Edited By Vijay, Updated: 14 Feb, 2025 11:02 AM
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हिमाचल प्रदेश में राजस्व विभाग ने जमीनों की ई-केवाईसी प्रक्रिया के फॉर्मेट में बड़ा बदलाव किया है। अब भूमि के खाते के बजाय, प्रत्येक भूमि मालिक को अपनी ई-केवाईसी करवानी होगी।
शिमला (भूपिन्द्र): हिमाचल प्रदेश में राजस्व विभाग ने जमीनों की ई-केवाईसी प्रक्रिया के फॉर्मेट में बड़ा बदलाव किया है। अब भूमि के खाते के बजाय, प्रत्येक भूमि मालिक को अपनी ई-केवाईसी करवानी होगी। पहले यह प्रक्रिया खातों के आधार पर की जा रही थी, जिसमें एक ही व्यक्ति के ई-केवाईसी करवाने से पूरा खाता सत्यापित मान लिया जाता था। लेकिन कई खातों में 30-40 लोग मालिक होते हैं, जिससे बाकी मालिकों की ई-केवाईसी अधूरी रह जाती थी। केंद्र सरकार ने इस खामी को देखते हुए अब भूमि मालिक के हिसाब से ई-केवाईसी की अनिवार्यता लागू कर दी है।
इसलिए बदली गई प्रक्रिया
राज्य में डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) के तहत यह कार्य किया जा रहा है, जिसमें भूमि को आधार से लिंक किया जा रहा है। पहले खातों के आधार पर ई-केवाईसी की जा रही थी, लेकिन इसमें कई विसंगतियां पाई गईं। केंद्र सरकार ने आपत्ति जताते हुए इस प्रक्रिया में बदलाव के निर्देश दिए, ताकि हर भूमि मालिक की अलग से पहचान और सत्यापन सुनिश्चित किया जा सके।
अब तक कितनी ई-केवाईसी हुई पूरी
नई व्यवस्था के तहत हिमाचल प्रदेश में अब तक कुल 27 प्रतिशत भूमि मालिकों की ई-केवाईसी हो पाई है। जबकि पहले की प्रक्रिया के तहत 60 प्रतिशत से अधिक ई-केवाईसी पूरी हो चुकी थी। नए फॉर्मेट के कारण अब सभी भूमि मालिकों से संपर्क साधना आवश्यक हो गया है, जिससे कार्य की गति थोड़ी धीमी हो गई है।
जिलावार स्थिति
अब तक सबसे अधिक जिला किन्नौर में तथा सबसे कम जिला कांगड़ा व शिमला में ई-केवाईसी का कार्य हुआ है। जिला बिलासपुर में 35 फीसदी, चम्बा में 28 फीसदी, हमीरपुर में 40 फीसदी, कांगड़ा में 22 फीसदी, किन्नौर में 44 फीसदी, कुल्लू में 29, लाहौल-स्पीति में 37, मंडी में 31 फीसदी, शिमला में 22 फीसदी, सिरमौर में 23 फीसदी, सोलन में 27 फीसदी तथा ऊना में 28 फीसदी ई-केवाईसी का कार्य पूर्ण हुआ है।
लगड़ू व खुंडियां तहसील सबसे आगे, शिमला शहरी पिछड़ी
प्रदेश में जमीनों की ई-केवाईसी करवाने में जिला कांगड़ा की लगड़ू व खुंडियां तहसील सबसे आगे हैं। इन दोनों तहसीलों में 49-49 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। वहीं शिमला शहरी तहसील सबसे पीछे है, जहां पर मात्र 11 फीसदी कार्य ही पूरा हो पाया है। राज्य में जिन तहसीलों में जमीनों की ई-केवाईसी का कार्य 45 फीसदी से अधिक हुआ है, उनमें जिला हमीरपुर की बड़सर व डटवाल में 45-45 फीसदी, भोटा में 48, जिला किन्नौर के मुरंग में 48 व सांगला में 45 फीसदी कार्य हो चुका है। वहीं जिन तहसीलों में 15 फीसदी से कम ई-केवाईसी का कार्य हुआ है, उनमें बैजनाथ में 12 फीसदी, धर्मशाला में 15, नूरपुर व पालमपुर में 13-13 तथा शाहपुर में 15 फीसदी कार्य ही पूरा हो पाया है।
अधिकारियों की अपील
राजस्व विभाग की निदेशक रितिका ने बताया कि राज्य में भूमि ई-केवाईसी का कार्य तेज गति से किया जा रहा है। उन्होंने सभी भूमि मालिकों से अपील की कि वे जल्द से जल्द अपनी ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी कराएं, ताकि सरकारी रिकॉर्ड अपडेट हो सके और भविष्य में भूमि विवादों से बचा जा सके।
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