल का नाम गद्दी जनजाति के नाम पर रखा गया है, जो पारंपरिक रूप से भेड़ और बकरियों को चराने के काम के लिए जानी जाती है। ये कुत्ते पशुओं और मनुष्यों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करते हैं, चरवाहों की सहायता करते हैं, पशुओं की रक्षा करते हैं और चरवाहों के साथ एक अनोखा बंधन स्थापित करते हैं।
कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम की भूमिका अहम
कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. नवीन कुमार ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने में वैज्ञानिकों की टीम और पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के अधिष्ठाता डाॅ. रविन्द्र कुमार को उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण के लिए बधाई दी। उन्होंने गद्दी कुत्ते की नस्ल को मान्यता देने में उनके बहुमूल्य योगदान को सराहा। कुलपति ने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय ने पशु चिकित्सा महाविद्यालय में गद्दी कुत्तों के लिए एक बाहरी संरक्षण इकाई की स्थापना की है। यह इकाई पशुपालन विभाग और हिमाचल प्रदेश विज्ञान प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद से वित्तीय सहायता के साथ स्थानीय चरवाहों और पालतू पशु प्रेमियों को गद्दी कुत्ते के पिल्ले प्रदान करती है।
प्रधानमंत्री कर चुके हैं मन की बात कार्यक्रम में उल्लेख
कृषि विश्वविद्यालय के वैटर्नरी काॅलेज में इस प्रजाति के कुत्ते के फेनोटाइपिक तथा मॉलीक्यूलर विशेषताओं पर अध्ययन किया गया और इन विशेषताओं को चिन्हित किया गया। तेंदुआ जैसे वन्य प्राणी से लड़ने की क्षमता रखने के कारण ही इसे इंडियन पैंथर हाऊंड के नाम से भी जाना जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मन की बात कार्यक्रम में इस प्रजाति का उल्लेख कर स्वदेशी प्रजाति के श्वानों को प्रमुखता से पालने की बात कह चुके हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इनकी ऊंचाई 20 से 27 सैंटीमीटर और वजन 35 से 45 किलो होता है। हिमालय क्षेत्र में नेपाली शीप डॉग, नेपाली हिल डॉग दोनों नेपाल में पाए जाते हैं, वहीं हिमालयन गार्ड डॉग, इंडियन लैपर्ड हाऊंड हिमाचली श्वान तथा कश्मीर शीप डॉग हिमालय क्षेत्र में पाए जाते हैं।
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