Edited By Kuldeep, Updated: 21 Jun, 2025 05:17 PM

अंतत: संगत की मुराद पूरी हुई। संगत कल से उम्मीद लगाए बैठे थी कि बाबा जी (गुरिंदर सिंह ढिल्लों) उन्हें दर्शन देंगे। बाबा जी हजूर जसदीप गिल के साथ पंडाल में पधारे।
परौर: अंतत: संगत की मुराद पूरी हुई। संगत कल से उम्मीद लगाए बैठे थी कि बाबा जी (गुरिंदर सिंह ढिल्लों) उन्हें दर्शन देंगे। बाबा जी हजूर जसदीप गिल के साथ पंडाल में पधारे। पहले पाठियों ने सत्संग किया फिर बच्चों के प्रश्न उत्तर और फिर बाबा जी और हजूर ने संगत को जीप में दर्शन दिए। आज का सत्संग नाम सिमरन पर था। माया पर चर्चा करते हुए सत्संग में कहा गया कि जो बाहरी आंखों से दिखता है, वह माया है। नाम सिमरन से ही प्रभु की प्राप्ति संभव है। उसके बाद शुरू होता है सवालों-जवाबों का दौर। एक बच्चे का सवाल था कि प्रेम क्या है? गुरिंदर सिंह महाराज कहते हैं कि प्रेम एक अवस्था है। शरीर से हम बाहर नहीं निकल पाते, जबकि यह इससे भी ऊपर की अवस्था है। एक अन्य बच्चे ने सवाल किया कि बाबा जी मनमुखी और गुरुमुखी क्या हैं? बाबा जी कहते हैं कि जो मन की बात मानता है वो मनमुखी और जो गुरु की बात मानता है और उसके कहे अनुसार सत्य के रास्ते पर चलता है, वह गुरुमुखी। अंतत: कर्मों का फल आपको ही भोगना पड़ेगा। कोई आपके कर्म नहीं उठा सकता।
एक बच्चे ने पूछा कि बाबा जी मैं कोई काम करता हूं तो नैगेटिविटी बहुत आ जाती है। बाबा गुरिंदर सिंह जी कहते हैं कि नैगेटिविटी और पाॅजिटिविटी दोनों इंसान के अंदर हैं। यह इंसान पर निर्भर करता है कि वह अपनी पॉजिटिविटी लेकर चले या नैगेटिविटी। आप खुद को जैसा चलाओगे, वैसा ही चलोगे।
ध्यान कैसे लगे? क्या नामदान के बिना भक्ति संभव? बाबा जी कहते हैं कि ध्यान का क्या है जब चाहो चादर ओढ़ो तो ध्यान में बैठ जाओ। इसके लिए किसी अन्य चीज की जरूरत नहीं। बाबा जी कहते हैं कि अभी तो आप बहुत छोटे हो। अभी से चिंता में पड़े हो। बाबा जी संगत की तरफ इशारा करके कहते हैं कि जिनको नामदान मिला, उनके पास समय नहीं और आप को नामदान लेना है।
बाबा जी बुल्ले शाह की बात सुनाते हुए फरमाते हैं कि ओ शाह तो सातों बख नहीं, उस शाह ते बाजों कख नहीं, बस बेखन वाली अख नहीं।
एक बच्ची ने शबद गाए और कहा कि मेरा कोई सवाल नहीं है तो बाबा जी ने कहा कि बेटा आप बहुत अच्छा गाते हो। आपको इसमें ट्राई करना चाहिए। एक बच्चे ने पूछा कि बाबा जी कई बार हम अपने माता-पिता का दिल दुखाने वाली बात कर देते हैं, जिसका हमें बाद में पछतावा होता है। बाबा जी ने कहा कि बच्चे और क्या करते हैं। वह फरमाते हैं कि माता-पिता हर काम हमारे भले के लिए करते हैं लेकिन यह हमारी जिद होती है कि हमें वो चीज चाहिए। इसलिए बेटा माता-पिता बेहतर जानते हैं कि हमें कौन-सी चीज कब देनी है। अत: माता-पिता का दिल कभी नहीं दुखाना चाहिए।
...आप अब निष्ठाएं भी बदल रहे
प्रश्न उत्तर के दौरान बाबा गुरिंदर सिंह महाराज ने संगत को खूब हंसाया? एक बच्ची ने कहा कि हजूर जी का धन्यवाद जो बाबा जी को यहां लाए तो बाबा जी ने मजाकिया अंदाज में कहा कि क्यों क्या मैं पहले नहीं आता था। आप तो अब अपनी निष्ठाएं भी बदल रहे। इस दौरान बाबा जी के साथ बैठे हजूर भी मुस्करा दिए।
....शादी तो करनी ही पड़ेगी
जब एक बच्चे ने पूछा कि बाबा जी पेरैंट्स शादी की जिद करने लगे हैं तो बाबा जी ने मजाक में कहा कि इससे कब तक बचोगे। तो बच्चे ने कहा कि बाबा जी अभी मैं कुछ अच्छी तरह सैटल होना चाहता हूं। बाबा जी ने उलटा बच्चे से पूछा कि क्या 10 साल लोगे सैटल होने में? बाबा जी ने कहा कि बेटा आदमी कभी इस अवस्था से बाहर नहीं निकलना चाहता। अंतत: शादी तो करनी ही पड़ेगी, बाकि वो आकर खुद सैटल कर देगी। इस पर पूरा पंडाल ठहाके मारने लगा। एक बच्ची ने कहा कि बाबा जी मुझे गुस्सा बहुत आता है तो महाराज ने कहा कि ठीक है फिर आगे जाकर तुझे कोई सहने वाला मिल गया तो ठीक नहीं तो यह गुस्सा उलटा पड़ेगा।
जब महिला ने मौका देने पर शुक्रिया किया तो..
एक महिला ने कहा कि बाबा जी आपका शुक्र है जो आपने बोलने का मौका दिया? मजाकिया अंदाज में गुरिंदर सिंह महाराज ने कहा कि यह पहली बीबी है जो कह रही कि बोलने का मौका दिया। वर्ना बीबियां दूसरे को बोलने का मौका ही कब देती हैं। बाबा जी की इस बात पर भी पूरे पंडाल में ठहाके लगने लगे।