कैग रिपोर्ट ने खोलीं पशुपालन विभाग में हुए 99.71 लाख के घोटाले की परतें

Edited By prashant sharma, Updated: 26 Aug, 2021 10:46 AM

cag report uncovered layers of 99 71 lakh scam in animal husbandry department

कैग रिपोर्ट ने उपनिदेशक पशुपालन कार्यालय सोलन में मार्च, 2016 से मार्च, 2018 के बीच हुए 99.71 लाख रुपए के घोटाले की परतें खोल दी हैं। पंजाब केसरी ने 25 मई, 2018 को इस घोटाले का पर्दाफाश किया था। अब कैग रिपोर्ट ने भी इस खबर पर अपनी मोहर लगा दी है।

सोलन (ब्यूरो) : कैग रिपोर्ट ने उपनिदेशक पशुपालन कार्यालय सोलन में मार्च, 2016 से मार्च, 2018 के बीच हुए 99.71 लाख रुपए के घोटाले की परतें खोल दी हैं। पंजाब केसरी ने 25 मई, 2018 को इस घोटाले का पर्दाफाश किया था। अब कैग रिपोर्ट ने भी इस खबर पर अपनी मोहर लगा दी है। मामला उजागर होने के बाद विभाग ने कैशियर सहित 4 अधिकारियों को निलम्बित कर दिया था, जिनके समय में यह घोटाला हुआ था। यही नहीं, विजीलैंस भी इस मामले की जांच कर रही है। मामले का खुलासा होने के बाद आरोपी कैशियर ने 57.93 लाख रुपए की राशि भी जमा कर दी थी और शेष राशि हर महीने उनके वेतन से जमा की जा रही है। शुरू में यह घोटाला 69 लाख रुपए का निकला था, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती रही तो यह घोटाला 99.71 लाख रुपए का हो गया। यह कृत्रिम गर्भाधान कार्टेशन व आयातित सीमन फीस व पशुचारे से संबंधित है। 

कैग रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि उपनिदेशक पशुपालन कार्यालय को कृत्रिम गर्भाधान कार्टेशन के शुल्क व आयातित सीमन की बिक्री व रजिस्ट्रेशन के शुल्क के रूप में मार्च, 2016 और मार्च, 2018 में 41.40 लाख रुपए प्राप्त हुए थे। कैश बुक में इसकी कोई एंट्री नहीं हुई। इसमें से 12.09 लाख रुपए सीधे लैंड डिवैल्पमैंट बैंक में जमा किए गए, जबकि 29.31 लाख रुपए की राशि किसी भी बैंक में जमा नहीं हुई। इस पर पर्दा डालने के लिए दूसरी स्कीम के 29.31 लाख रुपए उपनिदेशक पशुपालन कार्यालय के बचत खाते से लैंड डिवैल्पमैंट बैंक को ट्रांसफर कर दिए। हैरानी की बात यह है कि इस पैसे की निकासी के कोई बिल रिकार्ड में ही नहीं हैं। इस तरह से कृत्रिम गर्भाधान कार्टेशन के शुल्क व आयातित सीमन की बिक्री व रजिस्ट्रेशन के शुल्क योजना में 29.31 लाख रुपए के गबन को अंजाम दिया गया। 

इस रिपोर्ट में अप्रैल, 2016 से जनवरी, 2018 के बीच उपनिदेशक पशुपालन कार्यालय के बैंक खाते से 12 बार 50 लाख रुपए की निकासी की गई। इसमें इंडसइंड बैंक से 5 लाख और एसबीआई से 45 लाख रुपए निकाले गए थे। 11 हजार से 9.50 लाख रुपए की राशि सैल्फ चैक से निकाली गई थी। कैश बुक में न तो इसकी कोई एंट्री है और न ही इससे संबंधित कोई वाऊचर थे। इस तरह से 50 लाख रुपए का गबन किया गया। 

बैकयार्ड पोल्ट्री योजना में भी 10.61 लाख रुपए का गबन हुआ है। लाभार्थियों की मांग पर केंद्रीय पोल्ट्री फार्म नाहन से चूजों की आपूर्ति हुई। 10.61 लाख रुपए में विभाग को प्राप्त हुए 9.25 लाख रुपए की रसीद जारी हुई, जबकि 24 मार्च, 2018 को प्राप्त हुए 1.36 लाख रुपए की कोई रसीद जारी नहीं हुई। यह पूरी राशि न तो कैश बुक में एंटर हुई और न ही बैंक में जमा हुई। बल्कि कार्यालय के एस.बी.आई. के बचत खाते से दूसरी योजना के 10.61 लाख रुपए केंद्रीय पोल्ट्री फार्म नाहन को को ट्रांसफर कर दिए। 

गर्भित पशु आहार योजना में भी 7.20 लाख रुपए का गबन हुआ। इस योजना में 92 लाभार्थियों के 2.40 लाख रुपए वर्ष 2016-17 और 180 लाभार्थियों के 4.80 लाख रुपए रुपए वर्ष 2017-18 में प्राप्त हुए थे लेकिन यह राशि न हो तो कैश बुक में एंटर हुई और न ही कार्यालय के बैंक खाते में जमा हुई। कृषक बकरी योजना में लाभार्थियों द्वारा वर्ष 2017-18 में जमा किए गए अपने 2.58 लाख रुपए के शेयर न तो कैश बुक में एंटर हुए और न भी कार्यालय के बैंक खाते में जमा हुए। 

कैग रिपोर्ट में भी बताया गया कि विभाग द्वारा मई, 2018 में की गई अपनी जांच में यह गबन 79.98 लाख रुपए बताया गया, जबकि वास्तव में 99.71 लाख रुपए है। विजीलैंस इस मामले की जांच कर रही है। इसके अलावा विभागीय जांच भी चली हुई है। विभाग ने आरोपी कैशियर को डिमोट भी कर दिया है। 

3 वर्ष पुराना है यह मामला  

पशुपालन विभाग सोलन के उपनिदेशक  डाॅ. भारत भूषण गुप्ता ने बताया कि यह मामला 3 वर्ष पुराना है। मामले का खुलासा होते ही विभाग ने इस मामले में संलिप्त कैशियर के खिलाफ कार्रवाई की थी। 57.93 लाख रुपए की रिकवरी वर्ष 2018 में ही कर ली थी। इसके अलावा हर महीने उनके वेतन से रिकवरी की जा रही है। विभागीय जांच चली हुई है। इसके अलावा विजीलैंस भी मामले की जांच कर रही है। यह घपला करीब 99.71 लाख रुपए था। 

कांग्रेस के समय हुआ था चारा घोटाला: गुलेरिया 

भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष व खादी बोर्ड के उपाध्यक्ष पुरुषोत्तम गुलेरिया ने कहा कि कांग्रेस जिस चारा घोटाले का आरोप लगा रही है, वह पूर्व कांग्रेस सरकार के समय में हुआ है। वर्ष 2016 से यह घोटाला चला हुआ था। कैग रिपोर्ट से भी इसका खुलासा हुआ है। प्रदेश में भाजपा सरकार बनते ही इस घोटाले को पकड़ा तथा विजीलैंस को इस मामले की जांच सौंपी।

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