Edited By Vijay, Updated: 02 Aug, 2025 07:13 PM

हिमाचल प्रदेश में भी डिजिटल अरैस्ट के मामले सामने आ रहे हैं। बीते तीन वर्षों में राज्य में 12 मुकद्दमे दर्ज किए गए हैं, जिनमें लोगों से कई करोड़ रुपए की ठगी हो चुकी है।
शिमला (संतोष): हिमाचल प्रदेश में भी डिजिटल अरैस्ट के मामले सामने आ रहे हैं। बीते तीन वर्षों में राज्य में 12 मुकद्दमे दर्ज किए गए हैं, जिनमें लोगों से कई करोड़ रुपए की ठगी हो चुकी है। इन मामलों में अपराधी खुद को फर्जी पुलिस या कस्टम अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं, उन्हें यह कहकर ऑनलाइन घंटों तक डिटेन करते हैं कि वे किसी गंभीर कानूनी मामले में फंस गए हैं और गिरफ्तारी से बचने के लिए पैसे भरने होंगे। इस तरह का फ्रॉड आमतौर पर फोन कॉल, ई-मेल या सोशल मीडिया मैसेज के माध्यम से किया जाता है।
शिमला में सीसीपीएस एसआर के तहत दो मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें एक में 93 लाख और दूसरे में 38 लाख रुपए की ठगी हुई। मंडी में 4 मामलों में कुल मिलाकर करीब 1.79 करोड़ रुपए की ठगी की गई, जिनमें से कुछ मामूली रकम की रिकवरी हो पाई। धर्मशाला में 6 मामलों में ठगी की कुल रकम 2.81 करोड़ रुपए रही और कुछ मामलों में आंशिक रिकवरी भी हुई।
डिजिटल अरैस्ट एक कानूनी मान्यता प्राप्त शब्द नहीं है, लेकिन साइबर अपराध की एक नई और खतरनाक शैली बन चुका है। देशभर में कई लोग इसका शिकार बन चुके हैं। डिजिटल अरैस्ट में किसी शख्स को ऑनलाइन माध्यम से डराया जाता है कि वह सरकारी एजैंसी के माध्यम से अरैस्ट हो गया है, उसे पैनल्टी या जुर्माना देना होगा। डिजिटल अरैस्ट एक ऐसा शब्द है जो कानून में नहीं है, लेकिन अपराधियों के इस तरह के बढ़ते अपराध की वजह से इसकी उत्पत्ति हुई है।
लोगों को कैसे फंसाते हैं अपराधी
- किसी अपराध में शामिल होने का झूठा आरोप लगाना।
- गिरफ्तारी या जेल भेजने की धमकी देना।
- गलती सुधारने के नाम पर जुर्माने की मांग करना।
- पैसे जल्दी भेजने का दबाव बनाना।
बचाव के उपाय
- किसी अनजान कॉल या व्यक्ति पर विश्वास न करें।
- सरकारी अधिकारी कभी भी फोन पर पैसे नहीं मांगते।
- अपनी पर्सनल जानकारी जैसे बैंक अकाऊंट या कार्ड नंबर साझा न करें।
- किसी संदिग्ध कॉल या मैसेज की स्थिति में तुरंत 1930 पर कॉल कर साइबर पुलिस को सूचित करें।
- जागरूक रहें और अपने परिचितों को भी इस तरह के फ्रॉड से सतर्क करें।
क्या कहते हैं एसपी साइबर क्राइम
एसपी साइबर क्राइम दिनेश शर्मा ने बताया कि डिजिटल अरैस्ट का कोई कानूनी आधार नहीं है, लेकिन अपराधियों ने डर का माहौल बनाकर इसका दुरुपयोग करना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि अब तक जो 12 मामले दर्ज हुए हैं, उनमें कुछ मामलों में पुलिस ने धनराशि की आंशिक रिकवरी भी की है। साथ ही शिकायतों पर कार्रवाई लगातार जारी है। उन्होंने लोगों से अपील की कि डिजिटल जागरूकता ही इस तरह के अपराधों से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। सतर्कता से ही हम अपनी मेहनत की कमाई को ठगों से बचा सकते हैं।