शीतकालीन सत्र: CM के सामने अपनी मांगों को लेकर पहुंचे मल्टी टास्क वर्कर

Edited By Kuldeep, Updated: 20 Dec, 2024 08:09 PM

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विधानसभा भवन तपोवन में चल रहे शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन दैनिक वेतनभोगी का दर्जा पाने को जोरावर मैदान में मल्टी टास्क वर्करों ने आवाज बुलंद की।

धर्मशाला (प्रियंका): विधानसभा भवन तपोवन में चल रहे शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन दैनिक वेतनभोगी का दर्जा पाने को जोरावर मैदान में मल्टी टास्क वर्करों ने आवाज बुलंद की। इसके अलावा पीसमील वर्कराें ने कांट्रैक्ट, पैरा वर्करों ने नियमित होने, आंतरिक समुदाय संसाधन महिलाओं, 108 पीसमील वर्कर्स ने अनुबंध, सिलाई अध्यापिकाओं ने पंचायत सचिव पद व दैनिक वेतनभोगी का दर्जा लेने को लेकर सीएम के समक्ष मांगें रखीं।

दैनिक वेतनभोगी का दर्जा पाने को जोरावर मैदान में गरजे मल्टी टास्क वर्कर
शिक्षा विभाग में 2021-22 में भर्ती 8 हजार के करीब पार्ट टाइम मल्टी टास्क वर्कर्स ने विधानसभा शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन जोरावर स्टेडियम में धरना प्रदर्शन करते हुए सी.एम. को विधानसभा में ज्ञापन सौंपा। संघ के अध्यक्ष विक्रांत, महासचिव आशीष भारद्वाज ने कहा कि करीब 8 हजार पार्ट टाइम मल्टी टास्क वर्कर्ज में अधिकतर विधवा, विकलांग, बी.पी.एल. और अति निर्धन वर्ग के युवा नियुक्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें पार्ट टाइम नियुक्त किया गया था, आज दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के बराबर कार्य कर रहे हैं। विभाग के आदेशानुसार हमारा कार्य सुबह 9 बजे से सायं साढ़े 4 बजे तक होता है। वर्कर्स ने कहा कि हमें 10 महीने का वेतन दिया जाता है, बाकी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल हो गया है। पार्ट टाइम मल्टी टास्क वर्कर्ज ने मांग की कि उन्हें 12 महीने का वेतन दिया जाए। साथ ही उन्हें दैनिक वेतन भोगी का दर्जा दिया जाए। उन्होंने कहा कि सी.एम. साहब आपके कार्यकाल के 2 बजट हो चुके हैं, लेकिन आपने शिक्षा विभाग में लगे पार्ट टाइम मल्टी टास्क कर्मियों के लिए किसी भी तरह का कोई प्रावधान बजट में नहीं किया है। जबकि हमें 5625 रुपए मासिक वेतन मिलता है। इस वेतन से हमारा गुजारा नहीं हो पा रहा है। उन्होंने मांग की है कि इस बार पेश होने वाले आगामी बजट में हमारे ऊपर भी थोड़ा-सा ध्यान केंद्रित करें। हमारे लिए भी जल्द स्थायी नीति बनाएं, ताकि हमारी आर्थिक स्थिति में सुधार आए।

आंतरिक समुदाय संसाधन महिलाओं को किया जाए नियमित
तपोवन राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) में इंटरनल कम्यूनिटी रिसोर्स पर्सन (आईसीआरपी) के तहत नियुक्त महिलाओं को नियमित करने की मांग को लेकर एक संगठन शुक्रवार को तपोवन पहुंचा। इस दौरान जिला कांगड़ा की अध्यक्ष अरुण कुमारी, शिखा, पूजा धीमान, नीना, मनोरमा, प्रोमिला मोनिका और भारती ने बताया कि वह पिछले 5 सालों से काम कर रही हैं। इसके अंतर्गत समूहों का गठन, बीओ और क्लस्टर को बनाया गया। इनके बाद जो भी कैडर रखे जा रहे हैं, उन्हें नियमित कार्य दिया जा रहा है। महिलाओं ने मांग उठाई है कि उन्हें भी नियमित कार्य दिया जाए और उनके मानदेय को बढ़ाकर समय पर दिया जाए।

108 पीसमील वर्कर्स को कांट्रैक्ट पर ले सरकार
एचआरटीसी कार्यशालाओं में तैनात पीसमील वर्कर शुक्रवार को तपोवन में सरकार से मिलने पहुंचे थे। पीसमील कर्मियों का कहना है कि कई कर्मी 9 साल का कार्यकाल पूरा करने के बावजूद कांट्रैक्ट से वंचित हैं। हालांकि कुछ कर्मियों को कांट्रैक्ट में ले लिया गया है, जबकि शेष 108 को अभी तक कांट्रैक्ट पर नहीं लिया गया है। बहुत से कर्मचारी लगभग 40-45 वर्ष की आयु को पूरा कर चुके हैं, सरकार से आग्रह है कि शेष 108 पीसमील कर्मियों को जल्द से जल्द कांट्रैक्ट पर लिया जाए।

सिलाई अध्यापिकाओं ने मांगा पंचायत सचिव पद व दैनिक वेतनभोगी का दर्जा
27 वर्ष से अनुबंध पर काम के बावजूद सिलाई अध्यापिकाओं के लिए अनुबंध नीति लागू नहीं हो पाई है। ऐसे में अब सिलाई अध्यापिकाओं ने 27 वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर पंचायत सचिव और 2 वर्ष के कार्यकाल वाली सिलाई अध्यापिकाओं को दैनिक वेतन भोगी का दर्जा देने की मांग उठाई है। शुुक्रवार को तपोवन में सरकार से मिलने पहुंची सिलाई अध्यापिकाओं में शामिल संघ की प्रदेशाध्यक्ष सुनीता राणा व जिलाध्यक्ष पुष्पा कटोच ने बताया कि वे वर्ष 1997 से पंचायती राज विभाग में अनुबंध पर कार्य कर रही हैं लेकिन आज तक हमारे लिए अनुबंध की नीति लागू नहीं की गई। वर्तमान में सिलाई अध्यापिकाएं सिलाई का कार्य न करके पंचायत सचिव के साथ कार्य सुबह 10 से सायं 5 बजे तक कार्य कर रही हैं, ऐसे में इस वर्ग के नियमित करने के लिए स्थायी नीति बनाई जानी चाहिए।

8 के बजाय 5 साल के सेवाकाल पर नियमित हों पैरा वर्कर्ज
जल शक्ति विभाग में कार्यरत पैरा वर्कर्ज को 5 वर्ष का सेवाकाल पूरा होने के बाद नियमित करने की मांग उठाई है। मौजूदा समय में इस वर्ग के कर्मचारी को 8 वर्ष के बाद नियमित करने का प्रावधान है। महंगाई और लंबे समय को देखते हुए हिमाचल प्रदेश जल शक्ति पैरा कर्मचारी संघर्ष मोर्चा ने इस समयावधि को घटाकर 5 वर्ष करने की मांग उठाई है। अपनी मांगों को लेकर शुक्रवार को सिद्धबाड़ी के जोरावर मैदान में कर्मचारियों ने नारेबाजी की। इस दौरान मोर्चा के पदाधिकारियों और सदस्यों ने विधानसभा जाने का प्रयास किया लेकिन पुलिस जवानों ने उन्हें जोरावर के बाहर ही रोक लिया। जल शक्ति पैरा कर्मचारी संघर्ष मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष अमन शर्मा ने कहा कि इन वर्कर्ज को न्यूनतम वेतनमान दिया जाए।

अभी इनको न के बराबर ही वेतन दिया जा रहा है जिससे परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल हो गया है। इसके अलावा वर्कर्ज को किसी भी प्रकार की छुट्टी नहीं दी जाती है। छुट्टियों का प्रावधान करने के साथ ही 8 घंटे ड्यूटी निर्धारित की जाए। उन्होंने कहा कि सभी पैरा वर्कर के बीच 25 फीसदी ऐसे कर्मचारी हैं जिनकी आयु 40 वर्ष से अधिक हो चुकी है। वहीं 20 फीसदी ऐसी महिलाएं भी हैं जिनके पतियों की मौत हो चुकी है। इन कर्मचारियों पर परिवार की पूरी जिम्मेदारी है। उन्होंने उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री से मांग उठाई कि पॉलिसी में बदलाव कर इन कर्मचारियों को राहत प्रदान की जाए। इस दौरान महिला विंग से मीरा और विभिन्न जिलों के अध्यक्ष भी उपस्थित रहे।

वंचित जातियों के साथ जोड़ा जाए गद्दी शब्द
हिमालयन गद्दी यूनियन का प्रतिनिधिमंडल प्रदेशाध्यक्ष मोहिंद्र कुमार के नेतृत्व में तपोवन में मुख्यमंत्री से मिला। इस दौरान यूनियन के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से वंचित जातियों के साथ राजस्व अभिलेख में गद्दी शब्द जोड़े जाने की मांग को उठाया। अध्यक्ष मोहिंद्र कुमार के अलावा अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि यूनियन पूर्व जयराम सरकार के समय से अपनी मांग को उठा रही है। सुक्खू सरकार के सत्ता में आने पर भी यूनियन ने मांग को उठाया था। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि जल्द ही सरकार वंचित जातियों के साथ राजस्व अभिलेख में गद्दी शब्द जोड़कर न्याय प्रदान करेगी।

बस की सिटिंग क्षमता कम करने को तपोवन पहुंचे निजी बस ऑप्रेटर
बस की सिटिंग क्षमता कम करने की मांग को तपोवन पहुंचे हिमाचल प्रदेश निजी बस ऑप्रेटर के सदस्यों ने बताया कि बहुत से लोगों की ओर से अपने निजी वाहन खरीदें गए हैं। इसके चलते बसों में सवारियां कम हो गई हैं।

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