सीएम सुक्खू ने कर्ज को लेकर पूर्व भाजपा सरकार पर साधा निशाना, लगाए ये आरोप

Edited By Vijay, Updated: 22 Nov, 2023 08:46 PM

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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि वर्तमान सरकार ने इस वित्त वर्ष के दौरान 4100 करोड़ रुपए कर्ज लिया है। इसके विपरीत पूर्व भाजपा सरकार ने वर्ष 2022-23 के दौरान 14000 करोड़ रुपए कर्ज लिया है तथा हिमाचल प्रदेश...

शिमला (कुलदीप): मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि वर्तमान सरकार ने इस वित्त वर्ष के दौरान 4100 करोड़ रुपए कर्ज लिया है। इसके विपरीत पूर्व भाजपा सरकार ने वर्ष 2022-23 के दौरान 14000 करोड़ रुपए कर्ज लिया है तथा हिमाचल प्रदेश पर 75000 करोड़ रुपए कर्ज छोड़ गई। उन्होंने भाजपा नेताओं के उन आरोपों का खंडन किया, जिसमें वर्तमान सरकार की तरफ से 10300 करोड़ रुपए कर्ज लेने का दावा किया गया है। उन्होंने कहा कि यदि भाजपा नेता केंद्र से 10000 करोड़ रुपए दिला सकते हैं तो हम उसको लेने के लिए तैयार है। इसके अलावा वर्तमान सरकार की तरफ से इस माह 800 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया है। 

केंद्र सरकार ने ऋण लेने की सीमा में पाबंदी लगाई
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस वित्त वर्ष में ऋण लेने की सीमा में पाबंदी लगाकर इसे 6600 करोड़ रुपए किया है, साथ ही बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं के लिए 3 वर्ष में कुल 2900 करोड़ रुपए लेने की सीमा तय की गई है, जबकि पहले इसके लिए कोई सीमा तय नहीं थी। उन्होंने कहा कि इस वर्ष हिमाचल प्रदेश सरकार के राजस्व में 1100 करोड़ रुपए वृद्धि का अनुमान है। इसके अलावा अगर प्राकृतिक आपदा नहीं आती तो प्रदेश में 1500 करोड़ रुपए की रिकॉर्ड राजस्व वृद्धि दर्ज होती। 

ओपीएस लागू करने पर केंद्र ने रोके 1780 करोड़, हम राजस्व जुटाने में लगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार की तरफ से पुरानी पैंशन योजना (ओपीएस) को लागू करने पर केंद्र सरकार ने 1780 करोड़ रुपए की ग्रांट रोक दी है। उन्होंने भाजपा नेताओं से इन पाबंदियों को हटाने के लिए मदद करने का आग्रह किया। इस संदर्भ में राज्य सरकार की तरफ से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र भी लिखा गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार अपने बूते राजस्व जुटाने में लगी है। इसके तहत शराब के ठेकों की नीलामी से 500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। इसी तरह पट्टा नियमों को संशोधित करते हुए लीज की अवधि को 99 वर्ष से घटाकर 40 वर्ष कर दिया है। ऐसे में सरकार का प्रयास है कि खनन से 500 करोड़ रुपए तक राजस्व आए। उन्होंने कहा कि अब धौलासिद्ध, लुहरी फेज-1 तथा सुन्नी जल विद्युत परियोजनाओं को 40 वर्ष के बाद हिमाचल प्रदेश को वापस सौंपना होगा। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य में देरी को देखते हुए राज्य सरकार ने एसजेवीएनएल को प्रदान किए गए जंगी-थोपन-पोवारी परियोजना को रद्द कर दिया है। उन्होंने कहा कि वाइल्ड फ्लावर हाॅल होटल को वापस पाने के लिए राज्य सरकार कानूनी लड़ाई लड़ रही है।
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