Edited By Kuldeep, Updated: 10 Dec, 2025 06:03 PM

तिब्बती समुदाय और दुनिया भर से आए सांसदों व प्रतिनिधिमंडलों ने सोमवार सुबह केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के नेतृत्व में तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को वर्ष 1989 में प्रदान किए गए नोबेल शांति पुरस्कार की 36वीं वर्षगांठ मनाई।
धर्मशाला (नितिन): तिब्बती समुदाय और दुनिया भर से आए सांसदों व प्रतिनिधिमंडलों ने सोमवार सुबह केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के नेतृत्व में तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को वर्ष 1989 में प्रदान किए गए नोबेल शांति पुरस्कार की 36वीं वर्षगांठ मनाई। इस अवसर पर ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिजी, चिली, चेक रिपब्लिक, फ्रांस और इटली के उच्च स्तरीय प्रतिनिधि धर्मशाला पहुंचे। कार्यक्रम के पहले इन विभिन्न देशों से आए सांसद व प्रतिनिधि तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा से भी उनके निवास स्थान पर मिले व उनके साथ चर्चा की।
वर्षगांठ कार्यक्रम की शुरूआत तिब्बती और भारतीय राष्ट्रीय गान के साथ हुई। इसके बाद निर्वासित तिब्बती प्रधानमंत्री (सिक्योंग) पेंपा सेरिंग ने अपना संबोधन दिया, साथ ही विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने अपने संबोधन में दलाई लामा के जीवन, उनके करुणा संदेश, तिब्बती पहचान की रक्षा और वैश्विक शांति के प्रति उनके योगदान की सराहना की।
कार्यक्रम के दौरान फिजी के सांसद वीरेंद्र लाल ने दलाई लामा की आजीवन नैतिक नेतृत्व क्षमता और दृढ़ता को याद करते हुए कहा कि उनका जीवन दुनिया के लिए प्रेरणादायी है और 90वें जन्मदिवस के इस अवसर पर उनकी करुणा और शांति के संदेश को और गहरा महत्व मिलता है। न्यूजीलैंड के सांसद ग्रेग फ्लेमिंग ने तिब्बती संस्कृति और भाषा को संरक्षित रखने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि आपकी रोशनी कभी मंद नहीं होगी। अपनी भाषा, संस्कृति और आस्था को बनाए रखें।
फ्रांस की सांसद सामंथा काजेबोन ने कहा कि दलाई लामा के साथ मुलाकात ने फिर साबित किया कि शांति संवाद, सहानुभूति और मानवीय गरिमा से निर्मित होती है। उन्होंने तिब्बती जनता की शांतिपूर्ण आकांक्षाओं के प्रति अपना समर्थन दोहराया। कार्यक्रम में मुख्य न्याय आयुक्त येशी वांगमो, स्पीकर सोनम तेनफेल, सिक्योंग पेंपा छेरिंग, उप सभापति डोलमा सेरिंग टेयखांग, विभिन्न कालोन, तिब्बती संसद की स्थायी समिति के सदस्य तथा तिब्बती स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल रहे।