मां चिंतपूर्णी की सेवा में रहेंगे पंजाब के श्रद्धालु, सैकड़ों धार्मिक संस्थाएं लगाती हैं लंगर

Edited By Rahul Singh, Updated: 05 Aug, 2024 12:18 PM

devotees from punjab will serve maa chintapurni

मां चिंतपूर्णी के भक्तों में किसी का बड़े शहर में करोड़ों रुपये का कारोबार है तो कोई उच्च पद पर आसीन है या रहा है। हमेशा वातानुकूलित वातावरण में रहने वाले ऐसे भक्त मां चिंतपूर्णी के दरबार में आने वाले हर श्रद्धालु मेहमान की तरह स्वागत करेंगे और अगले...

ऊना: मां चिंतपूर्णी के भक्तों में किसी का बड़े शहर में करोड़ों रुपये का कारोबार है तो कोई उच्च पद पर आसीन है या रहा है। हमेशा वातानुकूलित वातावरण में रहने वाले ऐसे भक्त मां चिंतपूर्णी के दरबार में आने वाले हर श्रद्धालु मेहमान की तरह स्वागत करेंगे और अगले दस दिन तक अपने व्यवसाय व घर परिवार की चिंता छोड़ मां के सानिध्य में ही समय व्यतीत करेंगे। ऐसे भक्त जरूरत पड़ने पर जूठे बर्तन मांजने से लेकर लंगर की सफाई भी करेंगे और अपना तन-मन-धन श्रद्धालुओं की सेवा में समर्पित करेंगे। जी हां, चिंतपूर्णी के सावन अष्टमी मेले में भक्ति भाव से कई भक्त कई वर्षों से सेवाएं दे रहे हैं।

सैकड़ों धार्मिक संस्थाएं लगाती हैं लंगर

चिंतपूर्णी के सावन अष्टमी मेले में शीतला मंदिर से लेकर पंजाब के होशियारपुर तक सैकड़ों धार्मिक संस्थाएं लंगर लगाती हैं। इन लंगरों में श्रद्धालुओं की सुविधाओं का ख्याल रखा जाता है। टायर पंक्चर से लेकर हजामत करवाने की निश्शुल्क सुविधा इन दस दिनों में श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध रहती है। इन लंगरों में श्रद्धालुओं को सुविधाएं देने के लिए मां के भक्त लाखों रुपये खर्च कर देते हैं। ये भक्त इस समय में स्वयं भी सेवादार की भूमिका में रहते हैं। बता दें कि मेले 5 अगस्त से शुरू हो रहे हैं, जो 14 अगस्त तक चलेंगे।

सावन अष्टमी मेले से पहले 20 हजार श्रद्धालुओं ने माथा टेका

सावन अष्टमी मेले से पहले चिंतपूर्णी में रविवार को 20 हजार श्रद्धालुओं ने मां की पावन पिंडी के दर्शन किए। मां के दरबार में दर्शन के लिए कतारें दोपहर को पुराने बस अड्डे को पार कर गई थीं, लेकिन कर्मचारियों की कार्यकुशलता से शाम होते-होते फिर से श्रद्धालुओं को मंदिर में उपस्थिति दर्ज करवाने के लिए लंबी प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी। रविवार सुबह चार बजे मंदिर के कपाट खुलते ही श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ना शुरू हो गई थी।

मोगा का श्रद्धालु 31 वर्ष से लगा रहा देसी घी का लंगर

जल्लो दी बड़ में मोगा के एक श्रद्धालु द्वारा पिछले 31 वर्ष से देसी घी का लंगर लगाया जा रहा है। उक्त श्रद्धालु सावन अष्टमी मेले में दिन-रात में केवल दो से तीन घंटे ही नींद लेते हैं और शेष समय में श्रद्धालुओं की आवभगत करते हैं। जालंधर के एक श्रद्धालु की भी मां चिंतपूर्णी के प्रति गहरी आस्था है। मां के दरबार में फूलों की सजावट के अलावा कई विकासात्मक कार्यों में ही भी इनका योगदान रहता है।

यह भी पढ़ें- राहत: Kullu-Manali Highway का आवाजाही के लिए एक तरफ से रास्ता खोला

जीरा की भजन मंडली समर्पित भाव से सेवा में जुटी

फिरोजपुर के जीरा से भजन मंडली भी पिछले पांच दशक से इस मेले में समर्पित भाव से कार्य करती है। इस संस्था के सदस्य सोनू बजाज का कहना है कि उनकी टीम बुजुर्गों के संस्कारों व परंपरा का निर्वहन कर रही है। होशियारपुर के अमित और ममता ने बताया कि उन्हें मां के दर पर आकर समय बिताना बेहद अच्छा लगता है और सावन अष्टमी मेले में मां चिंतपूर्णी उनकी यह मुराद हर बार पूरी कर देती हैं।

 

 

 

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!