देव महाकुंभ के दूसरे दिन लगी भक्तों की भीड़, पुजा-अर्चना से भक्तिमय हुआ माहौल

Edited By Simpy Khanna, Updated: 09 Oct, 2019 02:49 PM

devotees thronged on second day of dev mahakumbh

अंतराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव देव महाकुंभ के दूसरे दिन  ढालपुर के ऐतिहासिक मैदान में देवी देवताओं के अस्थाई शिविरों में पारम्पारिक वाद्ययंत्रों की देवधुनों के पुरा दशहरा मैदान में भक्तिमय मौहल बन गया और सभी देवी देवताओं के अस्थाई शिविर में विधिवत...

कुल्लू (दिलीप) : अंतराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव देव महाकुंभ के दूसरे दिन  ढालपुर के ऐतिहासिक मैदान में देवी देवताओं के अस्थाई शिविरों में पारम्पारिक वाद्ययंत्रों की देवधुनों के पुरा दशहरा मैदान में भक्तिमय मौहल बन गया और सभी देवी देवताओं के अस्थाई शिविर में विधिवत पूजा-अर्चना की गई।
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भगवान रघुनाथ अस्थाई शिविर में विधिवत प्रांत पूजा व बड़ी पूजा अर्चना की गई जिसमें मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह मंत्रोउच्चरणों के साथ विधिवत स्नान, हार-श्रृंगार के भगवान रघुनाथ को प्रसाद का भोग लगाया गया उसके बाद भगवान रघुनाथ की आरती की गई उसके बाद सभी श्रद्वालुओं के लिए भगवान का  प्रसाद बांटा गया।और सभी श्रद्वालुओं ने भगवान रघुनाथ के मंदिरों में पुहंच कर आशीर्वाद लिया।
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माता बुढ़ी नागिन सरयोलयर के पुजारी मोहन लाल शर्मा ने बताया कि ढालपुर के अस्थाई शिविर में 7 दिनों तक उसी प्रकार से पूजा अर्चना की जाएगी जिस तरह से  अपने स्थाई मंदिरों में पूजा अर्चना की जाती है।उन्होंने कहा कि शोर्स उपचार के माता की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना की गई।उन्होंने कहाकि दशहरा उत्सव में सभी देवी देवताओं के मंदिर में सुबह शाम बिधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है।
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उन्होंने कहाकि दशहरा उत्सव पर सभी देवता भगवान रघुनाथ के साथ देव मिलन करते है और यहां देवी देवता एक दूसरे से देवमिलन कर रिश्तेदारी भी निभाते है।उन्होंने कहाकि यहां पर 7 दिनों तक माहौल देवमय होता है जिससे पूरे विश्व से अलग देवसंस्कृति यहां पर है और ऐसे में देश विदेश से लोग यहां की देवसंस्कृति  देखने के लिए आते हैं।
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भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि कुल्लू में भगवान रघुनाथ के आने के बाद वैष्णव पद्वति से पूजा शुरू हुई। इससे पहले कुल्लू में शिव शक्ति की पूजा होगी थी और उस समय नाथ समुदाय के लोग इस पूजा को करते थे। उन्होंने कहा कि भगवान रघुनाथ की दिन में पांच बार पूजा और सात बार आरती होती है।उन्होंने कहा कि प्रांत: पूजा,बड़ी पूजा , मध्यहान पूजा, चौथा पहर, त्रिकाल पूजा, चुगड़ी पूजा होती है।

उन्होंने कहा कि भगवान रघुनाथ जैसे मनुष्य के रूप में जन्म लिया उनकी दिन पूजा उसी प्रकार से होती है। सुबह उठते ही मंत्रों के साथ मृतिका हाथ धोने के लिए व  दातुन का प्रयोग किया जाता है।उन्होंने कहा कि मध्ययान पूजन में हार-श्रृंगार मंत्रोउचारणों के साथ होता है।जिसकों बड़ी पूजा भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि इस मंदिर में हर पूजा मंत्रोउचारण के साथ होती है।

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