Edited By Vijay, Updated: 02 Jun, 2019 10:33 PM

श्रीनयनादेवी उपमंडल के एक गांव में वन भूमि पर किए गए अवैध कब्जे को छोड़े जाने की तहरीर पर तत्कालीन पंचायत प्रधान के जाली हस्ताक्षर किए जाने का मामला सामने आया है। इस मामले में धरोट पंचायत की तत्कालीन प्रधान नीलम चौधरी ने पुलिस थाना कोट में एफ.आई.आर....
बिलासपुर: श्रीनयनादेवी उपमंडल के एक गांव में वन भूमि पर किए गए अवैध कब्जे को छोड़े जाने की तहरीर पर तत्कालीन पंचायत प्रधान के जाली हस्ताक्षर किए जाने का मामला सामने आया है। इस मामले में धरोट पंचायत की तत्कालीन प्रधान नीलम चौधरी ने पुलिस थाना कोट में एफ.आई.आर. दर्ज करवाई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान में टोबा पंचायत का हिस्सा बन चुका नीलां गांव 10 वर्ष पहले धरोट पंचायत में था। तब कभी भाजपा सरकार के समय अवैध कब्जे वाली भूमि को नियमित करने के लिए आवेदन मांगे गए थे, जिसमें नीलां गांव के ही एक व्यक्ति ने वन भूमि पर किए गए अवैध कब्जे को नियमित करने के लिए आवेदन पत्र दे दिया। बाद में नियमितीकरण की कार्रवाई नहीं हुई।
वर्ष 2016 में पंचायत चुनावों के दौरान विभाग को दिया था एक पत्र
इस दौरान वर्ष 2016 में पंचायत चुनावों के समय उक्त कब्जाधारक व्यक्ति भी चुनाव लड़ने के लिए अभ्यर्थी बना तो उसने विभाग को एक पत्र दिया, जिसमें कहा गया कि एक बीघा 13 बिस्वा सरकारी भूमि का कब्जा उसने छोड़ दिया है तथा इस सरकारी भूमि का विभागीय टीम द्वारा मौका करने के दौरान तत्कालीन धरोट पंचायत प्रधान नीलम भी उपस्थित रहीं, वहीं नीलम चौधरी का कहना है कि न तो उनकी उपस्थिति में कभी वन विभाग की टीम ने अवैध कब्जे वाली जमीन का मौका किया और न ही वह किसी अवैध कब्जे संबंधी मौके पर गईं।
एस.डी.एम. ने जांच के दौरान जाली पाए हस्ताक्षर
उन्होंने इस संबंध में पेश किए गए कागजातों पर हुए हस्ताक्षरों को भी जाली बताया व इसकी शिकायत एस.डी.एम. स्वारघाट के पास कर दी। अपनी प्रारंभिक जांच में एस.डी.एम. कार्यालय ने भी हस्ताक्षरों को जाली माना तथा इस संबंध में पुलिस को उचित कार्रवाई करने को लिखा, जिसके बाद इस सारे मामले में अब पुलिस ने कोट पुलिस थाना में मामला दर्ज कर लिया है। एस.एस.पी. बिलासपुर अशोक कुमार ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467 व 468 में मामला दर्ज कर लिया है तथा मामले की जांच ए.एस.आई. कश्मीर कुमार को सौंपी है।