ध्यान से पिएं पानी...वरना आपको भी हो सकता है पीलिया

Edited By Ekta, Updated: 05 Aug, 2018 05:24 PM

drink water carefully otherwise you may also have jaundice

बरसात का मौसम जलजनित बीमारियों को लेकर आता है। इनमें से एक रोग है पीलिया। इस मौसम में दूषित पानी पीने से पीलिया हो सकता है। यदि समय रहते पीलिया का इलाज न किया जाए तो यह घातक हो सकता है। अगर इन दिनों राजधानी के डी.डी.यू. अस्पताल की बात की जाए तो इस...

शिमला (जस्टा): बरसात का मौसम जलजनित बीमारियों को लेकर आता है। इनमें से एक रोग है पीलिया। इस मौसम में दूषित पानी पीने से पीलिया हो सकता है। यदि समय रहते पीलिया का इलाज न किया जाए तो यह घातक हो सकता है। अगर इन दिनों राजधानी के डी.डी.यू. अस्पताल की बात की जाए तो इस अस्पताल में 1 से 2 मामले पीलिया के रोजाना आ रहे है। यह मरीज गंदे पानी के सेवन करने से पीलिया के शिकार हो रहे है। चिकित्सकों का कहना है कि पीलिया होने की संभावना बरसात में अधिक रहती है। क्योंकि इस मौसम में प्राकृतिक जल स्त्रोतों के पानी के सेवन करने से  पीलिया हो सकता है। 


बरसात के दिनों में चिकित्सकों ने शहर के लोगों को सर्तक रहने की सलाह दी है। डॉक्टरों की सलाह है कि कुंए, चशमों, बावड़ियों का पानी इन दिनों नहीं पीना चाहिए। यदि जल स्त्रोतों का पानी पीना ही है तो उबाल कर पीएं। बरसात के दिनों में ग्रामीण क्षेत्रों में पीलिया फैलने की संभावना अधिक रहती है। यदि लोगों को पीलिया के लक्षण दिखाई दें तो इसकी जांच स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में करवाएं। हालांकि अभी तक जिला अस्पताल में पीलिया का कोई भी मामला सामने नहीं आया है। बरसात को लेकर चिकित्सक अर्लट हो गए है। लोग बीमारी के चपेट में न आए। 


ऐसे में स्वास्थ्य विभाग भी सतर्क हो गया है और लोगों को गंदा पानी न पीने की हिदायत दी है। उल्लेखनीय है कि हर साल बरसात के दिनों में अस्पताल में पीलिया मरीज पहुंचते है। पीलिया फैलने का कारण यही होता है कि लोग गंदे पानी का सेवन करते है। बरसात में जैसे ही बारिश होती है तो लोगों के घर में भी गाज वाला पानी आता है। ऐसे में कई लोग पानी को उबालकर नहीं पीते है। जिसकी वजह से लोग पीलिया की चपेट में आ जाते है। इन दिनों में खासकर अभिभावकों को छोटे बच्चों का ध्यान रखना होगा। 


ऐसे हो रहा बावड़ियों का पानी दूषित
बरसात के दिनों में तेज बारिश के चलते कुछ नालों के साथ बने घरों के मालिक सीवरेज खुले में छोड़ देते हैं। जिससे यह सीवरेज का पानी नालों से होते हुए चश्मों व बावड़ियोंमें पहुंच कर पानी दूषित हो रहा है। 


पीलिया के लक्षण: 
-भूख न लगना
-उल्टी दस्त लगना
-चमड़ी व नाखूनों में पीला पन
-बुखार लगना


यह करें बचाव
-हेपेटाइटिस-ई से ग्रस्त व्यक्ति को सफाई का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। इसलिए उसे शौच जाने के बाद अपने हाथ अच्छे से धोने चाहिए। इसके अलावा कपड़े बदलने से पहले और बाद में भी अपने हाथों को अच्छे से धोना चाहिए।
-हेपेटाइटिस-ई के वायरस से ग्रस्त व्यक्ति को अपने खान पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उसे कच्चा खाना नहीं खाना चाहिए। बल्कि उसे सही तरीके के साथ पका हुआ भोजन ग्रहण करना चाहिए।
-हमेशा उबले हुए पानी का सेवन करना चाहिए या फिर आप बंद बोतल का पान भी पी सकते हो।
- बावड़ी व चशमों का पानी न पीएं और प्राकृतिक जल स्त्रोतों में दवाई डालें।
-जितना हो सके कच्ची सब्जी का सेवन करना चाहिए। ये हेपेटाइटिस ई में बहुत ही अच्छा माना जाता है बल्कि आपको सेहतमंद भी रखता है।
-आपको हेपेटाइटिस-ई का इंजैक्शन लगाव लेना चाहिए। यदि आप ऐसी जगह जा रहे हैं यहां आपको हेपेटाइटिस ई का खतरा हो सकता है।
-आपको फाइबर युक्त आहार का सेवन करना चाहिए, जो आपके लीवर के लिए लाभकारी होते हैं जैसे साबुत अनाज, सरसों का साग, दालचीनी आदि। इसके अलावा आप शक्करकंद, गाजर, खुबानी, कद्दू और आम का सेवन भी करना चाहिए। इससे आपको प्रदूषण मुक्त होने में सहायता मिलती है। 


पीलिया के रोजाना एक से दो मामले अस्पताल में आ रहे है। बरसात का मौसम बीमारियां लेकर आता है। लोगों को बरसात के दिनों में बावड़ियों व चशमोंं का पानी नहीं पीना चाहिए। जल स्त्रोतों के पानी पीने से पीलिया की संभावन रहती है। अगर किसी लोगों को पीलिया जैसी बीमारी के कोई लक्षण दिखे तो वे अस्पताल में आकर अपना इलाज करवाएं। लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। अस्पताल में उपचार के पूरे साधन है। 

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